फेमस फिल्ममेकर अनुराग कश्यप ने फिल्म इंडस्ट्री में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं. हालांकि उन्हें फिल्म 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' और 'ब्लैक फ्राइडे' जैसी फिल्मों के लिए जाना जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सेंसरशिप के मुद्दों के कारण उनके डायरेक्शन में बनी पहली फिल्म 'पांच' (2003) कभी सिनेमाघरों में रिलीज नहीं हो पाई?
हाल ही में एक इंटरव्यू कश्यप ने अपने करियर के उस दौर को याद किया और बताया कि कैसे प्रोड्यूसर बोनी कपूर उनके काम से इतने प्रभावित हुए कि वह उन्हें अपनी फिल्म के लिए साइन करना चाहते थे. इसके लिए बोनी कपूर ने उन्हें मुंबई में कोई भी फ्लैट खरीदने की पेशकश भी की थी. यह 'पाँच' की रिलीज से पहले की बात है, जिससे उन्हें विश्वास हो गया कि फिल्म के रिलीज होने के बाद और भी बड़े अवसर मिल सकते हैं.
अनुराग कश्यप ने क्या कहा?
अपने यूट्यूब शो 'गेम चेंजर्स' में कोमल नाहटा के साथ बातचीत में अनुराग कश्यप ने उस समय को याद किया जब बोनी कपूर ने उनके काम से प्रभावित होकर उन्हें एक फिल्म का ऑफर दिया था. उन्होंने कहा, 'मुझे अब भी लगता है कि अगर 'पांच' रिलीज हो जाती, तो मैं एक अलग इंसान होता.' बोनी कपूर ने एक बार मुझसे कहा था, 'तुम एक फिल्म क्यों नहीं बनाते? बांद्रा से जुहू तक किसी भी बिल्डिंग की ओर इशारा करो, मैं तुम्हें वहां एक फ्लैट खरीद दूंगा. फिर वह हंसे और बोले, 'मैंने सोचा था, अगर वह मुझे मेरी फिल्म रिलीज होने से पहले फ्लैट दे रहे हैं, तो शायद रिलीज होने के बाद मुझे एक बंगला मिल जाएगा.'
हालांकि उस समय 'पांच' कभी ऑफिशियल तौर से रिलीज नहीं हुई. उन्होंने कहा, 'तभी मुझे एहसास हुआ कि मैंने नए कलाकारों के साथ एक फिल्म बनाई है ताकि एक बात साबित कर सकूं- कि आपको कहानी और कहानी कहने के तरीके की जरूरत होती है, सितारों की नहीं. 'ब्लैक फ्राइडे' और 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' के बाद भी मैं यह बात साबित नहीं कर पाया. आखिरकार, मैंने कुछ भी साबित करने की कोशिश करना छोड़ दिया और खुद को इससे अलग करना शुरू कर दिया.'
क्यों रिलीज नहीं हुई फिल्म पांच?
अनुराग कश्यप की पहली ही फिल्म 'पांच' (2003) को भाषा, हिंसा और नशीली दवाओं के इस्तेमाल को लेकर सीबीएफसी की आपत्तियों का सामना करना पड़ा था. हालांकि फिल्म को अंततः मंजूरी मिल गई, लेकिन कथित आर्थिक तंगी के कारण यह सिनेमाघरों में नहीं आ पाई. कथित तौर पर यह फिल्म पुणे में 1976-77 में हुए जोशी-अभ्यंकर सीरियल हत्याकांड पर आधारित थी. इससे पहले अनुराग कश्यप ने राम गोपाल वर्मा की सत्या (1998), शूल (1999), कौन (1999) जैसी फिल्में लिखी थीं.