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कुणाल कपूर ने आदिवासी राजाओं के साथ गुजारे सात दिन

कुणाल कपूर को करीब से जानने वाले इस बात से पूरी तरफ इत्तेफाक रखते हैं कि कुणाल जिस काम को हाथ में लेते हैं उसे पूरी शिद्दत से निभाते हैं. अब उनकी हालिया फिल्म ‘कौन कितने पानी में’ के लिए भी कुछ ऐसा ही किया है.

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कुणाल कपूर
कुणाल कपूर

कुणाल कपूर को करीब से जानने वाले इस बात से पूरी तरफ इत्तेफाक रखते हैं कि कुणाल जिस काम को हाथ में लेते हैं उसे पूरी शिद्दत से निभाते हैं. अब उनकी हालिया फिल्म ‘कौन कितने पानी में’ को ही लीजिए. सूत्रों की मानें तो ओडिसा की पृष्ठभूमि पर बनी इस फिल्म में राजा के बेटे का किरदार निभा रहे कुणाल ने अपने इस ओडिया किरदार को इस संजीदगी से लिया कि सचमुच निकल पड़े ओडिसा के अदिवासी इलाकों में बसे छोटे छोटे राजाओं से मिलने.

हालांकि इस सिलसिले में जब निर्देशक नील माधब पांडा से बात की गई तो उन्होंने कहा, "कुणाल सही मायनों में पर्फेक्शनिस्ट हैं. मैं ओडिसा का हूं सो मैंने पहले ही इस फिल्म के लिए काफी रिसर्च कर रखी थी लेकिन जब मैं इस किरदार के साथ कुणाल के पास गया तो उन्होंने अपनी तरफ से इस किरदार के लिए रिसर्च की पेशकश की. सच पूछिए तो इससे अच्छी बात मेरे लिए और क्या हो सकती थी. आपको जानकर हैरानी होगी कि अपने किरदार को पुख्ता करने के लिए कुणाल ना सिर्फ ओडिसा के आदिवासी राजाओं से मिले बल्कि उनके साथ सात दिन भी बिताए. इन सात दिनों में कुणाल ने न सिर्फ करीब से उनका रहन-सहन देखा बल्कि उनके इतिहास से जुडी कई जानकारियां हासिल की. यह उनकी मेहनत ही है जिसने उनके किरदार को इतना वास्तविक बना दिया है."

इस बारे में कुणाल ने बताया, "हमारी फिल्म कौन कितने पानी में, ओडिसा के बालनगीर इलाके की पानी की समस्या को केंद्र में रखकर बनाई गई है. इस फिल्म में मैं एक राजकुमार का किरदार निभा रहा हूं और यह फिल्म के निर्देशक नील माधब पांडा का फैसला था कि मुझे अपने किरदार को पुख्ता बनाने के लिए उनके साथ कुछ वक़्त बिताना चाहिए." गौरतलब है कि कुणाल ने अपने राजकुमार के किरदार को पुख्ता बनाने के लिए वे एक तक हफ्ते ओडिसा के सैलश्री महल में ठहरे थे. 

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