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Aspirant के 'संदीप भईया' टीवी पर छोटे-मोटे रोल कर चुकाते थे घर का किराया

सनी आहूजा आज ओटीटी प्लेटफॉर्म का जाना पहचाना नाम है. हालांकि सनी के लिए यहां तक का सफर आसान नहीं रहा है. एक वक्त ऐसा भी था जब सनी के लिए मुंबई जैसे शहर में घर का किराया तक चुकाने में दिक्कत होती थी. कैसे करते थे जुगाड़ खुद बता रहे हैं..

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सनी हिंदूजा
सनी हिंदूजा
स्टोरी हाइलाइट्स
  • ऐसा स्ट्रगल था Aspirant के संदीप भईया का
  • लगातार तीन फिल्में नहीं हुई रिलीज
  • नहीं रखा था कोई बैकअप प्लान

कुछ समय पहले ही सनी हिंदूजा की सीरीज एस्पायरेंट में उनके किरदार संदीप भईया ने काफी सुर्खियां बटोरी थीं. सनी के किरदार को दर्शकों का इतना प्यार मिला कि सोशल मीडिया पर इनके मीम्स तक बनने लगें. 

वहीं दूसरी फैमिली मैन में भी सनी ने अपनी जबरदस्त एक्टिंग से फैंस को चौंका दिया था. भले सनी इन दिनों मेकर्स की पसंद बन गए हों लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब सनी का मुंबई जैसे शहर में सरवाइव करना मुश्किल हो गया था. 

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मेरी तीन फिल्में कभी रिलीज ही नहीं हुई

आजतक से बातचीत के दौरान सनी ने बताया, आज से करीब 12 साल पहले मैं मुंबई शहर आया था. एफटीआई में पढ़ाई के दौरान ही मुझे एक्टिंग के ऑफर आने लगे थे. इसी बीच मैंने फिल्म भी कर ली. मुझे लगा फिल्म के बाद मेरी किस्मत बदल जाएगी. लेकिन मेरी लगातार तीन फिल्में आज तक रिलीज नहीं हो पाई. ये मेरी बदकिस्मती थी और उसका खामियाजा एक लंबे समय तक भुगतना पड़ा. 

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ऐसे भरा करते थे रेंट 

सनी अपने स्ट्रगल के दिनों को याद कर बताते हैं, मुंबई आने के बाद जिंदगी के असली मायने समझ आए. यहां आटे-चावल की कीमत पता चली. काम को लेकर इतना पैशन था कि मैंने ठान ली थी कि चाहे जो भी हो एक्टिंग ही करूंगा. स्ट्रगल इतना रहा कि पूछो मत. एक वक्त ऐसा भी आता था कि हम रूममेट्स के पास रेंट तक भरने के पैसे नहीं होते थे. ऐसे में टीवी में छोटे-छोटे किरदार कर अपना गुजारा चलाया करता था. 

कोई बैकअप प्लान नहीं रखा था

सनी आगे कहते हैं, बीच में एक वक्त ऐसा भी था कि बात नहीं बन रही थी. लगने लगा था कि कहीं गलत फील्ड तो नहीं चुन लिया. पर बात यह भी थी कि मैंने कोई बैकअप प्लान नहीं रखा था. बैकअप रखता, तो आज कहीं नौ से पांच बजे की नौकरी कर रहा होता. मैं रोज खुद को तसल्ली दिया करता था कि आज न सही आने वाले समय में ठीक होगा. मेरे पेशेंस को बाहर साल हो गए. अब पीछे मुड़कर देखता हूं, तो कोई पछतावा नहीं होता है. 

रिजेक्शन, रिप्लेसमेंट हम आउटसाइडर्स के लिए आम 

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सनी ने बताया, मैं इंडस्ट्री के तौर-तरीके से वाकिफ हो चुका हूं. यहां कितनी बार प्रोजेक्ट्स से रिप्लेस हो चुका हूं, कितनी बार रिजेक्शन और ऑडिशन के लिए धक्के खाए हैं. पर अब कोई कंपलेन नहीं है. अब लोगों का प्यार देखता हूं, तो फिर ये सारे दर्द भूल जाता हूं. मैं आगे चलकर प्रोड्यूसर बनना चाहता हूं ताकि मैं आने वाले समय में ऐसे टैलेंट को मौका दूं, जो डिजर्व करते हैं. 

 

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