बात साल 2005 की है. एक खास कार्यक्रम में राजेश खन्ना पहुंचे थे और उन्होंने वहां अपनी ज़िंदगी की पूरी दास्तां सुनाई. इस कार्यक्रम में अब्बास मस्तान भी थे. इस आत्मकथा का खुलासा उस वक्त हुआ, जब काका के चौथे पर अब्बास मस्तान पहुंचे और उन्होनें राजेश खन्ना की उस रिकॉर्डिंग की याद दिलाई.