
अपने दमदार काम से सिनेमा फैन्स के दिलों में हमेशा के लिए जगह पक्की कर लेने वाले इरफान खान, अब हमारे बीच नहीं हैं. अप्रैल 2020 में जब इरफान ने दुनिया को अलविदा कहा, तब वो केवल 53 साल के ही थे. स्क्रीन पर इरफान को देखने की एक्साइटमेंट जनता में हमेशा बनी रही. इरफान को हमेशा स्क्रीन पर कुछ नया करने के लिए जाना जाता था. वो हमेशा एक अलग किरदार के साथ आते और जिन किरदारों को स्क्रीन पर पहले भी लोगों ने खूब देखा है, जब इरफान ने वो किए तो उन्हें एकदम अलग अंदाज में निभाया.
'हासिल' और 'मकबूल' का गैंगस्टर हो, या 'गुंडे' का पुलिस ऑफिसर या फिर 'कारवां' और 'पीकू' में ड्राईवर का ही रोल, इरफान का अंदाज थिएटर में बैठे दर्शकों पर एक अलग ही जादू कर देता. लेकिन इन किरदारों के बीच इरफान के रोमांटिक स्टाइल पर बात जरा कम ही होती है. जबकि उके रोमांस का स्टाइल भी टिपिकल बॉलीवुड रोमांस से बहुत अलग रहा.

इरफान और रोमांस
फिल्मों में इरफान ने रोमांस कम ही किया, लेकिन जब किया तो 'जानलेवा इश्क, मतलब घनघोर... हद पार!' 'रोग' (2005) में इरफान खान के किरदार को एक ऐसी लड़की से इश्क होने लगता है, जिसके मर्डर की वो इन्वेस्टीगेशन कर रहा है. फिल्म की कहानी में आगे सस्पेंस और ट्विस्ट भी हैं, लेकिन रोमांस के मामले में इरफान का ये किरदार बहुत अनोखा था. विशाल भारद्वाज की क्लासिक 'मकबूल' (2003) में उनका गैंगस्टर किरदार इश्क में था.

कहानी की सेटिंग ऐसी थी कि वहां प्रेम जताया नहीं जा सकता था. यहां इश्क में धीमे-धीमे घुलते उनके किरदार से आपको प्यार का असर और खूबसूरती बताने वाले लंबे-लंबे डायलॉग नहीं मिलेंगे. 'मकबूल मियां' को अपनी हदों में भी रहना था, उसे हिचक भी थी और इश्क जताने के खतरे भी थे. लेकिन इरफान के एक्सप्रेशंस में आपको इन सारी फीलिंग्स के साथ, प्रेम महसूस करना भी दिखता है. इरफान ने जो रोमांटिक किरदार किए उनका रोमांस प्रकट नहीं होता था, ख्यालों में कहीं रहता था लेकिन उसका रंग उनकी आंखों में उतर आता था.
'द लंचबॉक्स' (2013) ही देख लीजिए... इरफान के किरदार को जिस महिला से प्यार हो रहा है, वो सामने भी नहीं है. सिर्फ चिट्ठियों में बात हो रही है. और जब वो बालकनी या कैंटीन में बैठे, खलाओं में ताक रहे हैं तो आप उस शख्स के अंदर चल रहे सारे भाव महसूस कर सकते हैं. रोमांस के मामले में इरफान का सबसे एक्सप्रेसिव किरदार 'करीब करीब सिंगल' में दिखता है.

इस किरदार के रोमांस में एक रियल कनेक्शन है और आप रिलेट कर पाते हैं. यहां भी ट्रेडिशनल बॉलीवुड रोमांस नहीं है जो सपनों की किसी दुनिया में ले जाता है, और चांद-तारे तोड़ लाने के वादे करता है. जबकि रोमांस का एक बहुत अलग रंग इरफान ने 'सात खून माफ' (2011) में उतारा, जिसमें वो प्रियंका चोपड़ा के 7 पतियों में से एक का किरदार निभा रहे थे. 'हासिल' (2003) में रणविजय सिंह के किरदार का गैंगस्टर वाईब आज भी जनता को खूब भाता है. लेकिन याद रखा जाना चाहिए कि रणविजय का सारा खेल भी लड़की के इश्क के लिए ही था.
इरफान और शाहरुख खान स्टाइल रोमांस
'रोग' का प्रमोशन कर रहे इरफान खान से एक इंटरव्यू में पूछा गया कि क्या वो स्क्रीन पर शाहरुख खान जैसा रोमांस कर सकते हैं? इसका इरफान ने बहुत मजेदार जवाब दिया था. इरफान ने कहा, 'शाहरुख खान, नाना पाटेकर की कोई फिल्म नहीं कर सकते और न नाना पाटेकर, शाहरुख की. तो जनरलाईज करना सही नहीं है. हर आदमी का अपना रोमांटिक स्टाइल होता है. हर एक्टर का अपना व्यक्तित्व होता है. मैं वो नहीं कर सकता जो दूसरे हीरोज कर सकते हैं. 'मकबूल' एक रोमांटिक स्टोरी थी और 'रोग भी है'.
इरफान की 'मोहब्बतें'
2016 के फिल्मफेयर अवार्ड्स में इरफान खान के एक एक्ट ने दुनिया को बहुत हंसाया था. इस एक्ट में इरफान ने स्टेज से शाहरुख को कहा कि उन्होंने 'मोहब्बतें' ज्यादा कुछ नहीं किया था, सिर्फ वायलिन बजाते रहे. इसके बाद इरफान ने शाहरुख वाले किरदार में खुद एक एक्ट परफॉर्म किया था. दोनों एक्टर्स के रोमांटिक अंदाज की तुलनाओं का इससे मजेदार जवाब और क्या ही हो सकता था!

इरफान, शाहरुख और रोमांस का एक कनेक्शन और भी है. इरफान की पत्नी सुतपा सिकदर ने शाहरुख खान की 'कभी हां कभी ना' फिल्म के कॉस्टयूम डिजाईन किए थे. एक इंटरव्यू में सुतपा ने बताया था कि इस फिल्म के दौरान इरफान अक्सर सेट पर आया करते थे. कभी उन्हें छोड़ने, कभी पहुंचाने और कभी यूं ही हैंगआउट करने. कमाल ये है कि 'कभी हां कभी ना' में भी शाहरुख का किरदार रोमांटिक ही था, लेकिन ये कहानी टिपिकल बॉलीवुड रोमांस से काफी अलग थी.