साल 2023 में आई शाहरुख खान की फिल्म 'जवान' उस साल की सबसे सफल फिल्मों में से एक थी. ये पहला मौका था जब सुपरस्टार साउथ के डायरेक्टर एटली के साथ काम कर रहे थे. फिल्म का एक गाना 'जिंदा बंदा' भी कई मायनों में खास था. इस गाने में शाहरुख ने उर्दू भाषा के मशहूर शायर वसीम बरेलवी का एक शेर इस्तेमाल किया था जिसके लिए उन्हें और उनकी टीम को शायर से खास मंजूरी लेनी पड़ी थी.
जब गाने में शेर इस्तेमाल करने के लिए शाहरुख ने ली थी मंजूरी
वसीम बरेलवी से जब एक्टर की फिल्म के मेकर्स अपने तरीके से बात कर रहे थे तब वो अपना शेर गाने में इस्तेमाल करने से मना कर रहे थे. लेकिन जब शाहरुख ने खुद उनसे बात की, तब वो तुरंत मान गए. हाल ही में लल्लनटॉप के इंटरव्यू के दौरान वसीम बरेलवी ने इस वाकया का जिक्र किया है. उन्होंने बताया कि पहली बार उन्होंने शाहरुख की फिल्म के मेकर्स को किसी कारण से शेर इस्तेमाल करने से मना किया था.
वसीम बरेलवी ने बताया, 'जवान फिल्म के स्क्रिप्ट राइटर ने मुझसे दो बार बात की. उन्होंने कहा कि हम आपका एक शेर उसूलों पर जहां आंच आए टकराना जरूरी है, जो जिंदी हो तो फिर जिंदा नजर आना जरूरी है अपने एक गाने के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं. वो उसमें थोड़े बदलाव करना चाहते थे. मैंने कहा कि मियां शेर बदला नहीं जाता है.'
'अगर शेर खास फिल्म के लिए लिखा जाएगा तो बात अलग होगी. फिर उनके डायरेक्टर का कॉल आया. मैंने उन्हें समझाया कि एक शेर को बदलना बड़ा मुश्किल होता है. अगर आप शब्द इधर-उधर कर देंगे तो वो बिल्कुल ऐसा हो जाएगा जैसे आप अपने बच्चे के हांथ-पांव काट रहे हैं. वो मेरी बात सुनकर चुप हो गए.'
शाहरुख के गाने में शेर देने के लिए नहीं थे शायर राजी, कैसे मानी बात?
वसीम बरेलवी ने आगे बताया कि राइटर और डायरेक्टर से बात करने के बाद, शाहरुख खान ने खुद उनसे बात की. तब एक्टर ने उन्हें सबकुछ ठीक से समझाया और तब जाकर वो फिल्म में अपना शेर देने के लिए राजी हुए. उन्होंने कहा, 'जो राइटर थे उन्होंने मुझे कहा कि आपसे शाहरुख खान साहब बात करना चाहते हैं. शाहरुख साहब ने बड़े अदब और इज्जत से मुझसे बात की. उन्होंने मुझे समझाया कि ये आपका शेर वैसा ही रहेगा, जैसा आपका लिखा हुआ है. लेकिन गाने की मजबूरी की वजह से हम उसमें थोड़े बदलाव करना चाहते हैं. मैंने उन्हें कहा कि अगर ये बात आपके राइटर मुझे पहली ही बार बता देते, तो मैं तभी हां कह देता. शायद आपको इतनी तकलीफ नहीं उठानी पड़ती.'
'उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए मेरा पूरा शेर पढ़ा और मुझे उसमें धन्यवाद भी कहा. ये तो उनकी फिल्म की मजबूरी थी, तभी मैंने उन्हें कहा कि कोई दिक्कत वाली बात नहीं है. मैं शाहरुख साहब का अहसानमंद हूं. हमारे बारे में जितनी बातें मीडिया में चली हैं, उसका मैं जिम्मेदार नहीं हूं.' दरअसल कुछ खबरें मार्केट में उस दौरान ऐसी आई थीं कि वसीम बरेलवी ने शाहरुख खान को काफी इंतजार कराया था. इन खबरों से शायर काफी नाराज भी हुए थे.
बात करें शाहरुख के गाने 'जिंदा बंदा' की, तो इस गाने की पहली लाइन में ही वसीम बरेलवी का शेर 'उसूलों पर जहां आंच आए टकराना जरूरी है, बांदा अगर जिंदा हो तो जिंदा नजर आना जरूरी है' सुनाई देता है जिसे शाहरुख ने खुद बोला है. गाने के लिरिक्स इरशाद कामिल ने लिखे थे. वहीं साउथ म्यूजिक डायरेक्टर अनिरुद्ध रविचंदन ने इसे कंपोज और गाया है.