दादा साहब फाल्के को भारतीय सिनेमा के जन्मदाता के रूप में जाना जाता है. उन्होंने ही भारत में सिनेमा की नींव रखी. फाल्के का जन्म 30 अप्रैल 1870 को त्रयंबक महाराष्ट्र में हुआ था. दादा साहेब फाल्के ने ही देश में सिनेमा की शुरुआत की और साल 1913 में उन्होंने राजा हरिश्चंद्र नाम की एक फुल लेंथ फीचर फिल्म बनाई. उनके जन्मदिन पर जानिए उनके बारे में कुछ रोचक बातें.
दादासाहब फाल्के एक जाने-माने प्रड्यूसर, डायरेक्टर और स्क्रीन राइटर थे जिन्होंने अपने 19 साल लंबे करियर में 95 फिल्में और 27 शॉर्ट मूवीज़ बनाईं. कम लोग ही जानते हैं कि दादा साहेब फाल्के का असली नाम धुंधिराज गोविन्द फाल्के था. उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा टर्निंग प्वाइंट 'द लाइफ ऑफ क्रिस्ट' फिल्म थी, यह एक मूक फिल्म थी. इस फिल्म को देखने के बाद दादा साहब के मन में कई तरह के विचार तैरने लगे तभी उन्होंने अपनी पत्नी से कुछ पैसे उधार लिए और पहली मूक फिल्म बनाई.
दादा साहब फाल्के ने 'राजा हरिश्चंद्र' से डेब्यू किया जिसे भारत की पहली फुल-लेंथ फीचर फिल्म कहा जाता है. बताया जाता है कि उस दौर में दादा साहब फाल्के ने 'राजा हरिश्चंद्र' का बजट 15 हजार रुपये था.
दादा साहब को शुरुआत से ही फिल्म बनाने में रुचि थी. उनके जीवन में नया मोड़ तब आया जब उन्होंने क्रिसमस के दौरान 1910 में मुंबई के एक थिएटर में एक फिल्म देखी. यह फिल्म जीसस क्राइस्ट के जीवन पर बनी थी. फिल्म का नाम था 'द लाइफ ऑफ क्राइस्ट'. यही वह समय था जब दादा साहब फाल्के के मन में फिल्में बनाने के ख्याल ने दस्तक दी. उन्हें क्राइस्ट की जगह कृष्ण और राम नजर आने लगे. यहीं से शुरु हुआ उनके फिल्म बनाने का सफर.
इसके बाद उन्होंने फिल्में बनाने को लेकर एक्सपेरिमेंट करने शुरू कर दिए. इस सिलसिले में उन्होंने एक शोध फिल्म बनाई और उसका नाम मटर के पौधे का विकास रखा. इस दौरान वो मटर के पौधे के विकसित होने का चित्र लेते रहे और उन्होंने तब तक उसका चित्र लिया जब तक वो पौधा पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो गया और बाद में उस विकास की पूरी प्रक्रिया को फिल्म का रूप दिया.