हाल ही में हुए मुंबई गैंग रेप को लेकर सभी बेहद दुखी और परेशान हैं. हमेशा से औरतों और उनसे सम्बंधित मुद्दों से जुड़े रहे और उनके लिए आवाज उठाने वाले प्रसून जोशी इस दर्दनाक घटना पर भी आगे आए और अपनी भावनाओं को जाहिर किया.
प्रसून ने कहा, "ये एक बहुत ही जटिल समस्या है. पुरुषों की मानसिकता, समाज में महिलाओं के प्रति रुख, सांस्कृतिक परंपराएं, इन सब पर गहरे विचार की जरूरत है. लेकिन ये सब रातोरात नहीं बदला जा सकता इसलिए जरूरी है कि कानून और प्रशासन महिलाओं के प्रति अपराधों के खिलाफ कड़े कदम उठाए. कोई माफ़ी नही का निर्णय लेना होगा. इस तरह नहीं चल सकता, समाज बीमार होता जा रहा है और अब समाज और सरकार खड़े खड़े तमाशा नहीं देख सकते."
प्रसून हमेशा से औरतों के समर्थन में खड़े रहे हैं फिर चाहे वह कोई भी मुद्दा हो. प्रसून बेहतरीन लेखक हैं, उन्होंने कई बार अपनी कविताओं और गीतों के जरिये औरतों की हौसला अफजाई भी की है. प्रसून ने एक बहुत ही खूबसूरत कविता लिखी थी 'बाबुल' जो वो सभी महिलाओं को समर्पित करना चाहते हैं. ये कविता लड़कियों की सोच को दर्शाती है जो आज़ादी से रहने को तरसती हैं-
बाबुल जिया मोरा घबराए, बाबुल,
रहा न जाए।
बाबुल मोरी इतनी अरज सुन ली जो,
मोहे सुनार के घर न दीज्यो,
मोहे जेवर कभी न भाए।
बाबुल मोरी इतनी अरज सुन ली जो,
मोहे व्यापारी घर न दीज्यो,
मोहे धन दौलत न सुहाए।
बाबुल मोरी इतनी अरज सुन ली जो,
मोहे राजा घर न दीज्यो,
मोहे राज करना न आए।
बाबुल मोरी इतनी अरज सुन ली जो,
मोहे लोहार के घर दे दीज्यो,
जो मोरी जंजीरें पिघलाए...
- प्रसून जोशी