
इस साल की सबसे बड़े इंडियन प्रोजेक्ट्स में गिनी जा रही फिल्म 'कल्कि 2898 AD' से अमिताभ बच्चन का किरदार हाल ही में रिवील किया गया. फिल्म में अमिताभ अश्वत्थामा का किरदार निभा रहे हैं. टीजर वीडियो में 81 साल के अमिताभ का यंग अवतार देखकर जनता दंग रह गई.
वीडियो के हिसाब से फिल्म के ज्यादातर हिस्सों में वो अपनी रियल उम्र के हिसाब से उम्रदराज किरदार में दिखेंगे, मगर फ्लैशबैक में उनके जवान दिनों की कहानी भी नजर आएगी, जिसकी एक झलक देखकर ही जनता दंग रह गई. उनके इस किरदार की उम्र 40 साल से जरा भी ज्यादा नहीं लग रही, यानी उनकी रियल उम्र से आधी.

'कल्कि 2898 AD' में अमिताभ का यंग अवतार हूबहू वैसा ही दिख रहा है, जैसे वो अपनी पुरानी फिल्मों में दिखते थे. अमिताभ के इस यंग लुक ने कई सोशल मीडिया यूजर्स को इतना हैरान कर दिया कि उन्होंने ये भी पूछ डाला कि कहीं अमिताभ के किरदार के जवानी वाले पोर्शन में अभिषेक बच्चन तो नहीं हैं? यहां तक तो जनता का कन्फ्यूजन फिर भी जायज है क्योंकि आखिर अमिताभ के बेटे अभिषेक की शक्ल तो उनसे काफी मिलती ही है. लेकिन रजनीकांत के मामले में तो ऐसा भी नहीं कहा जा सकता न!
'थलाइवा' की भी घटाई जा चुकी है उम्र
पिछले साल आई फिल्म 'जेलर' में फ्लैशबैक के सीन्स में सुपरस्टार रजनीकांत का यंग अवतार नजर आया, जिसे देखकर ऑडियंस जितनी खुश हुई, उतनी ही हैरान भी. इसमें रजनीकांत बिल्कुल वैसे ही दिख रहे थे जैसे वो जवानी में अपनी फिल्मों में नजर आते थे. रजनीकांत के लिए ये कोई नई बात भी नहीं है. लेकिन पहले उनकी फिल्मों में ये काम उनके मेकअप, विग और हेयरस्टाइल बदल कर किया जा रहा था. बाकी का काम कैमरा, लाइटिंग और फिल्टर्स से हो रहा था. मगर 'जेलर' में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. अब आप भी सोचने लगेंगे कि ये कमाल हो कैसे रहा है? आखिर इतने सीनियर एक्टर्स बिना बॉडी डबल के, अपनी रियल उम्र से आधी उम्र के कैसे हो जा रहे हैं?

डिजिटल डी-एजिंग का कमाल
उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को अंग्रेजी में कहते हैं- एजिंग; और इसका उल्टा यानी उम्र घटने को कहा जाता है 'डी-एजिंग'. टेक्नोलॉजी हर दिन जो कुछ नए कमाल कर रही है उसका असर तो हम लोग रोजाना डीप-फेक और AI इमेज के जरिए देख ही रहे हैं. मगर इनके पहले से सिनेमा में एक तकनीक यूज की जाने लगी थी- डिजिटल डी-एजिंग. यानी स्क्रीन पर डिजिटली कैरेक्टर्स (या कह लीजिए एक्टर्स) की उम्र घटाना.
ये एक कॉम्प्लेक्स प्रोसेस है जिसमें एक्टर्स की पुरानी, जवानी के दिनों की फिल्मों या फुटेज के जरिए उनकी यंग इमेज निकाली जाती हैं. ऐसे एडवांस सॉफ्टवेर हैं जिनसे लाइट के रिफ्लेक्शन, एंगल और शेड्स के जरिए पूरा डाटा निकाल लिया जाता है. ये डाटा एक आर्टिफिशियल इमेज तैयार करता है, जो एक्टर की जवानी के दिनों की सूरत से मिलती है. फिर इसे कम्प्यूटर जेनरेटेड इमेज यानी CGI के जरिए इन्हें टच अप दिया जाता है, यंग बनाया जाता है. और फिर एक्टर्स के रियल एक्सप्रेशन जोड़े जाते हैं.
आपने सुपरहीरो प्रोजेक्ट्स के बिहाइंड द सीन वीडियोज में एक्टर्स के चेहरे पर छोटी-छोटी डॉट्स जैसा कुछ देखा होगा. ये सेंसर होते हैं जिनके जरिए रियल एक्टर्स के एक्सप्रेशन लिए जाते हैं और उन्हें कंप्यूटर जेनरेटेड इमेज के साथ मैच किया जाता है और इस तरह स्क्रीन पर एक जीता जागता कैरेक्टर उतर आता है. जो उसी एक्टर का यंग वर्जन है, जो फिल्म में बूढ़ा भी दिख रहा है. फिल्म 'भारत' में इसी डिजिटल डी-एजिंग के इस्तेमाल से सलमान खान को फिल्म में यंग भी दिखाया गया था. जबकि मेकअप इस्तेमाल करके उन्होंने अपनी रियल उम्र से कहीं ज्यादा उम्र का भी एक किरदार निभाया.

