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बहन की शादी में गाया गाना, और बदल गई इस सिंगर की जिंदगी

आज भी युवाओं के बीच मुकेश की आवाज को पसंद किया जाता है. उनके गाने आज भी उतने ही प्रेम से सुने जाते हैं जितने 60 और 70 के दशक में लोग सुनते थे.

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मुकेश
मुकेश

भारत में संगीत को दिल से पसंद करने वाले लोगों के लिए गोल्डन इरा यानि 60 और 70 के दशक के गानों का एक खास मेहत्व है. इस दौरान ऐसे तो कई बड़े गायकों ने अपनी पहचान बनाई. इनमें तीन प्रमुख नाम जो बॉलीवुड की पॉपुलर तिगड़ियों में शुमार किए जाते हैं वो थे- मोहम्मद रफी, मुकेश और किशोर कुमार. आज भी युवा इन महान गायकों को फॉलो करते हैं. इन्हीं में से एक बेमिशाल आवाज के धनी मुकेश चंद्र माथुर की आज पुण्यतिथि है. बता रहें हैं उनके जीवन से जुड़े कुछ किस्से.

मुकेश का जन्म 22 जुलाई 1923 को हुआ था. गायकी के शौकीन मुकेश का बचपन में पढ़ाई में मन नहीं लगता था. 10वीं के बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और लोक निर्माण विभाग में नौकरी कर ली. लेकिन गायकी के प्रति अपना रुझान देखकर उन्होंने वॉइस रिकॉर्डिंग करना शुरू कर दिया.

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इसी दौरान एक ऐसा वाकया हुआ, जिसने उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल दी. बहन की शादी में मुकेश ने एक गाना गाया. शादी में आए वीआईपी गेस्ट और उनके दूर के रिश्तेदार मोतीलाल को मुकेश की आवाज बहुत पसंद आई. उन्होंने मुकेश को ऑफर दिया, फिर क्या था मुकेश ने बिना सोचे हां कर दी और रवाना हो गए.  मुंबई में मोतीलाल जी ने मुकेश को संगीत गुरु पंडित जगन्नाथ प्रसाद को सौंप दिया. यहीं से मुकेश के सिंगिंग करियर की मजबूत नींव तैयार हुई.

मुकेश ने 1941 में आई फिल्म निर्दोष से एक्टिंग में हाथ आजमाया. लेकिन फिल्म ज्यादा चली नहीं. इसके बाद कई मर्तबा मुकेश ने एक्टर बनने की कोशिश की, लेकिन वे सिंगर ही रहे. बताते है कि अपने इस शौक को पूरा करने चक्कर में मुकेश की  आर्थिक स्थिति खराब हो गई थी. उनके पास बच्चों को पढ़ाने तक के पैसे नहीं बचे थे. बॉलीवुड अभिनेता नील नितिन मुकेश सिंगर मुकेश के पोते हैं. इसके अलावा उनके बेटे नितिन मुकेश ने भी सिंगिंग में हाथ आजमाया और कुछ सुपरहिट गानें भी गाए.

राजकपूर की फिल्म 'सत्यम शिवम सुंदरम' के गाने 'चंचल निर्मल शीतल' की रिकॉर्डिग पूरी करने के बाद वह अमेरिका में एक कंसर्ट में भाग लेने के लिए चले गए, जहां 27 अगस्त 1976 को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया. मुकेश को राज कपूर की आवाज माना जाता था. मगर इसके अलावा और सिंगरों के लिए भी उन्होंने एक से बढ़ कर एक नगमें गाए. बेशक वक्त की गर्दिश में यादों के सितारे डूब जाते हैं. लेकिन यादें खत्म नहीं होती हैं. लेकिन ये कहना गलत नहीं होगा कि उनकी आवाज आज भी हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में कहीं ना कहीं हमसे टकराती है.

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