फिल्म: गब्बर इज बैक
रेटिंगः 2.5 स्टार
डायरेक्टर: कृष
कलाकारः अक्षय कुमार, श्रुति हासन, सुमन तलवार और सुनील ग्रोवर
'गब्बर' जैसी फिल्म देखकर आमिर खान का वह गाना दिमाग में घूमने लगता है कि 'दिल है कि मानता नहीं'. ऐसा ही हमारा बॉलीवुड भी है जो मानने को तैयार ही नहीं है. कुछ नया करने को इसका दिल करता ही नहीं. बस इसी उम्मीद के साथ हर शुक्रवार को एक फिल्म परोस देता है कि उसने बहुत मेहनत की है और फिल्म 100 करोड़ रु. का आंकड़ा पार कर लेगी. 'गब्बर इज बैक' भी इन्हीं इरादों के साथ बनाई गई फिल्म है. अक्षय अपनी पिछली कुछ फिल्मों के साथ संदेश देने की कोशिश करते आ रहे हैं, फिर चाहे यह 'बेबी' हो 'हॉलीडे' या फिर अब 'गब्बर इज बैक'. फिल्म का उद्देश्य अच्छा है, लेकिन ऐसा लगता है कि डायरेक्टर ने तो दिमाग ना लगाने की कसम खा ली है, और उन्हें यह बात समझ ही नहीं आ रही है कि जनता होशियार हो गई है. उसे साउथ की रीमेक बनाकर बहलाया नहीं जा सकता. फिल्म फ्लो में चलती है, लेकिन हर बात ठूंसी हुई-सी लगती है. हर चीज देखी हुई लगती है. वह भी कई-कई बार.
कहानी में कितना दम
अक्षय कुमार हमेशा सही राह पर चलने वाला प्रोफेसर है और उसका लक्ष्य यही है कि वह नई पीढ़ी में कुछ करने के लिए जोश जगाए और प्रेरित करे. उसकी लड़ाई भ्रष्टाचार से है. लेकिन उसका एक अतीत है, जिसमें वह कुछ लोगों की बेईमानी से अपने परिवार को खो बैठता है. यही उसकी लड़ाई की असल वजह भी है. वह भ्रष्ट अधिकारियों के सफाये की दिशा में कदम बढ़ाता है और गब्बर बन जाता है. किसी भी भ्रष्ट सरकारी अधिकारी को उसके अंजाम तक पहुंचाने में झिझकता नहीं है. फिल्म का लुक बहुत कुछ साउथ की फिल्मों जैसा है. शायद यह इसके रीमेक होने की वजह से हो सकता है, लेकिन यह बात खलती है. क्या बॉलीवुड क्रिएटिविटी के मामले में इतना कंगाल हो चुका है?
स्टार अपील
फिल्म हमेशा की तरह जैसा बॉलीवुड के सुपरस्टार्स के मामले में होता है, सिर्फ हीरो के लिए बनाई गई है. ऐसे में मजाल है किसी और कैरेक्टर की वह अपना जलवा या काम दिखा सके. अक्षय कुमार अच्छे लगते हैं. ऐसे रोल सिर्फ वही कर सकते हैं. कैरेक्टर में जमते हैं. लेकिन अब प्लीज कुछ नया करो. सुनील ग्रोवर थोड़े अजीब लगते हैं क्योंकि हमने उन्हें गुत्थी के रोल में ज्यादा कनेक्ट किया है. लेकिन पुलिसवाले के रोल में उन्होंने अच्छा काम किया है. श्रुति हासन को काफी मेहनत करनी है. ऐक्टिंग और डायलॉग डिलिवरी पर ध्यान देना होगा. मेन विलेन सुमन तलवार एकदम साउथ मार्का विलेन हैं.
कमाई की बात
संजय लीला भंसाली ने पिछली बार अक्षय कुमार के साथ 'राउडी राठौर' जैसी हिट दी थी. यह फिल्म भी साउथ की रीमेक थी, लेकिन जायका और वन लाइनर मजेदार थे. यह एक्स फैक्टर 'गब्बर' में मिसिंग है. फिल्म का संगीत अच्छा है. फिल्म का बजट लगभग 70 करोड़ रु. बताया जा रहा है. जिस तरह देश के किसानों के खेत मौसम की मार झेलकर बेहाल हैं, उसी तरह भारतीय बॉक्स ऑफिस बॉलीवुड की बेसिरपैर की फिल्मों की वजह से हांफ रहा है. 'गब्बर' से इसे बहुत उम्मीदें हैं लेकिन यह फिल्म हौसले बहुत बढ़ाती लगती नहीं है.