अभिनेत्री शर्मिला टैगोर का कहना है कि वह अपनी पोती सारा अली खान का आत्मविश्वास, विनम्रता और आकर्षण देखकर बेहद खुश होती हैं. हाल ही में एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, "सारा जिस तरह से उभरकर सामने आई हैं, वह अभिभूत कर देने वाला है"
सारा पर मुझे गर्व है...
शर्मिला ने कहा, "मैं उसके आगाज (फिल्म 'केदारनाथ' से) को लेकर बहुत रोमांचित हूं. मैं उससे बहुत प्रभावित हूं. हालांकि, मैं यह समझ नहीं पाती कि उसके आत्मविश्वास को देखकर मुझे हैरानी क्यों होनी चाहिए. लेकिन, चाहे वह 'कॉफी विद करण' हो या राजीव मसंद को दिया इंटरव्यू.. उसका आत्मविश्वास, विनम्रता और आकर्षण देख मुझे बेहद खुशी होती है. जिस तरह से वह उभर कर आई है, यह देखना अभिभूत कर देने वाला है. जब उससे पूछा गया कि कोलंबिया यूनिवर्सिटी जाने के बाद वह फिल्मों में काम क्या कर रही है तो उसने कहा कि शिक्षा उसके लिए एक शख्स के तौर पर समझ व विकास के लिए था और न कि करियर के लिए. वह अपनी बात कहने में कभी भी संकोची नहीं रही और जिस तरह से करण जौहर के शो में अपने पिता के समर्थन में वह खड़ी नजर आई, उस पर मुझे वास्तव में गर्व है."
तैमूर को मिल रही अटेंशन से परेशान हैं शर्मिला
शर्मिला से जब पूछा गया कि उनका पोता तैमूर मीडिया में सुपरस्टार बन चुका है तो उन्होंने हंसते हुए कहा कि इस बात लेकर उन्हें थोड़ी चिंता होती है. "फिलहाल तैमूर इन सब चीजों को समझने के लिए बहुत छोटा है, लेकिन बड़े होने पर ज्यादा मीडिया अटेंशन मिलने से वह प्रभावित हो सकता है. लेकिन जैसे कि सारा ने कहा है कि हम इस बारे में क्या कर सकते हैं? आज के दौर में हम मीडिया के बिना रह ही नहीं सकते"
शर्मिला ने कहा, "दो खूबसूरत बच्चों पोता (तैमूर) और नातिन (इनाया) की मौजूदगी से निश्चित रूप से मेरी खुशी बढ़ी है. मैं जितना उन्हें मिल सकती हूं मिलती हूं, लेकिन ज्यादा नहीं क्योंकि हम अलग-अलग शहरों में रहते हैं. लेकिन मैं इतना जरूर कहना चाहूंगी कि उन्हें देखकर मुझमें फिर से एक नई ऊर्जा आ जाती है, उत्साहित हो जाती हूं. तैमूर और इनाया के इर्द-गिर्द होने से सच में मुझे खुशी होती है और जैसा कि मैंने कहा कि मैं चाहती हूं कि ज्यादा से ज्यादा वक्त उनके साथ गुजार सकूं."
पति मंसूर पटौदी पर बायोपिक को लेकर उत्साहित
शर्मिला ने यह पूछे जाने पर कि क्या वह अभी भी अपने पति व पटौदी के नवाब मंसूर अली खान पटौदी पर बायोपिक को लेकर उत्साहित हैं तो उन्होंने कहा, "देखिए, यह इस पर निर्भर करेगा कि जहाज का कप्तान कौन है, निर्माता और निर्देशक. मेरा मनना है कि उनके जीवन में जो उतार-चढ़ाव व रोचक घटनाएं हुई उस हिसाब से यह एक अच्छी कहानी है. पिता का निधन होना, एक आंख खो देना, उसके बाद उनका एवरेज 60 से 30 पर आ गया, इतनी कम उम्र में इतना सब सहना..मुझे नहीं लगता कि कोई और इन सबसे से सहजता से निपट पाता. आंख दुर्घटना के बाद उन्होंने न केवल बल्लेबाजी की बल्कि क्षेत्ररक्षण भी किया. मेरे ख्याल से वह एक असाधारण खिलाड़ी थे. भगवान जानते हैं कि अगर उनके दोनों आंख होते तो फिर वह कितनी उपलब्धि हासिल कर लेते." उन्होंने कहा कि जिंदगी ने उन्हें जो कुछ दिया है उसके लिए वह आभारी हैं.