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सस्पेंस फिल्मों के राजा एल्फ्रेड हिचकॉक की सबसे ज्यादा रेटिंग वाली वो 5 फिल्में जो आपको जरूर देखनी चाहिये

सबसे बड़े ब्रिटिश डायरेक्टर कहे जाने वाले एल्फ्रेड हिचकॉक की याद के दिन हम लाये हैं उनकी सबसे ज्यादा रेटिंग पायी हुई फिल्में. रेटिंग आईएमडीबी पर आधारित हैं. इन फिल्मों को आपको ढूंढकर देखना चाहिये. सस्पेंस, थ्रिलर के दीवानों के लिये इससे बड़ा दस्तरख़्वान और कोई नहीं.

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एल्फ्रेड हिचकॉक
एल्फ्रेड हिचकॉक

अमूमन ऐसा होता है कि किसी शख्स को किसी विधा का राजा कह दिया जाए तो बहुत सारी उंगलियां, बहुत सारे सवालिया निशानों के साथ आपकी ओर उठ खड़ी होंगी. लेकिन अगर एल्फ़्रेड हिचकॉक को सस्पेंस का राजा कह दिया जाए तो शायद ही कोई आपसे सहमत न हो. 60 साल लम्बे फिल्मी करियर में 50 के आस-पास फ़िल्में. ब्लैक ऐंड व्हाइट से लेकर रंगीन फिल्मों तक का सफर. एक से बढ़कर एक कहानियां. रोचक प्लॉट और उतने ही रोचक किरदार. हिचकॉक के जीनियस होने का स्तर यहां से भी मालूम पड़ सकता है कि साल 1940 में आयी फिल्मों के एकेडेमी अवॉर्ड्स (13वें) में उनकी बनायी दो फिल्में बेस्ट पिक्चर के लिये नॉमिनेट हुई थीं - रेबेका और द फॉरेन करेस्पॉन्डेंट. रेबेका उनके द्वारा बनायी गयी पहली अमरीकी फिल्म थी. क्यूंकि अल्फ़्रेड हिचकॉक ब्रिटिश फिल्ममेकर थे और उन्होंने अमरीकी फिल्मों में 18-20 साल बाद में कदम रखा. रेबेका ने ही 13वां एकेडेमी अवॉर्ड जीता था.

हिचकॉक की मृत्यु 29 अप्रैल 1980 को हुई. मौत के 42 साल बाद भी उनकी फिल्में उतने ही चाव से देखी जाती हैं, उन फिल्मों के बारे में उसी उत्सुकता और कौतुहल से बात होती है. इंटरनेट पर कितने ही ब्लॉग मिल जायेंगे तो उनकी फिल्मों में समाहित राजनीतिक ऐंगल के बारे में बात करते हैं. उन फिल्मों और ब्लॉग्स में पचास साल का अंतर दिखेगा. न फिल्म देखने वालों की संख्या में कमी आ रही है और न ही उन ब्लॉग्स को पढ़ने वालों की. पॉपुलर कल्चर का ये हिस्सा हिचकॉक के कद की एक छोटी सी बानगी है.

सबसे बड़े ब्रिटिश डायरेक्टर कहे जाने वाले एल्फ्रेड हिचकॉक की याद के दिन हम हम लाये हैं उनकी सबसे ज्यादा रेटिंग पायी हुई फिल्में. रेटिंग आईएमडीबी पर आधारित हैं. इन फिल्मों को आपको ढूंढकर देखना चाहिये. सस्पेंस, थ्रिलर के दीवानों के लिये इससे बड़ा दस्तरख़्वान और कोई नहीं.

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1. रियर विंडो (रेटिंग- 8.5/10)

साल 1954 में आयी फिल्म में एक फोटोग्राफर जेफ की कहानी है जो कुर्सी पर कैद हो गया है. क्योंकि उसे चोट लगी है और पैर में प्लास्टर बंधा हुआ है. लिहाज़ा वो अपने अपार्टमेन्ट की खिड़की से टिका रहता है. कैमरे में लम्बा सा लेंस लगाकर इधर-उधर ताकाझांकी उसका शगल बन चुका है. उसकी मॉडल गर्लफ्रेंड लीजा से उसकी लड़ाई भी होती है लेकिन आस-पड़ोस में हो रही हरकतें देखने के बाद वो उसकी सहायिका भी बन जाती है. जेफ को यकीन है कि सामने वाले अपार्टमेंट में रहने वाले एक शख्स ने अपनी पत्नी की हत्या कर दी थी. यहां से कहानी में सस्पेंस शुरू होता है और ये हर बदलते मिनट के साथ नये मोड़ लेता जाता है. लीजा इन्वेस्टिगेट करने की खातिर लोगों के अपार्टमेन्ट तक में घुसती है और उसे हवालात भी जाना पड़ता है. आगे कुछ भी बताया गया तो स्पॉइलर की केटेगरी में आएगा. 

