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सपा-कांग्रेस गठबंधन के बाद मायावती ने तेज की मुस्लिम वोटों की जंग

यूपी चुनाव में फिलवक्त सबसे अधिक मारामारी मुस्लिम वोटों को लेकर हो रही है. एक ओर जहां मुस्लिम वोटरों को साधने के लिए सपा और कांग्रेस ने गठबंधन किया है तो दूसरी ओर बसपा ने 97 मुस्लिम प्रत्याशी उतार कर पहले ही इस वोट बैंक पर अपना दावा मजबूत किया है.

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मायावती
मायावती

मायावती यूपी के विधानसभा चुनावों में जीत की खातिर इस बार मायावती दलित-मुस्लिम गठजोड़ पर जोर दे रही हैं. मुस्लिम वोट साधने के मकसद से मायावती ने कई महीनों पहले ही अपने सिपहसालार चुनावी मैदान में उतार दिए थे. मायावती की नजर दरअसल मुस्लिम वोट बैंक पर इसलिए है क्योंकि सूबे में उसका मत प्रतिशत 19% है, यह काफी हद तक निर्णायक भी होता है. मायावती को इस बात का पूरा भरोसा है कि अगर 23% दलित और 19% मुस्लिम मिल गए तो वे चुनावी वैतरणी पार कर जाएंगीं.

मुस्लिम साधने को मुख्तार का साथ
मुस्लिम वोट बैंक खींचने का कोई मौका मायावती छोड़ना नहीं चाहती हैं. पहले उन्होंने अपने सभी मुस्लिम नेताओं को फ्रंट मोर्चे पर उतारा, फिर 97 मुस्लिम चेहरों को टिकट दिया, स्टार प्रचारकों की लिस्ट में अपने बाद मुस्लिम नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी का नाम रखा. अब खबर आ रही है कि बीएसपी सपा से नाराज चल रहे अंसारी बंधुओं को साधने की कोशिश में है. सूत्रों के मुताबिक बीएसपी लगातार अंसारी बंधुओं के साथ संपर्क में है और जल्द ही कोई बड़ी घोषणा भी हो सकती है.

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माना जा रहा है कि मायावती के खास सतीश मिश्रा के जरिए ही मुख्तार अंसारी की बीएसपी में वापसी हो रही है. आपको बता दें कि बीएसपी सुप्रीमो ने पहले भी मुख्तार अंसारी को मौका दे चुकी हैं लेकिन बाद में अंसारी ब्रदर्स ने बीएसपी छोड़ अपनी पार्टी (कौएद) बना ली थी.

अभी सिर्फ दो टिकट
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मुख्तार अंसारी ने बीएसपी से कई सीटें मांगी थीं लेकिन बात नहीं बन पाई. दरअसल, बीएसपी अपनी लिस्ट जारी कर चुकी है. जिस वजह से मायावती ने सिर्फ दो सीटों का वादा किया है.

यहां से लड़ेंगे अंसारी ब्रदर्स
गाजीपुर की मोहम्मदाबाद व मऊ की सदर सीट से अंसारी बंधुओं के चुनाव लड़ने की उम्मीद है. मऊ सदर की सीट से बाहुबली मुख्तार अंसारी विधायक हैं तो मोहम्मदाबाद सीट से उनके भाई सिबगतुल्लाह अंसारी विधायक हैं. बीएसपी ने पहले मऊ की सदर सीट से मनोज राय व मोहम्मदाबाद सीट से विनोद राय को उम्मीदवार बनाया था.

सपा और कांग्रेस गठबंधन से हो रहे नुकसान को कम करने की कवायद
यूपी चुनाव में फिलवक्त सबसे अधिक मारामारी मुस्लिम वोटों को लेकर हो रही है. एक ओर जहां मुस्लिम वोटरों को साधने के लिए सपा और कांग्रेस ने गठबंधन किया है तो दूसरी ओर बसपा ने 97 मुस्लिम प्रत्याशी उतार कर पहले ही इस वोट बैंक पर अपना दावा मजबूत किया है. पूर्वांचल में मुस्लिमों के बड़े नेता माने जाने वाले मुख्तार अंसारी के परिवार के बसपा में जाने से मुस्लिम वोटरों का झुकाव बीएसपी की तरफ हो सकता है. बसपा सुप्रीमो मायावती ने इसी रणनीति के तहत दो टिकट काट कर अंसारी बंधु को टिकट देने की तैयारी की है.

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मुस्लिम वोट की जिम्मेदारी इन कंधों पर
मुस्लिम वोट साधने की जिम्मेदारी बीएसपी ने अपने महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी को दे रखी है. सिद्दीकी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी दी गई है जहां वे लगातार रैलियां और बैठकें कर रहे हैं. सिद्दीकी के अलावा मायावती ने सांसद मुनकाद अली, नौशाद अळी और अतहर खान को मुस्लिम मोर्चे पर आगे किया है. मुनकाद अली वाराणसी, इलाहाबाद और मिर्जापुर डिवीजन में बसपा का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं जबकि नौशाद अली को बुंदेलखंड और अतहर खान को फैजाबाद और देवीपाटन मंडल का जिम्मा सौंपा गया है.

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