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संघ परिवार ने नफरत पैदा करने के लिए बनवाई The Kashmir Files? विवेक ने ये दिया जवाब

"विवेक पर आरोप है कि फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' में कहानी को मोड़-तोड़कर दिखाया गया. कश्मीरी मिलिटेंट्स मारे गए, 1724 कश्मीरी पंडितों की मौत हुई थी और 50 हजार से ज्यादा कश्मीरी मुस्लिम्स मारे गए थे. लोगों का यह भी कहना है कि संघ परिवार द्वारा पेडल्ड यह एक नफरत पैदा करने के लिए समाज में फिल्म बनाई गई है."

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विवेक अग्निहोत्री
विवेक अग्निहोत्री
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 'द कश्मीर फाइल्स' की हर ओर हो रही चर्चा
  • विवेक अग्निहोत्री ने लगाए अपनी जेब से पैसे
  • फिल्म बनाने में किसी ने नहीं की मदद

फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' (The Kashmir Files) के लिए जब विवेक अग्निहोत्री (Vivek Agnihotri) और उनकी टीम ने करीब 700 से भी अधिक लोगों का इंटरव्यू लिया तो सभी ने उनसे केवल एक बात कही. 32 साल में हमसे आकर किसी ने पूछा भी नहीं कि हमारे साथ क्या हुआ? हमारे बारे में सब बात करते रहते हैं, लेकिन हमसे किसी ने बात नहीं की. इसलिए 'द कश्मीर फाइल्स' में एक डायलॉग है, "टूटे हुए लोग कभी बोलते नहीं, उन्हें सुना जाता है." इसी फिलॉस्फी के साथ विवेक ने यह फिल्म बनाई.

हाल ही में आजतक के मंच पर इस फिल्म के मुख्य किरदार अनुपम खेर, पल्लवी जोशी और विवेक अग्निहोत्री साथ आए. इस दौरान एंकर अंजना ने ट्वीट पढ़ा- विवेक पर आरोप है कि फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' में कहानी को मोड़-तोड़कर दिखाया गया. कश्मीरी मिलिटेंट्स मारे गए, 1724 कश्मीरी पंडितों की मौत हुई थी और 50 हजार से ज्यादा कश्मीरी मुसलमान मारे गए थे. लोगों का यह भी कहना है कि संघ परिवार द्वारा पेडल्ड यह एक नफरत पैदा करने के लिए समाज में फिल्म बनाई गई है. 

विवेक ने दिया मुंहतोड़ जवाब
इसपर विवेक अग्निहोत्री ने कहा कि यह सवाल सुपर से भी ऊपर है. इस सवाल का जवाब देना बहुत जरूरी है. कोई यह नहीं जानना चाहता है कि कल हमारे, पल्लवी और हमारे बच्चों के लिए कहां से पैसे आएंगे. किसी ने यह सवाल हमसे नहीं पूछा. सब हमें शुक्रिया कह रहे हैं. यह फिल्म जब हमने शुरू की थी, उस समय जो स्टूडियो बैक कर रहे थे, वह आखिरी मौके पर हट गए. उन्होंने कहा कि जब आप फिल्म में इस्लामिक टेरेरिज्म शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं तो आपको हिंदू टेरेरिज्म शब्द का भी इस्तेमाल करना पड़ेगा. हमने उनके साथ काम नहीं किया. आखिरी समय में हर किसी ने बैकआउट किया. 

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"हमने अपने पैसे से इस फिल्म की रिसर्च की. सारी दुनिया में कोई एक आदमी खड़ा होकर बोल दे सिवाय अभिषेक अग्रवाल जो फिल्म के प्रोड्यूसर हैं, जिसने एक पैसे का हमें विश्वास दिया हो या मदद की हो यह फिल्म बनाने में. सुरेंदर कौल यहां बैठे हैं. वह हमारे पीछे पड़े रहे कि हम आपकी पूरी मदद करेंगे, लेकिन हमने नहीं ली. यह बात हम जानते थे कि यह सभी बातें फिल्म रिलीज के बाद उठेंगी. सुरेंद्र कौल फिल्म के आर्किटेक्ट रहे हैं."

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सुरेंद्र कौल ने कहा कि यह फिल्म हमारी आत्मा है. यह फिल्म हमारी सच्चाई है. यह फिल्म किसी नफरत को पैदा नहीं करती है. मगर, कश्मीरी पंडितों की कहानी इतिहास का एक ऐसा पन्ना रही है, जिसे फाड़कर फेंक दिया गया. विवेक और पल्लवी जी ने इसे वापस लगा दिया. इस फिल्म के सहारे यह दोनों हम सभी को साल 1990 में लेकर गए. इसपर अनुपम खेर ने कहा कि वह तो उन लोगों ने ही अपने लोगों को मारा था. कई आतंकवादी घर आ जाता था और कहता था कि आपको अपनी लड़की की शादी इसके साथ करनी है. तो वह भी वहां से भागे थे.

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विवेक ने कहा कि जितने भी मैं कश्मीरी पंडितों से मिला. उनका सबसे बड़ा दुख और मलाल यह था कि अगर पाकिस्तान से आतंकवादी आकर हमारे साथ इस तरह करते तो एक बार समझ सकते थे, लेकिन हमारा कत्ल हमारे स्टूडेंट्स ने किया, जिन टीचर्स ने उन्हें पढ़ाकर बड़ा किया. हमारे दोस्त, सहेलियां, इन लोगों ने किया जो हमारे घर में आकर खेलते थे. जिन बच्चों ने घुटनों पर चलना सीखा हमारे सामने, उनकी मूंछे आ गई, उन्होंने हमारे पति को मार दिया. यह जो गम है अपनों ने ही अपनों को मारा है, वह जीते जी कभी दिल से नहीं निकल सकता. 

 

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