इस फिल्म को 4 केटेगरी में एकेडेमी अवॉर्ड्स के लिये नॉमिनेट किया गया था.

2. साइको (रेटिंग- 8.5/10)

कई फिल्म समीक्षकों ने हिचकॉक की फ़िल्म साइको को दुनिया की सबसे हॉरर फिल्म घोषित किया है. दूसरा धड़ा स्टेनली क्यूब्रिक की फिल्म द शाइनिंग को ये ख़िताब देता है. हालांकि दोनों ही फ़िल्मों में एक समानता है - भूत या उस जैसी कोई चीज कहीं नहीं दिखती और सारा डर साउंड और कसी हुई लिखावट के दम पर खड़ा किया गया है. साइको 1960 में आयी थी और द शाइनिंग 1980 में.

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इस फ़िल्म का बाथरूम सीक्वेंस उन चुनिंदा पलों में से एक है जिन्हें एक बार देखने के बाद आप कभी नहीं भूल सकेंगे. द गार्डियन ने 2000 में इस सीक्वेंस को टॉप 10 फिल्म मोमेंट्स की लिस्ट में दूसरा स्थान दिया था.

फ़िल्म रॉबर्ट ब्लॉच के इसी नाम के उपन्यास पर आधारित है. इसमें कहानी है एक मेरियन क्रेन नाम की लड़की की, जिसने 40 हज़ार डॉलर चुरा लिये हैं और फरार हो चुकी है. भागते-भागते वो एक होटल (बेट्स मोटेल) में रात गुजारने के लिये पहुंचती है जहां उसकी मुलाक़ात होती है नॉर्मन बेट्स से. नॉर्मन बेट्स अपनी मां के साथ एक बड़े से बंगले में रहता है. बेट्स की मां उसके जीवन की एक-एक कड़ी को अपने हाथ में रखती है और ये उनकी बातों से साफ जाहिर हो जाता है. होटल में रुकने की तमाम कार्रवाई करने के बाद मेरियन पैसों को एक अख़बार के बीच छिपाकर नहाने चली जाती है. यहीं एक साया आकर उसका कत्ल कर देता है. कुछ वक़्त बाद नॉर्मन को क्रेन अपने कमरे में मरी हुई मिलती है और वो क्राइम सीन साफ करके लाश को गाड़ी के साथ एक दलदल में फेंक देता है. यहां एंट्री होती है एक प्राइवेट इन्वेस्टिगेटर की, जिसे चुराए गए पैसों के असली मालिक ने हायर किया होता है. कहानी के कई किरदार अपनी-अपनी सामर्थ्यानुसार मेरियन की तलाश में होते हैं और अंत में उसके क़ातिल तक पहुंच जाते हैं. ये पूरी प्रक्रिया आपकी आंखों की पुतलियों को लगातार हरकत में रखती है और आप पूरे वक्त चौकन्ने रहते हैं.

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3. नॉर्थ बाय नॉर्थवेस्ट (रेटिंग 8.3/10) 

1959 में आयी हिचकॉक की इस फ़िल्म ने हर उस फ़िल्म पर अपनी छाप छोड़ी है जिसमें पूरी दुनिया मुख्य किरदार (अमूमन ख़ूबसूरत, बातचीत में माहिर और खिलंदड़) के पीछे पड़ी हुई है और वो उनसे बचने की जुगत भिड़ाते हुए अपने मिशन को कामयाब करने की कोशिश कर रहा है. जेम्स बॉन्ड और बोर्न सीरीज आदि इसके बड़े उदाहरण हैं. इन फिल्मों का रस ग़लत पहचान और पीछा करने वाले सीक्वेंसों में होता है. इस लिहाज़ से नॉर्थ बाय नॉर्थवेस्ट इस विधा की शुरुआत कही जा सकती है. 80 के दशक के बाद की ऐक्शन फिल्मों में हिचकॉक की इस फिल्म के हिस्से छितराए पाये जाते हैं.

