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Baaghi 4 Review: टाइगर श्रॉफ का एक्शन भी बागी को नहीं बचा पाया, थका देगा स्क्रीनप्ले

साजिद नाडियाडवाला की फ्रेंचाइजी 'बागी' का चौथा पार्ट आज रिलीज हो गया है. फिल्म के ट्रेलर में हमें काफी सारा खून-खराबा और एक्शन दिखाया गया था. लेकिन इसकी कहानी का कोई हिंट नहीं मिल पाया था. आज हमने ये फिल्म फाइनली देख ली है. कैसी है टाइगर श्रॉफ की 'बागी 4'? पढ़िए हमारा रिव्यू...

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टाइगर श्रॉफ की 'बागी 4' का रिव्यू (Photo: IMDb/ Baaghi 4)
टाइगर श्रॉफ की 'बागी 4' का रिव्यू (Photo: IMDb/ Baaghi 4)
फिल्म:बागी 4
1/5
  • कलाकार : टाइगर श्रॉफ, संजय दत्त, हरनाज कौर संधू, सोनम बाजवा
  • निर्देशक :ए.हर्ष

साल 2016 में जब टाइगर श्रॉफ पहली बार एक रॉ-एक्शन फिल्म 'बागी' में नजर आए थे. तब उन्हें देखकर हर कोई ये कहने लग गया था कि बॉलीवुड को उसका नया एक्शन हीरो मिल चुका है. टाइगर जिस तरह फिल्म में अपने स्टंट्स खुद परफॉर्म करते थे, वो देखने लायक था. बागी' की सफलता के बाद इसके मेकर्स ने इसे एक फ्रेंचाइजी में बदला जो एक हद तक बॉक्स ऑफिस पर सफल रही है. 

लेकिन वो कहते हैं ना कि अगर किसी चीज को ज्यादा लंबे समय तक घिसा जाए, तो उसकी क्वालिटी में गिरावट आने लगती है. अब मैंने ऐसा क्यों कहा, ये आप आगे पढ़ेंगे तो समझ जाएंगे. करीब 5 सालों के बाद लौटी 'बागी' फ्रेंचाइजी का चौथा पार्ट आज फाइनली थिएटर्स में रिलीज हो चुका है. ये एक ए-रेटेड फिल्म है जिसके ट्रेलर में खूब सारा खून-खराबा दिखाया गया था. आखिर कैसी है ये फिल्म? आइए, आपको बताते हैं.

इस बार किस मिशन पर निकले हैं टाइगर श्रॉफ?

'बागी' फ्रेंचाइजी की एक खासियत ये है कि इनकी हर फिल्म पिछली से अलग जरूर होती है. लेकिन इसका प्लॉट और किरदार वही होता है. रॉनी यानी टाइगर श्रॉफ हर फिल्म में किसी खतरनाक मिशन पर होते हैं, जिसमें उन्हें किसी अपने की जान बचानी होती है. इस बार भी मामला वही है. लेकिन किरदारों के साथ एक बहुत बड़ा ट्विस्ट शामिल है. रॉनी, जो एक नेवी डिफेंस ऑफिसर है, उसका एक्सीडेंट हो चुका है और उसे अपनी गर्लफ्रेंड अलीशा (हरनाज कौर संधू) के सिवाय कुछ खास याद नहीं है.

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रॉनी को लगता है कि अलीशा जिंदा है. लेकिन उसे यकीन दिलाया जाता है कि अलीशा कभी इस दुनिया में मौजूद नहीं थी, वो सिर्फ उसके दिमाग में थी. रॉनी हैरान-परेशान, एक दिल-टूटे आशिक की तरह सभी को समझाता है कि अलीशा उसके दिमाग में नहीं थी. हालांकि हकीकत कुछ और होती है. उसके आसपास ऐसा माहौल बनाया जाता है, अब उसके साथ आखिर ये सब कौन कर रहा है और फिल्म में संजय दत्त का क्या रोल है, ये तो आप जब फिल्म देखेंगे, तो समझ जाएंगे.

यहां देखें फिल्म का ट्रेलर:

क्यों थकाता है 'बागी 4' का स्क्रीनप्ले?

एक फिल्म की खासियत ये होती है कि वो अपनी ऑडियंस को शुरुआत से ही कहानी से जोड़ने का काम करे. इसके साथ-साथ किरदारों से भी इमोशनली कनेक्ट कराया जाए. मगर 'बागी 4' के साथ ऐसा हरगिज नहीं होता है. फिल्म की गाड़ी पहले आधे घंटे में ही पटरी से उतरने लगती है. मेकर्स किरदारों और सीन्स को आपस में कनेक्ट कराने में हर पल चूके हैं. फिल्म में अगर इमोशनल सीन भी शामिल है, तो उसमें इमोशन फील कर पाना बेहद मुश्किल लगने लगता है. 

