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All That Breathes: 23000 पक्षियों को बचाने वाले नदीम-सऊद की कहानी, जीतेगी ऑस्कर?

'ऑल दैट ब्रीथ्स’ का निर्माण शौनक सेन ने किया है. सच्ची घटना पर बनी फिल्म दिल्ली के दो भईयों नदीम शहजाद और मोहम्मद सऊद  की कहानी है. देश की राजधानी दिल्ली में रहने वाले दोनों भाई शहर के प्रदषूण और सामाजिक चीजों से काफी परेशान हैं.

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ऑल दैट ब्रीथ्स
ऑल दैट ब्रीथ्स

24 जनवरी 2023 का दिन पूरे हिंदुस्तान के लिए बेहद खास रहा. खास तौर पर हिंदी सिनेमा के लिए, जहां दो बड़ी फिल्मों ने ऑस्कर नॉमिनेशन्स में अपनी जगह बना ली है. मंगलवार को कैलिफोर्निया के बेवर्ली हिल्स में ऑस्कर नॉमिनेशन का ऐलान किया गया. इस साल 'आरआरआर' के अलावा 'ऑल दैट ब्रीथ्स' भी ऑस्कर अवॉर्ड की रेस में शामिल है. 'आरआरआर' की कहानी लगभग अधिकतर लोगों को पता है. इसलिए आज बात करते हैं 'ऑल दैट ब्रीथ्स' की. 

रियल कहानी पर आधारित है फिल्म  
'ऑल दैट ब्रीथ्स’ का निर्माण शौनक सेन ने किया है. सच्ची घटना पर बनी फिल्म दिल्ली के दो भईयों नदीम शहजाद और मोहम्मद सऊद  की कहानी है. देश की राजधानी दिल्ली में रहने वाले दोनों भाई शहर के प्रदषूण और सामाजिक चीजों से काफी परेशान हैं. वो इन परेशानियों को हल निकालने की कोशिश कर ही रहे थे. इस दौरान उनके मन में माइग्रेंट ब्लैक काइट्स यानी काली चील को बचाने का ख्याल आता है. इसके बाद बिना देरी किए वो इस काम में लग जाते हैं. 

फिल्म में देखने को मिलता है कि नदीम और सऊद काली चील को बचाने के लिए अपनी जिंदगी उन्हें समर्पित कर देते हैं. आगे चलकर कुछ ऐसा भी होता है, जिसकी शायद ही किसी ने कल्पना की थी. 

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कौन हैं नदीम-सऊद?
19 साल पहले की बात है. शहजाद और सऊद ने उत्तरी दिल्ली में अपने पुश्तैनी घर के पास चावड़ी बाजार की सड़क पर घायल ब्लैक काइट को देखा. वो उसे इलाज के लिए पशु चिकित्सालय ले गए. पर वहां मौजूद स्टाफ ने ब्लैक काइट के इलाज से इंकार कर दिया. इसके बाद दोनों ने भईयों ने घायल पक्षी को अपने घर ले जाने का फैसला किया. इस घटना से सऊद और शहजाद के मन में पक्षियों को बचाने का विचार आया. 

एक इंटरव्यू में शहजाद बताते हैं कि उन्होंने कई पक्षियों को जंगल में छोड़कर उन्हें नई जिंदगी भी दी है. इस चीज से उनका हौसला बड़ा. दोनों भाई मिलकर अब तक करीब 23000 पक्षियों का इलाज कर चुके हैं. उन्होंने वजीराबाद में पक्षियों के लिए एक बचाव केंद्र भी बनवाया है. मीडिया में ये खबर आने के बाद कुछ लोगों ने आर्थिक मदद करना भी शुरू किया. हालांकि, कोविड-19 के बाद ये मदद थोड़ी कम हो गई. 

ऑल दैट ब्रीद

ऐसा नहीं है कि शहजाद और सऊद के लिए ये काम काफी आसान रहा. इस दौरान कई मुश्किलें भी आईं, जिनकी वजह से उन्होंने इसे छोड़ने का मन भी बनाया. पर अंत में उन्होंने इसे जारी रखा. शहजाद और सऊद की छत पर लगभग 300 पक्षी हैं, जो अब धीरे-धीरे ठीक हो रहे हैं. कुछ पक्षी जल्द ही उड़ान भरने को भी तैयार हैं. 

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अगर आप भी सऊद और शहजाद की मदद कर पक्षियों को नई लाइफ देना चाहते हैं, उनकी wildliferescue.org.in और raptorrescue.org वेबसाइट पर जाकर कर सकते हैं. 
 

 

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