रणवीर सिंह की मल्टी स्टारर फिल्म 83 के चर्चे हर तरफ हो रहे हैं. 24 दिसंबर को रिलीज हुई इस फिल्म में रणवीर के साथ हार्डी संधू, एमी विर्क, साकिब सलीम, ताहिर राज भसीन, जीवा, जतिन सरना, चिराग पाटिल, पंकज त्रिपाठी और अन्य स्टार्स ने भी अहम रोल निभाए हैं. इन सभी स्टार्स के साथ एक्ट्रेस वामिका गब्बी भी फिल्म में हैं. वामिका गब्बी ने फिल्म 83 में पूर्व क्रिकेटर मदन लाल की पत्नी अनु लाल का सपोर्टिंग किरदार निभाया है.
फिल्म में बढ़िया परफॉरमेंस देते वाली वामिका ने आजतक के साथ खास बातचीत की. इस बातचीत में वामिका गब्बी ने बताया कि फिल्म 83 में काम करने का उनका एक्सपीरियंस कैसा था. उन्हें कैसे इस फिल्म का ऑफर मिला. साथ ही उन्होंने अपने आने वाले प्रोजेक्ट्स के बारे में भी चर्चा की. आइए बताएं वामिका गब्बी ने क्या कहा.
सवाल: कैसे आपको 83 में मदन लाल की पत्नी का रोल ऑफर हुआ था?
वामिका: मुकेश (छाबड़ा) सर ने मुझे ये रोल ऑफर किया था. ज्यादातर एक्टर होते हैं जो कहते हैं कि अबे यार मुझे छोटा पार्ट नहीं करना है. मुझे याद है उन्होंने मुझे कहा था कि यह कहानी 83 के वर्ल्ड कप के बारे में है. मैंने कहा वाह. मुझे पता था कि यह ज्यादातर क्रिकेटर्स के बारे में होगी. फिर उन्होंने मुझे कहा कबीर खान और मैंने कहा मैं उनके साथ काम करना बेहद पसंद करूंगी. मैं महज इस फिल्म का हिस्सा बनकर ही इतना खुश थी. आपको पता होता है न कि फिल्म ऐसे विषय पर बन रही है जो एक ऐतिहासिक पल रहा है, तो आपके सामने बतौर आर्टिस्ट ये सब चीजें कुछ नहीं आती है. आपको लगता है कि आप बस इसका हिस्सा होना चाहते हो. और कबीर सर इतने बेहतरीन हैं. ये फिल्म सिर्फ क्रिकेटर्स के बारे में नहीं है. यह फिल्म उन लोगों के बारे में भी है जो वर्ल्ड कप को उस समय देख रहे थे. जो इस सफर का हिस्सा थे. चाहे वो फैंस हो, क्रिकेटर्स की पत्नियां हो, चाहे वो लोग हों जो उन्हें जानते हैं, उनसे बात कर चुके हैं. ये फिल्म उन सभी के बारे में है. मैंने इस फिल्म को देखा मैं बहुत खुश हो गई थी. कबीर सर ने जिस तरह से इस फिल्म को बनाया है मैंने इस फिल्म को देखना काफी एन्जॉय किया.
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ये ऐसी फिल्म थी कि मतलब ड्रामा भी था. लेकिन आपको नहीं लग रहा था कि ये ड्रामा है सबकुछ इतना नेचुरल था. आपको दिल से खुशी हो रही थी कि ओह माय गॉड हम जीत गए. इतनी खूबसूरती से कबीर सर ने ये फिल्म बनाई है. मैं पढ़ रही थी कहीं कि बहुत सी स्पोर्ट्स फिल्म में इमोशनल ड्रामा बहुत ज्यादा होता है, जिससे लोग इससे जुड़ सकें, लेकिन 83 में ऐसा नहीं है. इसमें इतना कम इमोशनल ड्रामा है कि आपके अंदर इमोशंस खुद आते हैं. इमोशंस आप खुद फील करते हो, हमें करवाने की जरूरत ही नहीं है.
मुझे याद है जब मैं स्क्रीनिंग पर थी और एमी विर्क और हार्डी संधू मेरे पीछे बैठे थे, तब अनु लाल का रोने वाला वो सीन आया, तो तभी पीछे से सभी ने बोला Awww.
