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तेवर से ज्यादा तिकड़म, कॉमेडी की कमी, बेवजह मौतें, इन वजहों से बिगड़ा 'मिर्जापुर 3' का भौकाल!

मिर्जापुर' का तीसरा सीजन, पहले दो सीजन जितनी एक्साइटमेंट नहीं दे पा रहा. अली फजल, पंकज त्रिपाठी, रसिका दुग्गल और श्वेता त्रिपाठी जैसे दमदार एक्टर्स के बावजूद 'मिर्जापुर 3' को ठंडा रिएक्शन मिल रहा है. आइए बताते हैं वो 5 वजहें जो इस बार शो को थोड़ा फीका कर रही हैं.

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मिर्जापुर सीजन 3 के ट्रेलर में अली फजल, पंकज त्रिपाठी
मिर्जापुर सीजन 3 के ट्रेलर में अली फजल, पंकज त्रिपाठी

इंडिया के डिजिटल एंटरटेनमेंट स्पेस में 'मिर्जापुर' वेब सीरीज की एंट्री बहुत धमाकेदार अंदाज में हुई थी. पूर्वांचल के माहौल में पावर के पैशन में गैंगस्टर बन जाने वाले एक लड़के और इस पावर को अपनी डी. एन. ए. का हिस्सा बना चुके एक बाहुबली की इस कहानी ने दर्शकों को पहले ही सीजन से भौकाल बना दिया. 

मगर हाल ही में रिलीज हुआ, इस शो का तीसरा सीजन, जनता को पहले दो सीजन जितनी एक्साइटमेंट नहीं दे पा रहा. अली फजल, पंकज त्रिपाठी, रसिका दुग्गल और श्वेता त्रिपाठी जैसे दमदार एक्टर्स के शानदार काम के बावजूद 'मिर्जापुर 3' को ठंडा रिएक्शन मिल रहा है. आइए बताते हैं वो 5 वजहें जो इस बार शो को थोड़ा फीका कर रही हैं. (आपने शो नहीं देखा है, तो आगे अपने रिस्क पर पढ़ें, आगे तगड़े स्पॉइलर हैं)

धीमी आंच पर पकाना 
पहले दो सीजन में 'मिर्जापुर' की खासियत थी गैंगस्टरबाजी. शो का लीड किरदार गुड्डू पंडित, दूसरे सीजन में बड़ी दमदार वापसी करते हुए, कालीन भैया को हटाकर मिर्जापुर की गद्दी पर तो बैठ गया था. मगर इस बार उसे साम्राज्य पाना नहीं, चलाना था. 

इस काम में वो असरदार नहीं नजर आया. 10 एपिसोड के इस नैरेटिव में गुड्डू को एक एपिसोड ऐसा नहीं मिला, जहां मिर्जापुर पर उसकी पकड़ थोड़ी भी मजबूत दिखे. इसलिए जब उसका राइवल शरद शुक्ला (अंजुम शर्मा) उसे तोड़ने की कोशिशों में कामयाब हो रहा है, तो ऐसा फील नहीं आता कि वो किसी जमे हुए पेड़ की जड़ें हिला रहा है.

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'मिर्जापुर 3' में अंजुम शर्मा (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

कालीन भैया (पंकज त्रिपाठी) का किरदार कहानी में लौटा तो है, मगर उसे वापसी का दमदार मोमेंट देने में काफी समय लगाया गया है. बिहार का शत्रुघ्न त्यागी (विजय वर्मा) अपनी पर्सनल लाइफ के पंगों में ही उलझा हुआ है और मेन किरदार गुड्डू से उसका कोई आमना सामना ही नहीं है. पावर के लिए बाहुबलियों की आपसी रगड़ पर बेस्ड शो में, नैरेटिव 'दम दिखाने' से ज्यादा चालें चलने पर शिफ्ट हो गया है. और मुख्यमंत्री बन चुकी माधुरी यादव (ईशा तलवार) को ज्यादा स्पेस देने से कहानी पॉलिटिकल दांव-पेंच पर ज्यादा चली गई है.  

एक्शन की कमी 
'मिर्जापुर 3' में एक जगह शरद का किरदार कहता गुड्डू को कहता है कि 'तुम्हें दिमाग चलाना सूट नहीं करता.' ये शो के नैरेटिव पर भी नजर आता है. गुड्डू अब गोलू (श्वेता त्रिपाठी) की दिमागी चालों के भरोसे ज्यादा हैं, अपने विस्फोटक स्वभाव और भौकाली एक्शन के भरोसे कम. 

शो में दो बार शरद और गुड्डू आमने-सामने आकर बिना लड़े अलग कर दिए गए हैं. इससे गुड्डू के किरदार की धार कम हुई है. क्योंकि ट्रेलर में गुड्डू का किरदार ही कहता दिख रहा था, 'वायलेंस तो हमारी यू. एस. पी. है'. यही वायलेंस स्लो नैरेटिव के नीच शो में माहौल बना सकती थी. गुड्डू से ज्यादा एक्शन में तो गोलू नजर आती है. जबकि पहले सीजन से ही गुड्डू का किरदार जनता में पॉपुलर ही अपने विस्फोटक रवैये के लिए हुआ था.