करीब 2.5 घंटे लंबी ये फिल्म अपनी कहानी को सेटअप करने में इतना वक्त लगा देती है कि इसका स्क्रीनप्ले शरीर और दिमाग को थकाने लगता है. फिल्म की कहानी दिलचस्प जरूर थी, मगर मेकर्स इसे स्क्रीन पर सही ढंग से उतारने में नाकामयाब हुए. रॉनी के साथ क्या हो रहा है, ये आपके दिमाग को भी घुमाने का काम करता है जिससे आप इरीटेट होने लगते हैं. स्क्रीन पर जो चल रहा है, उसका कोई सिर-पैर नहीं होता. 

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'बागी 4' की कहानी आपको सीट से बांधे नहीं रखती है. बस फिल्म में एक-दो सीन ऐसे हैं जिसमें आपकी थोड़ी हंसी जरूर छूट सकती है. बाकी इसके डायलॉग्स में भी कोई खास दम नजर नहीं आया है.

बेफिजूल का खून-खराबा, क्या हुई 'एनिमल' की कॉपी?

'बागी' फ्रेंचाइजी अपने अनोखे एक्शन कोरियोग्राफी के लिए जानी जाती है. पिछली तीन फिल्मों में टाइगर के एक्शन सीन्स स्क्रीन पर काफी सॉलिड थे. उनके सामने इस तरह की चुनौतियां रखी गईं जिसे देखकर लगता था कि वो उसे पूरा कैसे कर पाएंगे. लेकिन 'बागी 4' में ऐसा कोई भी मोमेंट नहीं था जिसे देखकर ऐसा लगा हो कि टाइगर ने अपने एक्शन से फिल्म में मजा दिलाया. 

यहां तक कि फिल्म में बतौर विलेन संजय दत्त को कास्ट किया गया. उन्होंने भी अपनी दमदार एक्टिंग से फिल्म में जान डालने की पूरी कोशिश की. लेकिन वो भी फेल हो गए. 'बागी 4' में इतना सारा खून-खराबा दिखाया गया जो बेमतलब लगा. एक पॉइंट पर ऐसा लगने लगा था कि मेकर्स 'एनिमल' टाइप फिल्म बनाना चाहते हैं. लेकिन खराब प्रेजेंटेशन के कारण, ये फिल्म सिर्फ निराश ही कर पाई.

कैसा रहा बाकी एक्टर्स का काम?

फिल्म में टाइगर श्रॉफ ने खूब मेहनत की है. उनके कुछ सीन्स ऐसे थे जिसमें उनकी मेहनत नजर आ रही थी. उन्होंने फिल्म में वो सबकुछ किया जिसकी उम्मीद पहले से की जा रही थी. लेकिन बतौर एक्टर उनकी परफॉरमेंस कोई छाप नहीं छोड़ पाई. वहीं संजय दत्त ने भी फिल्म में खूब सारा एक्शन किया है. उन्हें काफी लंबे समय बाद इस कदर का रोल करते देखा गया है. मगर उनके किरदार में कोई गेहराई ना होने के कारण, उनका काम असरदार नहीं लगता.

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'बागी 4' में ग्लैमर का तड़का लगाने के लिए सोनम बाजवा और मिस यूनिवर्स विजेता हरनाज कौर संधू भी शामिल हैं. जिन्होंने फिल्म में अपने किरदार को सही ढंग से निभाया. हरनाज ने अपनी डेब्यू फिल्म में उम्मीद से कई गुना अच्छा काम किया. उनके अलावा फिल्म में श्रेयस तलपड़े, 'एनिमल' वाले उपेंद्र लिमये और सौरभ सचदेवा भी शामिल थे जिन्होंने एक हद तक फिल्म में अपने काम से एंटरटेन किया. इनके साथ कॉमेडियन सुदेश लेहरी का भी कैमियो है जो आपको थोड़े समय के लिए अच्छा महसूस कराते हैं.

बाकी फिल्म में बी प्राक के गाने 'मरजाना' के अलावा उतने खास गाने नहीं है जिसे बाद में याद रखा जाए. इसके अलावा 'बागी 4' का बैकग्राउंड स्कोर उतना खास नहीं जो फिल्म को उठाने का काम कर सके. अंत में बस यही कहना चाहूंगा कि एक एक्शन फिल्म होने के नाते, 'बागी 4' वो भारी निराशा है जिसे भूल जाना ही एक बहुत बड़ा टास्क होने वाला है.

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