स्वर सरस्वती लता मंगेशकर ने दुनिया को अलविदा कह दिया है. संगीत जगत को हुई इस अपूर्णनीय क्षति पर सिंगर उदित नारायण लता को याद करते हुए भावुक हो गए. उदित ने लता जी के साथ कई गाने गए जो लोगों के दिलों पर छा गए. हम को हमीं से चुरा लो, दिल तो पागल है जैसे गाने लता जी के साथ उदित नारायण के नाम दर्ज हैं.
सिंगर उदित नारायण ने जताया दुख
आजतक से बात करते हुए उदित नारायण ने लता दीदी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की और रुंधे गले से उनके साथ अपनी आखिरी मुलाकात को याद किया. उदित नारायण बताते हैं कि वो लता मंगेशकर के चार बंगला स्थित LM स्टूडियो में गाना गा रहे थे. तभी लता जी ने आसपास के लोगों से फोन पर बोला कि कौन गा रहा है, उनका ये बोलना मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी. “उन्होंने मुझे बोला मैं लता बोल रही हूं. मैंने पूछा कि दीदी आपका स्वास्थ्य कैसा है. लता दीदी बोलीं कि ठीक हूं, लेकिन अभी-अभी हॉस्पिटल से आई हूं. कई दिन रहकर. मैंने बोला अब ठीक हो गये न. बस वही चाहिए.”.
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उदित बताते हैं, “मैंने लता जी से कहा कि बहुत दिल करता है, काफी महीने हो गए आप से मिले हुए. आप से आशीर्वाद लेना चाहता हूं. उन्होंने बोला कि कोरोना का माहौल है. इसलिये आपका अभी आना ठीक नहीं है, लेकिन जल्दी हम मिलेंगे.”
उदित नारायण ने बताया कि उस वक्त लता जी ने उनसे बहुत ही प्यार से बात की. ये बातचीत करीबन एक दो महीने पहले हुई थी.
जब लता दीदी ने की उदित नारायण की तारीफ
उदित अपनी दीदी को याद करते हुए कहते हैं, “मैं अपने आप को बहुत ही भाग्यशाली समझता हूं. बचपन से जिनकी आवाज सुनता आ रहा हूं. कभी सोचा नहीं था कि मुंबई आ पाउंगा और लता जी के साथ गाना गाने का मौका मिलेगा और उन्हें देखने का भी मौका मिलेगा. शुक्रगुजार हूं ऊपरवाले का कि उनके साथ एक से एक गाना गाने का मौका मिला.”
लता मंगेशकर ने उदित नारायण से उनकी तारीफ करते हुए कहा था कि आपकी आवाज बहुत ओरिजिनल है, सुनने में बहुत अच्छा लगता है. उदित नारायण का कहना है कि लता दीदी का इतना कहना ही उनके लिये मां सरस्वती के आर्शीवाद जैसा था.
लता दीदी को अनुराधा पौडवाल का आखिरी प्रणाम
उदित नारायण के अलावा गायिका अनुराधा पौडवाल ने भी स्वर कोकिला के निधन पर शोक व्यक्त किया है. आजतक से बातचीत के दौरान अनुराधा पौडवाल ने बताया कि लता मंगेशकर उनके लिये क्या महत्व रखती हैं. वो कहती हैं कि मैं लता दीदी को देखने के लिये हॉस्पिटल गई थी, लेकिन अंदर नहीं गई. ऐसे वक्त में लोगों को तकलीफ होती है. मैं उन्हें प्रणाम करके आ गई.
अनुराधा बताती हैं, इसे इत्तेफाक कहें या कुछ और, जो बसंत पंचमी के दिन मुझे लता दीदी का आर्शीवाद मिला था. ये कितनी बड़ी बात है की स्वयं सरस्वती बसंत पंचमी के दिन अपने स्वरों का आशीर्वाद देकर गए है.
लता मंगेशकर चली गईं. अगर कुछ रह गया है, तो वो हैं उनकी कभी न भुला देने वाली यादें.