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कौन थीं जिन्ना की बहन फातिमा, जिनके जनाजे पर हुआ पथराव? पाकिस्तान में 'गदर' मचाएगी ये सीरीज

पाकिस्तान में जल्द ही रिलीज होने वाली है फातिमा जिन्ना की बायोग्राफी. इसका नाम है- 'फातिमा जिन्ना: सिस्टर, रिवोल्यूशन, स्टेट्समैन'. जो कि पाकिस्तान के ओटीटी प्लेटफॉर्म और aur.digital पर 14 अगस्त को रिलीज की जाएगी. फातिमा पाकिस्तान के जिल्ल-ए-इलाही यानी फाउंडर मोहम्मद अली जिन्ना की छोटी बहन थीं. पाकिस्तान में उन्हें 'मादर-ए-मिल्लत' (कौम की मां) और ख़ातून-ए-पाकिस्तान (लेडी ऑफ पाकिस्तान) का टाइटल दिया गया है.

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सामिया मुमताज, फातिमा जिन्ना, सुन्दुस फरहान
सामिया मुमताज, फातिमा जिन्ना, सुन्दुस फरहान

आजादी का हफ्ता है, भारत में इस वक्त गदर माहौल है. आखिर सनी देओल की फिल्म गदर 2 जो रिलीज हुई है. जहां गदर पार्ट 1 में बॉर्डर पार जाकर तारा सिंह अपनी सकीना को महफूज बचाकर वापस भारत लाता है. वहीं दूसरे पार्ट में तारा सिंह फिर पाकिस्तान जाएगा और अपने बेटे को बचाकर लाएगा. फिल्म के डायलॉग्स ने 2001 में लोगों के अंदर देशभक्ति की आग लगा दी थी, इस बार भी मेकर्स का कुछ ऐसा ही प्लान है. 

ये तो हुई भारत की बात. अब ये तो तय है कि जिक्र जब भी बॉर्डर का होगा तो पाकिस्तान जहन में जरूर आएगा. जब आजादी के हफ्ते में भारत में तारा सिंह का बोलबाला हो सकता है तो, पाकिस्तान में भी कुछ खिचड़ी तो पक ही रही होगी. आखिर ये उस देश का जन्मदिवस जो है. तो आपको बता दें कि पाकिस्तान में जल्द ही रिलीज होने वाली है फातिमा जिन्ना (Fatima Jinnah) की बायोग्राफी. इसका नाम है- 'फातिमा जिन्ना: सिस्टर, रिवोल्यूशन, स्टेट्समैन'. जो कि पाकिस्तान के ओटीटी प्लेटफॉर्म और डॉट डिजिटल (aur.digital) पर 14 अगस्त को रिलीज की जाएगी. इस सीरीज में भारत-पाकिस्तान के बंटवारे को फातिमा की नजरों से दिखाया जाएगा. हाल ही में इस सीरीज का एक प्रोलॉग वीडियो लॉन्च किया गया. इसे देख लोगों में क्रेज बढ़ गया है. क्योंकि दोनों देशों के इतिहास को बदल देने वाले मोहम्मद अली जिन्ना ही बहन फातिमा का टॉपिक आज तक किसी ने नहीं उठाया है.

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कौन थीं फातिमा जिन्ना
अंग्रेजों के अधीन देश भारत के इतिहास की वो पहली महिला थीं, जिसने डेंटिस्ट की पढ़ाई की और अपना क्लीनिक भी खोला. फातिमा पाकिस्तान के जिल्ल-ए-इलाही यानी फाउंडर मोहम्मद अली जिन्ना की छोटी बहन थीं. पाकिस्तान में उन्हें 'मादर-ए-मिल्लत' (कौम की मां) और ख़ातून-ए-पाकिस्तान (लेडी ऑफ पाकिस्तान) का टाइटल दिया गया है. उन्होंने बांद्रा से पढ़ाई की और कलकत्ता से डेंटल साइंस में डिग्री लेने के बाद बॉम्बे (अब मुंबई) में एक डेंटल क्लिनिक खोला था. उन्होंने महिलाओं के हक के लिए भी आवाज उठाई और पाकिस्तान के बनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. फातिमा 30 जुलाई 1893 में पैदा हुई थीं, लेकिन जब 9 जुलाई 1967 को उनकी मौत हुई तो दफ्न करने को लेकर खूब हंगामा हुआ. जब फातिमा का जनाजा ले जाया जा रहा था, तब सिर्फ औरतें और बच्चे ही जख्मी नहीं हुए, बल्कि एक शख्स की जान भी गई. क्योंकि जनाजा ले जाते हुए खूब पथराव हो गया था. पेट्रोल पंप में आग लगा दी गई थी. क्या हुआ था ऐसा? क्यों जिसको पाकिस्तान के लोग इतना चाहते थे, उसके जनाजे में खूनी संघर्ष हो गया?