फ़िल्म की कहानी रॉजर थॉर्नहिल नाम के किरदार के बारे में है जिसे जॉर्ज कप्लान समझकर अगवा कर लिया जाता है. इसके बाद थॉर्नहिल से कई सवाल पूछे जाते हैं, उसे शराब पिलायी जाती है और नशे की हालत में उसे खाई से गिराकर मार देने की कोशिश की जाती है. थॉर्नहिल बच निकलता है और परिस्थितिवश ऐसी जगह पहुंच जाता है जहां उसे संयुक्त राष्ट्र की जनरल असेम्बली के डिप्लोमैट का हत्यारा समझ लिया जाता है क्योंकि एक फोटोग्राफर उसके हाथ में चाकू वाली तस्वीर उतार लेता है. ये तस्वीर अखबार के पहले पन्ने पर जगह पाती है. इसके बाद चूहे-बिल्ली का खेल शुरू होता है और थॉर्नहिल को खुद को बेकसूर साबित करने की हर संभव कोशिश करते देखा जाता है.

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4. वर्टिगो (रेटिंग 8.3/10)

1958 में आयी वर्टिगो हिचकॉक की उन फ़िल्मों में है जिसे आप बार-बार देखेंगे और हर बार कुछ नया पायेंगे. फिल्म अपने टाइटल और उसके अर्थ के साथ पूरा न्याय करती है.

कहानी के केंद्र में है स्कॉटी जो पुलिसवाला था और एक घटना में उसके साथी की ऊंचाई से गिरकर मौत हो जाती है. इसने स्कॉटी पर गहरा असर डाला और उसके ऊंचाई से डर लगने लगा. पुलिस से वो रिटायर हो गया और अपने एक दोस्त के कहने पर उसकी पत्नी का पीछा करने लगता है. उसके दोस्त की पत्नी मेडेलीन नॉर्मल ऐक्ट नहीं कर रही थी. इस केस में स्कॉटी यूं फंसता है कि पहले तो वो मेडेलीन से प्रेम करने लगता है और फिर एक चर्च की छत से गिर जाने के कारण मेडेलीन को खो देता है. स्कॉटी अपने ऊंचाई के डर के चलते ही मेडेलीन को बचा नहीं सका था. लेकिन असल तमाशा शुरू होता है जब उसे कुछ वक़्त बाद मेडेलीन दिखती है. मालूम पड़ता है कि वो उसकी हमशक्ल है. यहां से परतों का खुलना, कहानियों का उघड़ना शुरू होता है और एक बार फिर स्कॉटी खुद को ऊंचाई पर खड़ा पाता है. 

वर्टिगो इंसानी सनक की पेचीदा कहानी है और कितने ही फ़िल्मी ज्ञानियों ने ये कुबूल किया है कि उन्होंने सब कुछ समझने के लिये ये फिल्म 25-30 बार देखी है.

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5. शैडो ऑफ़ अ डाउट (रेटिंग 7.8/10)

1943 की ब्लैक ऐंड व्हाइट फिल्म खुद अल्फ्रेड हिचकॉक की अपनी सबसे पसंदीदा फ़िल्म थी. इस फिल्म को हिचकॉक का पहला मास्टरपीस बताया जाता है.

फ़िल्म की कहानी है चार्ली नाम की एक लड़की के बारे में को कैलिफोर्निया में रहती है. उसे मालूम पड़ता है कि उसके मामा आ रहे हैं. घर में ख़ुशी का माहौल होता है. लेकिन चार्ली को ये नहीं मालूम था कि उसका मामा चार्ल्स ओकली अपना घर छोड़कर इसलिये आया था क्योंकि दो आदमी उसके बारे में पूछताछ करते हुए उसके घर तक पहुंच गए थे. एक दिन चार्ली के घर दो आदमी आये. वो किसी सर्वे के काम से आये थे. उन दोनों ने मामा की तस्वीर ली. मामा बिफर गए और कैमरे की रील मांगने लगे. वो नहीं चाहते थे कि उनकी तस्वीर ली जाये. यहां चार्ली को शक होता है. और कहानी आगे बढ़ती है. चार्ली अपने मामा की असलियत पता लगाना चाहती है और इसमें कामयाब भी होती है. उसे मालूम चलता है कि उसका मामा हत्यारा है और उसकी तलाश की जा रही है.

 

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