सवाल: 83 में काम करने का सबसे यादगार मोमेंट क्या रहा. क्या बड़ी स्टार कास्ट होने की वजह से दूसरों के टैंटरम भी झेलने पड़े?
वामिका: हमने लंदन में शूट किया था. मैं वहां दो-तीन दिन के लिए जाती थी और फिर वापस आ जाती थी. हम स्क्रीनिंग पर भी यही बात कर रहे थे कि हम बहुत कम समय के लिए इस फिल्म से जुड़े थे. मेरा एक्सपीरियंस शूटिंग करने में बहुत अच्छा था. कई बार शूट पर ऐसा होता है कि फालतू के प्रॉब्लम आने लगते हैं. कभी-कभी लोगों का मूड ऑफ हो जाता है. लेकिन यह ऐसा शूट था जहां पर सब एडजस्ट कर रहे थे. शायद क्योंकि हम लंदन में शूट कर रहे थे, तो बहुत रिलैक्स माहौल था. जैसे इंडिया में अगर शूट कर रहे होते, जैसे एमी, हार्डी और मैं पंजाब में शूट कर रहे होते हैं, तो लगता है कि आपको बहुत सारे लोग देख रहे हैं. लंदन में माहौल अलग था. लंदन में स्टेडियम में हम लोग शूट कर रहे थे और वहां हमारे अलावा कोई था ही नहीं. मैं बहुत रिलैक्स थी. दीपिका और बाकी लोग भी सभी रिलैक्स थे. हम लोग वहीं शूट करते थे और फिर साथ में बात करने के लिए बैठ जाते थे.
फन चीज जो हुई थी मुझे याद है कि लंदन में रैप अप पार्टी हुई थी तब हमारे लिए एक रेस्टोरेंट बुक किया गया था. मैंने उसमें काफी एन्जॉय किया था. वो काफी अच्छा समय रहा था.
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सवाल: पंजाबी सिनेमा में आपको शुरुआत कैसे मिली? दिलजीत दोसांझ, अमरिंदर गिल और हनी सिंह जैसा स्टार्स के साथ आपने काम किया है, कैसा रहा?
वामिका: मेरी पहली हिंदी फिल्म सिक्सटीन थी, जो 2013 में आई थी. ये जब वी मेट के बाद आई थी. जब वी मेट मैंने तब की थी जब मैं 8वीं क्लास में थी. उसका शूट पंजाब में हुआ था. इसके बाद मैंने सिक्सटीन की, जिसके बाद मैं पंजाब आई थी. मैं और मेरे पिता पंजाब में मेरी फोटो कास्टिंग एजेंसी को भेजा करते थे. मुझे याद नहीं कैसे पर फिर मुझे एक पंजाबी फिल्म एक डायरेक्टर ने कॉल किया था. फिर उन्होंने मुझसे मुलाकात की थी और फिर मैंने वो फिल्म की और हनी सिंह के साथ काम किया. फिर मैंने कुछ साउथ फिल्मों में काम किया.
उसके बाद मुझे एक शॉर्ट फिल्म और गाने के लिए अप्रोच किया गया था, जो दिलजीत दोसांझ के साथ था. मैं उसके लिए उत्साहित थी. हमने 3 से 4 दिनों में इन दोनों की शूटिंग खत्म की थी. वह काफी चुप रहते हैं, लेकिन वीडियो के शुरू होते ही वह एनर्जी से भर जाते थे. वह असल जिंदगी में अलग हैं और कैमरा के सामने अलग. मुझे लगता है कि ज्यादातर एक्टर्स ऐसा ही करते हैं और यह सही भी है, क्योंकि कैमरा के पीछे और आगे दोनों में एनर्जी लगाई जाए तो आप थक जाते हो. वैसे भी आप कैमरा के पीछे क्या कर रहे हैं इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता.
सवाल: पंजाब इंडस्ट्री और बॉलीवुड इंडस्ट्री में काम करने में सबसे बड़ा फर्क क्या लगता है?
वामिका: मुझे लगता है कि फर्क सिर्फ लोगों का होता है कि आप कैसे लोगों के साथ काम कर रहे हैं. अच्छे-बुरे लोग हर इंडस्ट्री में होते हैं. चाहे वो हिंदी में हो या पंजाब में. खुशकिस्मती से मैंने अभी तक किसी बुरे डायरेक्टर के साथ काम नहीं किया है. लेकिन कई बार आपका एक्सपीरियंस अच्छा नहीं जाता है. जैसे पंजाब में मेरे साथ ये हुआ था कि एक फिल्म में मैंने काम किया. कहानी सुनने में अलग थी और बनते-बनते वो कुछ और ही बन गई. मैंने सोचा अरे ये क्या हुआ. तब आपके साथ ऐसा हो जाता है कि आपको वो रोल नहीं मिला जिसका वादा आपसे किया गया था.
