बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान आर्थर रोड जेल से रिहा हो चुके हैं और अपने घर मन्नत भी पहुंच चुके हैं. आर्यन करीब 25 दिन से ज्यादा समय तक जेल में रहे और उसके बाद उन्हें शनिवार को रिहा किया गया. खूब धूमधाम से ढोल बजाते हुए आर्यन का मन्नत में स्वागत किया गया. हाल ही में ड्रग्स मामले में आर्यन के वकील रहे मुकुल रोहतगी ने इंडिया टुडे से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कई सारे पहलुओं पर बातें कीं.
कोर्ट में वापसी पर रोहतगी ने कही ये बात
रोहतगी ने कहा कि ये घरवापसी जैसा लगा. कोर्ट में वापसी करने पर मुझे वाकई में अच्छा लगा. मैंने तीन अलग-अलग दिन आर्ग्युमेंट में हिस्सा लिया. मुझे काफी खुशी हुई. पहले दिन कोर्ट में काफी हंगामा देखने को मिला मगर जज ने सभी को शिष्टाचार में रहने की हिदायत दी.
हाईकोर्ट के डिसीजन पर क्या बोले रोहतगी?
रोहतगी- मेरे हिसाब से दो चीजें इस केस में काफी अहम थी. पहला ये कि आर्यन खान के पास से कुछ भी बरामद नहीं हुआ था और दूसरा ये कि वे आर्यन खान के साथ जुड़े हुए थे. NCB ने इस मामले को कॉमर्शियल क्वाइनटिटी का केस बनाने की कोशिश की. इसी वजह से ये मामला इतना लंबा खिंचा. मगर आर्यन द्वारा ड्रग्स कन्जप्शन का, ज्यादा अमाउंट में ड्रग्स रखने का या डीलिंग का कोई भी प्रमाण सामने नहीं आया.
लॉ इनफोर्समेंट एजेंसी पर क्या बोले मुकुल रोहतगी?
लॉ इनफोर्समेंट एजेंसीज के बारे में बात करते हुए रोहतगी ने कहा कि- अगर एक बार कोई अरेस्ट हो जाए तो जितनी भी प्रॉसिक्यूशन एजेंसीज इस देश में हैं वो कैदियों को ज्यादा से ज्यादा जेल में रखने की कोशिश में ही लगी रहती हैं. ये तो हमारे कानून में साफ तौर पर कहा गया है कि अगर कोई शख्स कम मात्रा में ड्रग्स कन्ज्यूम करता पकड़ा जाता है तो उसके साथ वैसा व्यवहार नहीं करना है जैसा ड्रग्स डीलर के साथ किया जाता है. मगर लॉ एजेंसीज ऐसा करने में नाकाम रही हैं और छोटे मामले को कॉमर्शियल क्वांटिटी में तब्दील करने की कोशिश में रहती हैं.
गवर्नमेंट को रोहतगी ने दिया सुझाव
गवर्नमेंट को इस पर ब्लेम करना सही नहीं होगा. गवर्नमेंट और पार्ल्यामेंट सेम पेज पर हैं. ये सिर्फ लॉ इनफोर्समेंट एजेंसिज ही हैं जिनमें सुधार की जरूरत है. ऐसा नहीं होना चाहिए कि आप ट्रायल से पहले ही किसी को जेल में डाल दें और उन्हें पनिश करें. लॉ इनफोर्समेंट एजेंसीज को अपने अप्रोच को जरा सुधारने की जरूरत है. गवर्नमेंट को नियमित तौर पर लॉ एजेंसीज के साथ बैठकी करनी चाहिए और इसपर बात करनी चाहिए. उनसे पूछा जाना चाहिए की वे लेजिसलेशन के नियम फॉलो कर रहे हैं या नहीं. जब लॉ एजेंसीज ठीक तरह से काम करेंगी तो फालतू के केस कम होंगे और कोर्ट से भी प्रेशर रिलीज होगा.
अंत में अपनी बात को कन्क्लूड करते हुए रोहतगी ने कहा कि- मैं एक प्राइवेट लॉयर हूं. मैं सरकार के, किसी व्यक्ति के, PSUs के, सभी के केसेज ले सकता हूं. ये एक वकील की जॉब होती है कि वो अपने सभी क्लाइंट्स को बेहतर एडवाइज दे. मैं कभी भी अपने किसी क्वाइंट में कोई भेदभाव नहीं करता हूं. चाहें वो सेंटर का कोई हो, स्टेट का कोई हो, कोई आम शख्स हो, अमीर हो या गरीब हो.