यश चोपड़ा के चौथे पर बॉलीवुड की मशहूर हस्तियां अंधेरी स्थित यश राज फिल्मस स्टूडियो पहुंचीं. चौथे पर बॉलीवुड अभिनेत्री कैटरीना कैफ भी पहुंचीं.
यश चोपड़ा के चौथे में अनुष्का शर्मा भी शरीक हुईं.
चौथे के कार्यक्रम में शाहरुख खान अपनी पत्नी गौरी खान के साथ पहुंचे. इस दौरान शाहरुख भावुक हो गए थे.
बॉलीवुड के नामी चेहरों ने यश राज फिल्मस स्टूडियो आकर यश चोपड़ा के निधन पर अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं.
चौथे में अभिनेत्री बिपाशा बसु भी शरीक हुईं.
चौथे में फिल्मकार बोनी कपूर भी शामिल हुए.
यश चोपड़ा के चौथे में सदी के महानायक अमिताभ बच्चन अपने परिवार सहित पहुंचे.
यश चोपड़ा के चौथे में जया बच्चन भी पहुंचीं.
चौथे में एश्वर्या राय बच्चन.
यश चोपड़ा के चौथे के इस कार्यक्रम में फराह खान उनकी याद में भावुक हो गईं.
खराब सेहत के बावजूद शशि कपूर भी यश चोपड़ा के चौथे में शामिल हुए.
यश चोपड़ा के चौथे के दौरान डॉली बिंद्रा.
चौथे पर कई बॉलीवुड दिग्गज इतने इमोश्नल हो गए कि उनकी आंखों से आंसू झलक पड़े.
यश चोपड़ा के चौथे में फिल्मकार आशुतोष गोवारिकर पत्नी संग पहुंचे.
'बैंड बाजा बारात' फिल्म से लाइमलाइट में आए अभिनेता रणवीर सिंह भी यहां पहुंचे.
चौथा यश राज फिल्म्स स्टूडियो में गुरुवार शाम छह से सात बजे के बीच रखा गया था, जिसमें ऋतिक रोशन भी शामिल हुए.
फिल्मकार मुकेश भट्ट ने यहां आकर यश के जाने पर दुख जताया.
फिल्म जगत का हर नामी निर्माता-निर्देशक यहां पहुंचा.
जाने-माने फिल्मकार और लेखक शेखर कपूर ने भी यहां हाजिरी लगाई.
चौथे में शाहरुख जो कि यश चोपड़ा की अंतिम फिल्म 'जब तक है जान' के हीरो हैं.
कार्यक्रम में फिल्म निर्माता-निर्देशक प्रकाश झा भी दिखे.
अभिनेत्री समीरा रेड्डी भी यहां पहुंची.
चौथे में अभिनेत्री सेलिना जेटली भी पहुंची.
चौथे के इस कार्यक्रम में हर कोई यश जी को याद कर रहा था. हर होठ पर उनकी तारीफ थी.
दविंगत यश चोपड़ा के चौथे पर पहुंचे अभिनेता जुगल हंसराज.
उदासी हर तरफ है, गम से उबरना मुश्किल है. हर बात में याद आता है वो. हर चीज में नजर आता है वो. अपनी यादों का खजाना देकर वो चला गया और दे गया आंसुओं को अपना पता. तभी तो उसका जिक्र छिड़ते ही आंसू आंखों से निकलने का खुद ही रास्ता ढूंढ लेते हैं.
यश चोपड़ा के चौथे में श्रद्धांज़लि देने के लिए जब बॉलीवुड यशराज स्टूडियो में उमड़ा तो हर किसी ने बस यही कहा कि हमें यूं रोता बिलखता छोड़ तुम कहां चले गए.
नम आंखें, बुझे चेहरे, उदास चाल. यशराज स्टूडियो में सितारों का जमघट तो था, लेकिन, वो चमक नहीं थी, जो आम तौर पर हुआ करती है.
