उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले की एक विधानसभा सीट है केदारनाथ विधानसभा सीट. केदारनाथ विधानसभा सीट का नाम केदारनाथ 11वें ज्योतिर्लिंग के तौर पर प्रसिद्ध भगवान केदारनाथ के नाम पर है. यहां की भौगोलिक स्थिति पर नजर डालें तो क्षेत्र की अर्थव्यवस्था भगवान केदार की यात्रा पर निर्भर है. छह माह की यात्रा के दौरान हुई आमदनी से लोग पूरे साल गुजारा कर लेते हैं. दो साल तक कोरोना महामारी के कारण यात्रा ठप रही और इसका नकारात्मक असर लोगों की आर्थिक स्थिति पर भी दिखा.
केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र में पंच केदार में से तीन केदार हैं. केदारनाथ और द्वितीय केदार मदमहेश्वर के साथ ही तृतीय केदार तुंगनाथ भी इसी विधानसभा क्षेत्र में हैं. इसके अलावा मिनी स्विट्जरलैंड के नाम से प्रसिद्ध पर्यटक स्थल चोपता दुगल बिट्टा भी केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र में ही है. कार्ति स्वामी, शिव पार्वती विवाह स्थल त्रियुगीनारायण, सिद्धपीठ कालीमठ, देवरियाताल, सारी जैसे तीर्थ और पर्यटन स्थल भी केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र में हैं. केदारनाथ विधानसभा की आधी से अधिक आबादी की आमदनी का जरिया केदारनाथ यात्रा और पर्यटन व्यवसाय है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
केदारनाथ विधानसभा सीट की राजनीतिक पृष्ठभूमि की बात करें तो यहां महिला जनप्रतिनिधियों का वर्चस्व देखने को मिला है. केदारनाथ विधानसभा सीट से 2002 और 2007 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की आशा नौटियाल विजयी रही थीं. 2012 में कांग्रेस ने भी महिला उम्मीदवार पर दांव खेला. कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरी शैलारानी रावत, बीजेपी की आशा नौटियाल को हराकर विधानसभा पहुंचीं.
2017 का जनादेश
केदारनाथ विधानसभा सीट से 2017 के विधानसभा चुनाव में समीकरण बदले. शैलारानी रावत ने कांग्रेस से बगावत कर बीजेपी का दामन थाम लिया. बीजेपी ने भी 2017 के चुनाव में शैलारानी पर भरोसा किया. टिकट कटने से आशा नौटियाल बागी हो गईं और निर्दल ही चुनाव मैदान में उतर पड़ीं. कांग्रेस ने नए चेहरे मनोज रावत पर दांव लगाया. कांग्रेस के मनोज ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी निर्दल उम्मीदवार कुलदीप सिंह रावत को 869 वोट के करीबी अंतर से हरा दिया था. आशा नौटियाल तीसरे और बीजेपी की शैलारानी रावत चौथे स्थान पर रही थीं.
सामाजिक ताना-बाना
केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो यहां करीब एक लाख मतदाता हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी अधिक है. जातिगत समीकरणों की बात करें तो ये ठाकुर बाहुल्य विधानसभा सीट है. अनुमानों के मुताबिक यहां तकरीबन आधे मतदाता ठाकुर हैं. ब्राह्मण के साथ ही अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और जनजाति के मतदाता भी इस विधानसभा सीट का चुनाव परिणाम निर्धारित करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
केदारनाथ विधानसभा सीट से विधायक कांग्रेस के मनोज रावत का दावा है कि उन्होंने अपने पांच साल के कार्यकाल में क्षेत्र के चहुंमुखी विकास के लिए हर संभव प्रयास किए हैं. वहीं, विपक्षी नेताओं का आरोप है कि इलाके की समस्याएं जस की तस हैं. विधायक अपनी निधि का धन भी खर्च करने में विफल रहे. सड़क, शिक्षा, पेयजल, संचार, बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं के साथ ही स्वास्थ्य भी बड़ी समस्या रहा है. विपक्षी नेताओं का आरोप है कि कोरोना काल में पर्यटन ठप था और तब लोग अपने जनप्रतिनिधि की तलाश कर रहे थे लेकिन तब उनका कहीं अता-पता नहीं था.