
एक तरफ जहां बॉलीवुड का पूरा ध्यान एक्शन, रोमांस, थ्रिलर से भरपूर मसालेदार फिल्में बनाने पर लगा है. तो वहीं दूसरी तरफ तमिल सिनेमा के एक्सपेरीमेंटल कॉन्सेप्ट लोगों की नब्ज़ पकड़कर दिल तक पहुंचने का रास्ता बना रहे हैं. थियेटर पर रिलीज हुई फिल्म '777 चार्ली' ने बिल्कुल यही काम किया है. फिल्म एक इंसान और कुत्ते के बीच गजब की बॉन्डिंग को प्रेज़ेंट करती है. इसके इमोशनल कनेक्शन की जितनी भी तारीफ की जाए, कम है. खासतौर से चार्ली (कुत्ते का नाम) की अदाकारी पर तो फैंस फिदा ही हो गए.
'777 चार्ली' में चार्ली के एक्सप्रेशन और बिहेवियर को तराशने का काम एक प्रोफेशनल डॉग ट्रेनर प्रमोद बीसी ने किया है. एक इंटरव्यू में प्रमोद ने चार्ली के साथ अपनी जर्नी शेयर की है. उन्होंने बताया कि फिल्म के लिए चार्ली का सिलेक्शन कैसे हुआ और उसे कैमरा फ्रेंडली बनाने के लिए उन्हें कितनी मेहनत करनी पड़ी.
प्रमोद ने बताया कि असल में चार्ली एक एडॉप्टेड फीमेल लैब्राडोर (गोद लिया हुआ कुत्ता) है. फिल्म डायरेक्टर किरनराज के. इस मूवी के लिए लैब्राडोर ब्रीड तलाश रहे थे. तभी उन्हें अपने फ्रेंड सर्किल से चार्ली के बारे में पता चला. उस वक्त चार्ली सिर्फ 55 दिन की थी और बहुत शरारती थी. फिल्म की तरह चार्ली असल जिंदगी में भी घर में तोड़-फोड़ और स्लिपर्स-फर्नीचर चबाने से बाज़ नहीं आती थी. इससे परेशान होकर चार्ली के मालिक ने उसे किसी को गोद देने का फैसला किया और इस तरह डायरेक्टर की चार्ली से पहली मुलाकात हुई.

क्यों भाग जाते थे चार्ली के ट्रेनर?
'चार्ली 777' की कहानी एक इंसान और कुत्ते के बीच रिलेशनशिप पर आधारित है. फिल्म के ज्यादातर हिस्सों में सिर्फ चार्ली ही नजर आती है. लेकिन चार्ली को पर्दे पर लाने से पहले उसे ट्रेंड करना जरूरी था. टीम को एक परफेक्ट डॉग ट्रेनर की कमी महसूस हुई. इसके लिए देशभर में कई ट्रेनर्स के ऑडिशंस हुए. ऑडिशन में 160 एक्टिविटीज की पूरी लिस्ट थी, जिसमें कुत्ते को परफॉर्म कराना था. ये काम इतना मुश्किल था कि एक्टिविटीज की लिस्ट देखते ही ट्रेनर्स भाग जाते थे. हर किसी को ये एक नामुमकिन टास्क लग रहा था.
'कावलुदारी' के डायरेक्टर हेमंत राव ने किरनराज को प्रमोद (डॉग ट्रेनर) के बारे में बताया और इस तरह प्रमोद की फिल्म में एंट्री हुई. हालांकि जब प्रमोद ने एक्टिविटीज की लिस्ट देखी तो उनकी भी नींद उड़ गई. प्रमोद को एक्टिविटीज की चिंता सता रही थी, लेकिन उससे भी बड़ी चुनौती वो इमोशन थे जिसकी उम्मीद फिल्म निर्माता कर रहे थे. प्रमोद को वो इमोशन ही चार्ली के अंदर से निकालकर कैमरे पर लाने थे.

