भारतीय क्रिकेट टीम चार मैचों की टेस्ट श्रृंखला के अंतर्गत मंगलवार से एडिलेड क्रिकेट मैदान पर ऑस्ट्रेलिया के साथ चौथा और अंतिम टेस्ट मैच खेलेगी. इस श्रृंखला में 0-3 से पिछड़ रही भारतीय टीम के लिए यह मैच बची-खुची प्रतिष्ठा बचाने के साधन से अधिक और कुछ नहीं.
इस श्रृंखला की शुरुआत से पहले कहा जा रहा था कि भारत के पास ऑस्ट्रेलिया में जीत हासिल करने का शानदार मौका है लेकिन चार सप्ताह के अंदर तस्वीर पूरी तरह बदल गई और अब भारतीय टीम खुद अपनी प्रतिष्ठा बचाने को संघर्ष करती नजर आ रही है.
मेलबर्न टेस्ट की पहली पारी में गेंदबाजों को प्रयास के छोड़ दिये जाएं तो भारतीय खिलाड़ी किसी भी स्तर पर मेजबान खिलाड़ियों की प्रतिभा का सामना करते नजर नहीं आए. मेजबान टीम के युवा गेंदबाजों ने भारत के दिग्गज बल्लेबाजों को दोयम साबित किया और दो मैचो में पारी की हार से मजबूर किया.
भारतीय टीम के खराब प्रदर्शन का आलम यह रहा कि शुरुआत के तीन टेस्ट मैचों में से एक भी पांच दिन तक नहीं खिंचा. पर्थ में तो महेंद्र सिंह धोनी के रणबांकुरों को ढाई दिन में ही मजबूरन हार को गले लगाना पड़ा था.
एडिलेड में टीम की कमान धोनी की जगह वीरेंद्र सहवाग के हाथों में होगी, जो इस उम्मीद के साथ मैदान में उतरेंगे कि भारत ने बीते दो मैचो में इस मैदान पर एक जीत और एक ड्रॉ में सफलता हासिल की है.
सहवाग एक बल्लेबाज के तौर पर नाकाम रहे हैं. ऐसे में कप्तान के तौर पर उनसे बेहतर प्रदर्शन की आस की जा सकती है. यूं कहा जा सकता है कि जिम्मेदारी का अहसास सहवाग को अच्छा खेलने पर मजबूर करेगा.
ऐसा हो तभी अच्छा है क्योंकि खराब शुरुआत ने हर बार भारत की मिट्टी पलीद की है. मध्यक्रम में राहुल द्रविड़, सचिन तेंदुलकर और खासतौर पर वीवीएस लक्ष्मण को अपने बल्ले का मुंह खोलना होगा क्योंकि इस दिग्गज तिकड़ी को लेकर संन्यास तक की बातें उठने लगी हैं.
धोनी की गैरमौजूदगी में विकेटकीपर बल्लेबाज रीद्धिमान साहा विकेट के पीछे की भूमिका अदा करेंगे. धोनी की छाया के कारण गर्दिश में पड़े साहा को भारत में सबसे अच्छा विकेटकीपर कहा जाता है और इस लिहाज से साहा को यह बात साबित भी करनी होगी.
इसका कारण यह है कि 2013 में टेस्ट मैचों से संन्यास की घोषणा का संकेत दे चुके धोनी के बाद विकेट के पीछे जिम्मेदारी के लिए वह ही चयनकर्ताओं की पहली पसंद होंगे.
गेंदबाजी में भारतीय टीम रविचंद्रन अश्विन की वापसी चाहेगी क्योंकि पर्थ में विनय कुमार को खिलाने का प्रयोग बुरी तरह नाकाम रहा था. इस कारण पर्थ की उस विकेट पर, जहां बाद में बल्लेबाजी आसान हो गया था, भारत को एक बल्लेबाज की कमी महसूस हुई थी.
एडिलेड की पिच बल्लेबाजों के लिए स्वर्ग मानी जाती है लेकिन नए सिरे से तैयार पिच पर पहले दिन गेंदबाजों को काफी मदद मिल सकती है. ऐसे में टॉस अहम होगा क्योंकि भारत टॉस जीतने के बाद बल्लेबाजी चाहेगा जबकि पर्थ से उलट मेजबान टीम भी यहां बल्लेबाजी करना पसंद करेगी.
कुल मिलाकर भारत का मुख्य लक्ष्य विदेश में लगातार आठवीं और इस श्रृंखला में लगातार चौथी हार से बचना होगा. साथ ही साथ भारतीय टीम इस श्रृंखला का हश्र भी इंग्लैंड के साथ खेली गई उस श्रृंखला जैसा होने से बचाने प्रयास करेगी, जहां उसका 0-4 से सूपड़ा साफ हुआ था.