कई बार ऐसा होता है कि आपको लोग सही नहीं मिलते. कई डायरेक्टर रुड होते हैं. कुछ चिल्लाते हैं. फिर डायरेक्टर आए हैं कबीर खान और विशाल (भरद्वाज) सर जैसे, जो बहुत नम्र तरीके से प्यार से बात करते हैं. पंजाब में मुझे लगता है कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री विकसित इंडस्ट्री है और पंजाब की इंडस्ट्री अभी वहां पहुंच रही हैं. यही दोनों में फर्क है.
सवाल: आपके पास बॉलीवुड के इतने बढ़िया प्रोजेक्ट्स हैं, आप ख़ुफ़िया में काम कर रहे हो, कैसा रहा है आपका अभी तक का हिंदी सिनेमा का सफर?
वामिका: मैं बस यही कह सकती हूं कि मैं विशाल सर के साथ काम कर रही हूं खुफिया में. (हंसते हुए) इससे ज्यादा कुछ बोला तो नेटफ्लिक्स नहीं छोड़ेगा मुझे. मैं बस आपको यह बता सकती हूं कि हर एक एक्टर का ना सपना होता है कि मैं इंडस्ट्री में इतना काम कर लूं कि फिर विशाल भारद्वाज सर के साथ काम करने का मौका मिले. मैं बहुत लकी हूं कि मुझे विशाल और तब्बू के साथ काम करने का मौका मिल रहा है. मुझे नहीं पता कि भगवान और विशाल सर ने मुझे यह मौका क्यों दिया है. लेकिन मैं इससे बहुत खुश हूं और सबको बता रही हूं कि मैं विशाल सर के साथ काम कर रही हूं.
7. साक्षी तंवर के साथ आप नेटफ्लिक्स की सीरीज माई में नजर आओगे, उसका एक्सपीरियंस भी हमें बताईये.
वामिका: मेरी सीरीज का नाम माई है. उसे क्लीन स्लेट फिल्म्स ने प्रोड्यूस किया है. अतुल मांगिआ और अंशा इलाल ने इसका निर्देशन किया है. इसकी शूटिंग और डबिंग सब खत्म हो गई है. मैं इंतजार कर रही हूं इसकी रिलीज का. अभी पता नहीं कब रिलीज होगी. मैंने साक्षी तंवर के साथ इस सीरीज में काम किया है और मैं आपको सही में बता नहीं सकती कैसे लेकिन मुझे इतने अच्छे-अच्छे लोगों के साथ काम करने को मिल रहा है. ये हो रहा है और मैं इसे एन्जॉय कर रही हूं.
मुझे लगता है कि साक्षी मैम का सारा काम अंदरूनी होता है. जिस तरह से वह काम करती हैं वो अंदरूनी है. मुझे याद है जब हमारे मेजर सीन हो रहे थे, वो रोने वाला सीन था. वो रोने के बाद जैसे ही शॉट कट होता था साक्षी जाकर बैठती थीं और मेडिटेशन करती थीं. फिर वो तैयार होकर वापस आती थीं और बिलकुल पहले की तरह रोती थीं. इतनी उनमें एनर्जी थी या पता नहीं वो कैसे करते थे, लेकिन उनको देखकर लगता है कि बहुत आसान है और वह बड़े आराम से कर रही हैं. लेकिन मैं तो एक से दो टेक में थक जाऊं कि अरे बस मुझे नहीं करना.
माई में किरदार के बारे में पता नहीं मैं कितना बता पाउंगी लेकिन मैं यह कह सकती हूं कि ग्रहण से लेकर अभी तक जितने प्रोजेक्ट्स मैंने किए हैं, उन सभी में मेरे किरदार बिलकुल अलग हैं. ये बहुत मजेदार था. मेरी शुरुआत में मुझे अलग किरदार निभाने को मिल रहा है मैं खुश हूं. मैं बहुत सौभाग्यशाली हूं कि मुझे इतना मौका मिल रहा है.