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फोन में नाम के साथ जन्मदिन भी क्यों लिखते हैं अभिनव शुक्ला, बताई वजह

टेलीविजन एक्टर अभिनव शुक्ला इन दिनों KKK11 में अपनी दमदार स्टंट की वजह से चर्चा में हैं. अभिनव ने हाल ही में सोशल मीडिया पर अपने डिस्लेक्सिया होने की बात कबूली है. इसका जिक्र वे शो पर भी करते नजर आए. अभिनव ने आजतक से इस पर खास बातचीत की है.

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अभिनव शुक्ला
अभिनव शुक्ला
स्टोरी हाइलाइट्स
  • फोन पर इस तरह से लोगों का नाम सेव करते हैं अभिनव शुक्ला
  • स्क्रिप्ट पढ़ने पर भी आती थी थोड़ी दिक्कत
  • सोशल मीडिया पर अपने डिस्लेक्सिया होने की कबूली बात

अभिनव शुक्ला टेलीविजन का जाना-पहचाना नाम हैं. पिछले दिनों ही अभिनव के एक पोस्ट ने सोशल मीडिया पर सनसनी फैला दी है. दरअसल अभिनव ने इस पोस्ट पर बॉर्डरलाइन डिसलेक्सिया होने की बात कबूली है. 

Aajtak.in से खास बातचीत के दौरान अभिनव ने बताया, पहली बात तो मुझे डिस्लेक्सिया बॉर्डरलाइन पर है. यह बहुत ही माइल्ड होता है. इसलिए शायद मुझे इतना वक्त लगा इसे समझने में. हम आमतौर पर लोगों को कह देते हैं कि यह भुलक्कड़ है, इसे कुछ याद नहीं रहता है. यही एक मेरी भी कमी है. वैसे तो मैं बाकी चीजों में बहुत कमाल हूं लेकिन नंबर्स, डिजीट, सालगिरह व नाम याद रखना, जहां नाम और नंबर का कॉम्बिनेशन आता है, वो याद रखना मैं इन सब चीजों में बहुत बुरा हूं. लोग मुझसे कंपलेन भी किया करते थे कि यार तुम कुछ याद क्यों नहीं रख पाते हो. 

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खतरों के खिलाड़ी में कबूली है बात 

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अभिनव आगे कहते हैं, वहीं खतरों के खिलाड़ी में मैंने जो स्टंट किया है, जो बीते दिन ही टेलीकास्ट हुआ है. उसमें मैंने कहा है कि यार मैं बॉर्डरलाइन डिस्लेक्सिया हूं. मुझे याद नहीं रहता लेकिन मैं यह स्टंट जरूर करूंगा. मैं यही सोच रहा था कि शो देखने के बाद लोग मेरे बारे में कोई अलग धारणा न बना लें इसलिए मैंने स्टेटस डाला है. ताकि मेरे तरफ से क्लैरिटी रहे कि आखिर मुझे क्या है और इसे दुनिया के सामने रख दिया था. 

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सबके नाम के साथ जन्मदिन सेव किया हुआ है 

मुझे लाइन्स को याद रखने में बहुत अच्छा था लेकिन कभी-कभी लाइन्स के कुछ ऐसे कॉम्बिनेशन आते थे जिसे पढ़कर मैं डरता था कि वहां आकर अटक जाऊंगा और बार-बार अटकता भी था. मेरे लिए बस दिक्कत जो है, वो है नंबर्स को याद रखना. मैंने अपने पिता का नंबर भी पापा के साथ 24 जुलाई के साथ सेव किया है. सभी दोस्तों के नाम के साथ उनका जन्मदिन भी लिखकर ही सेव करता हूं. मैं हर मिनट में कंफ्यूज हो जाता हूं. हालांकि मैंने कभी इसे कमी की तरह नहीं लिया है या कभी खुद को निराश होने दिया है. 

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