ऐसा इसलिए कि मेकअप के इस्तेमाल से बूढ़ा दिखना ज्यादा आसान है, मगर यंग दिखना थोड़ा मुश्किल. क्योंकि इसके लिए सिर्फ चेहरे की स्किन से झुर्रियां ही नहीं हटानी होतीं, बल्कि चेहरे के फीचर्स में भी थोड़ा बदलाव आ जाता है. इसलिए यंग दिखाने के लिए डिजिटल डी-एजिंग अभी तक की बेस्ट तकनीक है. हाल ही में कन्नड़ सिनेमा के सुपरस्टार, शिवा राजकुमार को फिल्म 'घोस्ट' में इस तकनीक से इतना रियल तरीके से जवान दिखाया गया कि फैन्स का मुंह खुला रह गया. मगर क्या आपको पता है कि इंडियन सिनेमा में ये तकनीक सबसे पहले लेकर कौन आया?

सबसे पहले शाहरुख ने इस्तेमाल की डिजिटल डी-एजिंग
सुपरस्टार शाहरुख खान की फिल्म 'रा वन' को उनकी बेस्ट फिल्म नहीं माना जाता. लेकिन इस फिल्म का एक बहुत बड़ा योगदान है. शाहरुख ने 2006 में रेड चिलीज VFX कंपनी शुरू की थी. 'रा वन' सिर्फ एक महत्वाकांक्षी सुपरहीरो प्रोजेक्ट ही नहीं था, बल्कि इस फिल्म से उनकी कंपनी ने इंडियन और वर्ल्ड सिनेमा दोनों को ये दिखाया कि उनके तरकश में सिनेमाई तकनीक का कितना बड़ा ब्रह्मास्त्र आ गया है.
इस फिल्म में शाहरुख के दो वर्जन थे, एक रियल साइंटिस्ट और दूसरा उनका गेमिंग कैरेक्टर अवतार जी-वन. 'जी-वन' को गेमिंग कैरेक्टर की तरह दिखाने के लिए डिजिटल डी-एजिंग इस्तेमाल की गई थी. ये इंडियन सिनेमा में इस तकनीक का पहला ऑफिशियली कुबूल किया गया इस्तेमाल था.

कई बार ऐसा भी होता है कि फिल्मों में बेहतर लुक के लिए एक्टर्स की उम्र डिजिटली घटाई जाती है. मगर मेकर्स इसे स्वीकार नहीं करते क्योंकि इससे एक्टर की इमेज भी खराब होती है और ये फील आता है कि उसकी उम्र बढ़ रही है. मगर जहां ये किरदार को सूट कर रहा है और फिल्म की जान बन रहा है, वहां अक्सर मेकर्स खुलकर इसका प्रचार भी करते हैं कि उन्होंने एक नई तकनीक फिल्म में इस्तेमाल की है.
हाल ही में रजनीकांत की फिल्म 'कुली' का अनाउंसमेंट वीडियो भी आया है, डायरेक्टर लोकेश कनगराज ने इसमें रजनीकांत के डिजिटल यंग वर्जन को जिस मास अंदाज में पेश किया है, जनता को वो बहुत पसंद आ रहा है. 'कल्कि 2898 AD' में अमिताभ का डिजिटली डी-एज किया गया अवतार अभी से दर्शकों में चर्चा बटोर रहा है. ऐसे में अगर ये फिल्म में कायदे की स्टोरी लाइन और एक्शन के साथ नजर आया, तो सिनेमा फैन्स के शोर से थिएटर्स की डेसिबल लेवल यकीनन बहुत बढ़ जाएगा.