भाई मोहम्मद अली जिन्ना के साथ फातिमा जिन्ना

भाई की मौत के बाद संभाली सियासत

दरअसल, फातिमा की शादी रत्तनबाई पेटिट से शादी हुई थी, लेकिन 1929 में पति की मौत के बाद वो अपने भाई मोहम्मद अली जिन्ना के घर आ गईं. 19 साल तक वो उन्हीं के साथ रहीं. फिर 11 सितंबर 1948 को मोहम्मद अली जिन्ना का देहांत हो गया. उनके जाने के बाद पूरी बागडोर फातिमा ने संभाल ली. हालांकि जिन्ना की मौत के बाद फातिमा को सियासत से दूर रखने की पूरी कोशिश की गई. जिन्ना की डेथ एनिवर्सरी पर अक्सर उन्हें भाषण देने तक से रोका गया. उस दौरान के हुकमरानों की शर्त होती थी कि पहले फातिमा उस स्पीच को शेयर करें, जो वो रेडियो पर आवाम को सुनाना चाहती हैं. लेकिन फातिमा हर बार मना कर दिया करती थीं. हुकूमत का मानना था कि फातिमा देश की जनता को भड़काने वाला बयान देना चाहती हैं. 

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जिससे डरी सरकार...

लेकिन जिन्ना की तीसरी बरसी पर उन्हें भाषण देने का मौका मिला. लेकिन जब उनकी बारी आई और फातिमा ने बोलना शुरू किया तो अचानक ट्रांसमिशन बंद कर दी गई. कुछ देर तक ये ट्रांसमिशन बंद ही रही. बाद में जानकारी मिली कि फातिमा की तहरीर में कुछ ऐसी बाते थीं जो सरकार को निशाने पर ले लेती. हुकूमत को लगा कि इससे बात टल जाएगी, लेकिन हुआ इसके उलट. जनता को जब फातिमा का भाषण सुनने को नहीं मिला तो, सरकार की ओर से बहाना दिया गया कि बिजली चली गई थी. ये बात आवाम को नागवार गुजरी. लोगों में काफी नाराजगी फैली थी. फिर भी फातिमा की जिंदगी में मुश्किलों का दौर चलता रहा. आखिरकार 9 जुलाई 1967 को फातिमा का इंतकाल हो गया. 

फातिमा जिन्ना के जनाजे में उमड़ी भीड़

जनाजे पर मचा बवाल, हुआ खूनी संघर्ष

उन्हें श्रद्धांजलि देने पूरा हुजूम उमड़ा. फातिमा की आखिरी इच्छा थी कि उन्हें भाई जिन्ना की बगल वाली कब्र में ही दफनाया जाए. उनके जनाजे में बूढ़े से लेकर महिलाओं-बच्चों तक लाखों लोग शामिल हुए. फूल बरसाए जा रहे थे. दफनाने से पहले जब आखिरी बार कुछ लोगों ने फातिमा की सूरत देखनी चाही तो लोगों ने पुलिस को पीछे हटा दिया. ये बात लोगों को नागवार गुजरी और हंगामा मच गया. हालात काबू से बाहर हो गए. पुलिस ने लाठीचार्ज किया, आंसू गैस के गोले छोड़े. जवाब में भीड़ ने पुलिस पर पथराव कर दिया. इस भगदड़ में एक शख्स की मौत हो गई और कई बच्चे-महिला जख्मी हो गए. इसके बाद कई लोगों ने आरोप लगाया कि फातिमा का कत्ल हुआ है, तभी उन्हें चेहरा नहीं देखने दिया गया. उस वक्त के नेता रहे अय्यूब खान पर भी आरोप लगाए गए. हालांकि इस मामले पर कोई जांच नहीं हुई. 

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जल्द रिलीज होगी सीरीज

14 अगस्त को रिलीज होने वाली सीरीज में फातिमा की जिंदगी तीन हिस्सों में दिखाई जाएगी. पहला हिस्सा उनकी उम्र के 30 साल के आसपास का होगा, जिसमें बंटवारे से पहले की कहानी होगी. फिर बंटवारे के दौर की कहानी होगी, जब उनकी उम्र 50s में थी और तीसरे हिस्से में उनके 70s के दौर की कहानी होगी, जो बंटवारे के बाद के पाकिस्तान को दिखाएगी. इन किरदारों को सुन्दुस फरहान, सजल अली और सामिया मुमताज निभाएंगी. शो को दानियाल के. अफजल ने डायरेक्ट किया है.

 

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