एक्ट्रेस शेफाली शाह ने अपने करियर में काफी उतार-चढ़ाव देखे. बहुत सारी चीजों को बदलते भी देखा. पहले शेफाली शाह को इंडस्ट्री ने टाइपकास्ट किया. जितनी एक्ट्रेस की उम्र है या तो उससे ज्यादा उम्र के रोल्स उन्हें ऑफर किए, या फिर कम उम्र के.
शेफाली जब केवल 28 साल की थीं तो फिल्म 'वक्त' में इन्होंने अक्षय कुमार की मां का रोल अदा किया था. इसके बाद से उन्हें सिर्फ मां के ही रोल्स मिलने लगे. इतने रोल्स मिले कि एक वक्त ऐसा भी आया जब शेफाली ने कुछ सालों तक मां का रोल करने से इनकार किया.
फिर साल 2019 में चीजें बदलीं. इस साल 'दिल्ली क्राइम' का पहला सीजन ओटीटी पर आया था. इंडस्ट्री में शेफाली शाह छा गईं. इनके काम की हर किसी ने सराहना की. इन्होंने खुद के लिए एक जॉनरा तैयार किया. News18 Showsha संग बातचीत में शेफाली ने बताया कि करियर की शुरुआत उनकी अच्छी हुई थी, लेकिन काफी सालों तक वो सक्सेस एक्ट्रेस नहीं देख पाईं, जिसकी वो हकदार थीं.
शेफाली की बदली किस्मत
शेफाली ने कहा- मेरी पहली फिल्म 'सत्या' थी. उस फिल्म में मेरा सात मिनट का रोल था, जिसने हाहाकार मचा दिया था. तो मैंने ये बहुत शुरुआती दौर में सीख लिया था कि रोल छोटा या बड़ा मायने नहीं रखता, बल्कि क्या है, वो मायने रखता है. पहले जो सिनेमा बनता था, उसमें हीरो को सबसे ज्यादा स्पेस मिलता था. हीरोइन और विलेन भी ठीक-ठाक दिखते थे. सपोर्टिंग किरदार कम दिखते थे.
शेफाली के मुताबिक, आज भी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाना आसान नहीं है. पैसा एक कॉम्प्लेक्स टॉपिक है. पर मैं सिल्वर लाइनिंग में भरोसा रखती हूं. शेफाली ने कहा- आज मैं अगर लोगों के बीच बैठ रही हूं तो मुझे अपने लिए सीट मांगने में झिझक बिल्कुल नहीं होगी. मैं इस बात को लेकर ओवरथिंक नहीं करूंगी. ये मैं फिल्म मांगने और काम मांगने के कॉन्टेक्स्ट में कह रही हूं.
मैं काफी समय से किसी भी ऐसे प्रोड्यूसर से नहीं मिली हूं जो मेरे पास काम लेकर आए और मुझे बोले कि मैं तुम्हें इस काम के एक्स्ट्रा पैसे दूंगा या दूंगी. उन्होंने कभी मेरे से नहीं कहा कि उनके पास पैसे हैं. किसी के पास बजट या पैसा होता ही नहीं है. पर मैं बेसिक मांगने की हकदार हूं जो मैं डिजर्व करती हूं, उसको मांगने में मैं शर्म बिल्कुल नहीं करूंगी.