यश चोपड़ा से जुदाई के गम के बादल ने सितारों की इस शाम को स्याह सा बना दिया था.
ये यशराज का चौथा था और लोग इकट्ठा हुए थे, उन्हें अपनी श्रद्धांजलि देने.
पीढ़ियां गुजर गईं, लेकिन यशराज का असर कभी कम नहीं हुआ. और ये असर यशराज की अंतिम विदाई से लेकर इस शोक सभा तक दिखा.
हर उम्र के सितारे आए थे अपनी उम्मीदों के यश की आत्मा की शांति के लिए दुआ करने. हर पीढ़ी के सितारे मौजूद थे यश चोपड़ा को यादों के झरोखों से देखने के लिए.
1959 के बाद शायद ही कोई ऐसा सितारा होगा, जिसने यश चोपड़ा के इशारों को ना माना हो.
अद्भुत फिल्मकार के साथ-साथ एक अद्भुत इंसान. कोई भूले भी तो कैसे, कोई खुद को रोके भी तो कैसे. कमबख्त ना आंखें मानती हैं और ना दिल. यादों के भंवर में फंसकर आंखें दरिया हो रही थीं.
मुहब्बत का मसीहा चला गया. छोड़ गया तो बस यादें और गमों का कभी ना खत्म होने वाला एक सिलसिला.
यश चोपड़ा की श्रद्धांजलि सभा में हर किसी ने अपने अपने तरीके से उन्हें याद किया.
नौजवानी की लहरों पर तमन्नाओं का अफसाना हर कोई नहीं लिख देता. उसके लिए दिल चाहिए, दिलदारी चाहिए और मन की पैरोकारी चाहिए. इसीलिए एक ही यश चोपड़ा हुआ आजतक.
वो गया तो एक शुन्य भर गया. अब पीछे मोहब्बत का एक बिलखता हुआ संसार है प्यार के गुलशन में तनहाई के गीत गुनगुनाता हुआ.
प्रेम के युद्ध को गढ़ने के लिए बड़ी नाज़ुक उंगलियों की दरकार होती है. जरूरत होती है जज़्बात को मुलायमियत के साथ पकड़ने की. लेकिन जो इसे कैमरे के कैनवस पर लिख दे वो तो एक ही हुआ, और शायद आखिरी भी.
80 बरस की उम्र में यश जी का निधन हुआ. लेकिन लगा ऐसे जैसे संभावनाओं की एक पूरी श्रृंखला टूट गई है. जैसे एक आदमी नहीं गया हो, एक यात्रा रुक गई हो. जैसे बहुत कसके रूठ गया हो जज़्बात के आसमान का सूरज. कि वो कभी नहीं आएगा, कभी नहीं आएगा.
कहते हैं प्यार के बाग कभी वीरान नहीं होते. वो आबाद रहते हैं प्यार के पंछियों से, मोहब्बत के महकते हुए फूलों से. लेकिन झूठ कहते हैं वो. हर दरख्त को मोहब्बत की मिट्टी मयस्सर नहीं होती.
सैकड़ों फिल्में बनीं, हजारों गाने लिखे गए, लाखों संवाद लिखे गए. लेकिन जिसे देखते हुए आंखें नम हो आएं और दिल महसूस करे नश्तर की धार को उसे गढ़ने के लिए यश चोपड़ा
होना पड़ता है.
यश चोपड़ा के चौथे पर पहुंची गायिका अल्का यागनिक.
अभिनेता फारूख शेख भी इस मौके पर मौजूद थे.
यश चोपड़ा के चौथे पर पहुंचे निर्देशक अब्बास-मस्तान.
गजल गायक पंकज उधास भी यश चोपड़ा को श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे.
बोलने का मौका आया, तो अनुपम खेर इतना ही बोल पाए. नहीं भूल पाऊंगा उन बारह बरसों के नाश्तों को जो हमने साथ किए. आज उन्हें विदाई देने आए हैं, लेकिन वो दिल से कहीं जाने वाले नहीं.