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'मिर्जापुर 3' में अली फजल (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

बीना त्रिपाठी (रसिका दुग्गल) के किरदार की धार भी कुंद कर दी गई है और 'बर्फी' वाले लाला (अनिल जॉर्ज) को भी कहानी में बस बकरे की तरह इस्तेमाल किया गया है. उसे किसी भी प्लॉट ट्विस्ट का हिस्सा नहीं बनाया गया.

इमोशंस की कमी 
गैंगस्टर कहानियों में इमोशंस का बहुत बड़ा रोल है. गहरे इमोशंस कहानी में किरदारों को धुआंधार एक्शन की मोटिवेशन बनते हैं. 'मिर्जापुर 3' में किसी भी किरदार के बिहेवियर, पॉलिटिक्स और एक्शन की वजह इमोशन हैं ही नहीं.कोई भी किरदार ना तो अपनी फैमिली के लिए लड़ रहा है, ना तो प्यार के लिए. इससे कनफ्लिक्ट हल्के पड़े हैं.

इस बार शो में कोई ऐसी लव स्टोरी भी नहीं दिखती जो किरदारों को उनके एक्शन्स के लिए मोटिवेशन दे. शरद और माधुरी का करीब आना भी प्यार से ज्यादा, पावर के लिए उनकी भूख की वजह से है. इससे 'मिर्जापुर 3' का नैरेटिव, स्लो पड़ने के साथ-साथ सिर्फ एक ही मोटिवेशन से आगे बढ़ता दिखता है- किरदारों की  पुरानी रंजिश का बोझ. 
  
कॉमेडी की कमी
गुड्डू पंडित के वायलेंस की तरह 'मिर्जापुर' की एक और यू. एस. पी. रही है शो की डार्क कॉमेडी. पहले सीजन में कहानी की शुरुआत याद कीजिए... मुन्ना त्रिपाठी (दिव्येंदु शर्मा) गन निकालकर बारात में बस खिलवाड़ कर रहा होता है. गोली चलती है और दूल्हा ही मर जाता है. 

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'मिर्जापुर 3' में पल्लव सिंह (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

इस तरह की बहुत सारी सिचुएशन पिछले दोनों सीजन में थीं, जहां भयानक सीरियस माहौल में कुछ ऐसा होता है या कोई कुछ ऐसा कहता है कि आपकी हंसी छूट जाती है. इस तरह की डार्क कॉमेडी 'मिर्जापुर 3' में पूरी तरह मिसिंग है. इसे क्रिएट करने की एक दो कोशिशें भी तीसरे सीजन में नाकाम लगती हैं. शो में रहीम (पल्लव सिंह) के दो मजेदार कविता पाठ छोड़ दें तो और कोई मोमेंट कॉमेडी के लिए याद नहीं रहता. 

किरदारों की मौत 
शो में गैंगस्टर्स के पैसे को इन्वेस्ट करने वाला एजेंट बनकर आए रॉबिन उर्फ राधे श्याम अग्रवाल (प्रियांशु पैन्युली) का किरदार सीजन 2 में बहुत पसंद आया था. इस शो में ये एकमात्र किरदार था, जो कहीं भी किसी भी तरह की हिंसा का हिस्सा नहीं था. लेकिन उसकी बातें और हर तरह के लोगों से मुस्कुराते हुए डील करना जनता को बहुत पसंद आ रहा था. ऊपर से इस किरदार के साथ एक सस्पेंस भी था कि इसकी मां कहां है और कौन है? 

'मिर्जापुर 3' में प्रियांशु पैन्युली (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

'मिर्जापुर 3' में लोग इस किरदार को और ज्यादा देखने की उम्मीद किए बैठे थे. लेकिन इस बार इस किरदार को कुछ खास करने का मौका तो मिला नहीं, ऊपर से कहानी में इसे सबसे बेरहम और भयानक किस्म की मौत दी गई.  इसी तरह लाला का किरदार एक अल्टरनेटिव पावर सेंटर बनाया गया और उसे भी बिना कुछ बड़ा किए निपटा दिया गया. त्यागी परिवार की बहू को भी बेवजह मार दिया गया है. कहानी में शॉक वैल्यू अच्छी तो लगती है, मगर इतनी नहीं कि कहानी में दर्शक का इंटरेस्ट ही डिस्टर्ब होने लगे.

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'मिर्जापुर 3' पिछले दो सीजन की ही तरह, ऐसे मोड़ पर खत्म हुआ है, जहां से कहानी आगे बढ़ने की पूरी संभावना है. गुड्डू पंडित जेल से भाग निकले हैं और गोलू के साथ उनका रिश्ता एक नए मोड़ पर है. कालीन भैया मिर्जापुर की गद्दी पर अपना दावा वापस पाने के लिए तैयार हैं. और शत्रुघ्न त्यागी एक बार फिर से घायल हैं. ऐसे में अब लोग ये देखना चाहेंगे कि 'मिर्जापुर 4', इस शो का खोया हुआ तेवर लेकर लौटेगा या नहीं. 

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