विद्या बालन की फिल्म शेरनी हाल ही में अमेजन प्राइम पर रिलीज हुई है. टाइगर कंजर्वेशन पर आधारित इस फिल्म में एक शेरनी को पकड़ने के लिए वन विभाग के अधिकारियों को आने वाले मुश्किलों और जानवरों के प्रति इंसान के बर्ताव को दिखाया गया है. फिल्म शेरनी का अंत विद्या बालन के एक म्यूजियम में काम करने से होता है. हालांकि अब डायरेक्टर अमित मासुरकर ने बताया है कि उन्होंने पहले इसका अंत कुछ और सोचा था.
कोरोना के चलते शेरनी के अंत में हुए बदलाव
अमित मासुरकर ने PTI से बातचीत में बताया कि कोरोना वायरस की वजह से फिल्म शेरनी पर उनका काम रुक गया था. इतना ही नहीं इसी दौरान उन्हें फिल्म के अंत को बदलने का ख्याल भी आया. उन्होंने कहा कि हमारी टीम को एहसास हुआ कि हमें दर्शकों को कुछ ऐसा दिखाना चाहिए जिससे उनकी आंखें खुल जाएं.
फिल्म न्यूटन और सुलेमानी कीड़ा को बना चुके डायरेक्टर अमित मासुरकर ने बताया कि फिल्म का अंत भयानक तस्वीरों के साथ करने का आईडिया लेखिका आस्था टीकू का था. इससे दर्शकों को यह सीख देनी थी कि लोग जानवरों के प्रति अपनी हरकतों से बाज नहीं आए तो उनका भविष्य काफी खराब हो सकता है.
अमित ने कहा, 'इन मुश्किलों के कोई आसान उपाय नहीं हैं. कंजर्वेशन पर आधारित फिल्म में हमें दर्शकों को एक बड़े सवाल के साथ छोड़े - हम अपने आप के साथ और दूसरों के साथ आखिर कर क्या रहे हैं?'
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राइटर ने दिया था बदलाव का आईडिया
उन्होंने आगे बताया, 'पहले वाले ड्राफ्ट में हमने फिल्म को हैप्पी एंडिंग दी थी.लेकिन फिर पैनडेमिक आ गया. आस्था ने सोचा कि इस फिल्म को हमें एक वेक अप कॉल के साथ ही खत्म करना होगा. उन्होंने मुंबई के म्यूजियम में Taxidermy सेक्शन को एक बार देखा था और फिर सोचा कि यह शूटिंग के लिए बिल्कुल सही जगह है.'
आमिर ने कहा कि इस फिल्म को बनाने के आईडिया भी आस्था टीकू का ही था. बता दें कि फिल्म शेरनी में विद्या बालन ने वन विभाग अधिकारी की भूमिका निभाई है, जिसे एक शेरनी को जिंदा ढूंढने और रिजर्व पार्क में छोड़ने का आदेश दिया गया था. लेकिन उसके बॉस समेत गांव के लोग और नेता उसके काम के आड़े आते हैं.