कन्नड़-अंग्रेजी समझने लगी थी चार्ली
प्रमोद कहते हैं कि जैसे-जैसे स्क्रिप्ट में सुधार हुआ, टास्क मुश्किल और बड़ा होने लगा. शरुआत में करीब 150 टास्क थे, लेकिन बाद में ये बढ़कर 300 से 450 तक पहुंच गए. चर्ली के बचपन वाले हिस्से को कैप्चर करने के लिए मुझे सिर्फ 45 दिन का समय मिला. चार्ली 55 दिन की थी और हमें उसके बड़े होने से पहले ही वो सीन शूट करने थे. इसलिए, शुरुआत के 45 दिन मैंने उसके बिहेवियर पर काम किया. मिसाल के तौर पर, अगर आप कुत्ते को बाहर वॉक के लिए लेकर जा रहे हैं तो वह किसी जानवर या इंसान को देखकर रिएक्ट ना करे. ट्रेनिंग के दौरान वो कन्नड़ और अंग्रेजी भाषा भी समझने लगी थी.
प्रमोद जर्मनी की इंटरनेशनल फैकल्टी से सर्टिफाइड ट्रेनर हैं. उनके पेशे में कुत्ते को ट्रेनिंग देने के लिए जिस तरकीब का सहारा लिया जाता है, उसे 'पॉजिटिव रीइनफोर्समेंट मेथड' कहते हैं. साधारण भाषा में इसे एक रिवॉर्ड बेस्ड ट्रेनिंग यानी ईनाम के बदले दी जाने वाली ट्रेनिंग कहते हैं. प्रमोद ने बताया, 'मैं खाना कटोरे से निकालकर अपने पास रखता था और इस तरह चार्ली मुझसे कनेक्ट रहती थी. एक पालतू जानवर को परफॉर्म कराने से पहले उसके भरोसे को जीतना जरूरी है. खुद पर उसका विश्वास बढ़ाने के लिए मैं उसके खाने की जरूरतों को पूरा करता था. चार्ली आज करीब साढ़े चार साल की है. चार्ली की ट्रेनिंग और शूटिंग 2018 से 2021 के बीच हुई.

कैसे रखा जाता था चार्ली का ख्याल?
शूटिंग के दौरान चार्ली का ख्याल एक्टर-एक्ट्रेस से भी ज्यादा रखा जाता था. तरह-तरह के फूड, फैसिलिटी और स्पेशल ट्रीटमेंट उसे मिलता था. चार्ली को एक लग्जरी वैन में रखा जाता था. एक्टर रक्षित शेट्टी को भी इतनी खास सुविधा नहीं मिली थी. शूटिंग पर आने के बाद चार्ली को शायद ही कभी पैदल चलने दिया जाता था. आमतौर पर उसे बच्चे की तरह गोद में ही रखते थे. उसके लिए एक टेंपरेरी स्वीमिंग पूल का इंतजाम भी था, जहां वो खूब मस्ती करती थी. हमारा ध्यान हमेशा उसी की तरफ रहता था. उसकी सुरक्षा हमारे लिए बहुत जरूरी थी.

बर्फीली जगह पर चार्ली ने कैसे की शूटिंग?
फिल्म का क्लाइमेक्स एक बर्फीली जगह पर शूट किया गया था. शूटिंग के लिए बहुत अच्छी व्यवस्था की गई थी. कुत्ते स्वभाविक रूप से नए परिवेश में ढलने के अनुकूल होते हैं. फिर भी हम शूट को आने वाले महीने के लिए शेड्यूल रखते थे. करीब 20 दिन पहले हम खुद उस जगह पर जाते थे. वहां ठहरते थे और तब चार्ली को उस परिवेश और तापमान में ढलने के लिए छोड़ते थे. नए परिवेश में ढलने के बाद हम एक छोटा सा प्रेक्टिस सेशन रखते थे. फिर चार्ली समझ लेती थी कि वहां कुछ एक्टिविटीज हैं, जिसमें उसे परफॉर्म करना है. इसके बाद हम चार्ली के लिए एक छोटी सी वर्कशॉप का इंतजाम करते थे. जब वो इसके लिए तैयार हो जाती, तब हम टीम को शूट के लिए बुलाते थे.
चार्ली की शूटिंग जहां भी होती थी, हम क्रू से लगभग 10 दिन पहले वहां पहुंच जाते थे. फिल्म का एक हिस्सा राजस्थान में भी शूट हुआ, जहां तापमान करीब 40 डिग्री सेल्सियस था. यहां शूटिंग खत्म होते ही चार्ली वापस अपनी लग्जरी वैन में चली जाती थी और चिल करती थी.

क्या है चार्ली का अगला प्रोजेक्ट?
प्रमोद कहते हैं कि हमने पहले ही दिन चार्ली से वादा किया था कि ये उसकी आखिरी फिल्म होगी. इसके बाद वो आगे कभी कैमरा फेस नहीं करेगी. हम यही चाहते हैं कि चार्ली जैसी है, वैसी ही रहे. हम चाहते हैं कि चार्ली आगे अपनी नॉर्मल लाइफ को एंजॉय करे. हम आगे किसी फिल्म में उसे एक्टिंग के लिए नहीं लेना चाहते. हम भविष्य में किसी और को उसे सौंपना नहीं चाहते.