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कहीं पिछड़ ना जाएं... 4 चरणों के बाद BJP की रणनीति में बदलाव!

उत्तर प्रदेश की 403 सीटों में से 262 सीटों पर उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला मतपेटियों में बंद हो चुका है.

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जमीनी रिपोर्ट के बाद रणनीति में बदलाव
जमीनी रिपोर्ट के बाद रणनीति में बदलाव

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए चार चरणों का मतदान सम्पन्न हो चुका है. 5वें चरण का मतदान आज होने जा रहा है. पहले चार चरणों के मतदान में सीटों के अंक गणित में फिसलने की खबर से चिंतित भाजपा ने बचे तीन चरणों के लिए पूरी ताकत लगाने और संघ के सहयोग से बचे तीन चरणों में पूरा दम लगाने की रणनीति तय की है.

उत्तर प्रदेश में पहले चरण में 73 सीटों के लिए 11 फरवरी को, 67 सीटों के लिए दूसरे चरण का मतदान 15 फरवरी को, तीसरे चरण के 69 सीटों के लिए मतदान 19 फरवरी को और चौथे चरण की 53 सीटों पर मतदान 23 फरवरी को सम्पन्न हो गया है.

उत्तर प्रदेश की 403 सीटों में से 262 सीटों पर उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला मतपेटियों में बंद हो चुका है. अगले तीन चरणों में 25 जिलों की 141 सीटों पर मतदान होना है और भाजपा की उम्मीद भी इसी तीन चरणों में सबसे ज्यादा सीटें जीतकर उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने की है.

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भाजपा भले ही पहले चार चरणों की 262 सीटों में से 175 सीटें जीतने का दावा कर रही हो लेकिन संघ के जमीनी कार्यकर्ताओं की और से संघ को चार चरणों के चुनावों के बाद जो जमीनी रिपोर्ट संघ ने अपने कार्यकर्ताओं से एकत्रित कर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को भेजी है. वह भाजपा के लिए ​चिंता का कारण बन गई है.

भाजपा मुख्यालय पहुंची खबर में कहा गया है कि चार चरणों के चुनाव के बाद भाजपा बमुश्किल 75 सिटों के आसपास सिमट सकती है. भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओं ने भी भाजपा हाईकमान को भेजी रिपोर्ट में 75 से 80 सीटों का आकलन भेजा है. जमीनी रिपोर्ट से आ रहे फीडबैक ने भाजपा की चिं​ता को बढ़ा दिया है और दौड़ में बने रहने और सत्ता पाने के लिए भाजपा ने बचे हुए तीन चरणों के लिए आक्रामक चुनाव अभियान अपनाने, संघ का पूरा सहयोग लेने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैलिया बढ़ाने की रणनीति तय की है.

भाजपा पहले चार चरणों के मतदान प्रतिशत से भी बहुत उत्साहित नहीं है. प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी को ट्वीट कर लोगों से घर से निकलकर मतदान करने की अपील करनी पड़ी है. भाजपा के रणनीतिकारों का आकलन है कि बचे हुए तीन चरणों में बंपर मतदान के साथ ही मोदी की रैलियां के दम पर भाजपा की सीटों की फसल लहलहा सकती है.

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बचे हुए तीन चरणों में जहां मतदान होने जा रहा है, वहां के जिले पूर्वांचल और उत्तर-पूर्व में आते हैं. 2012 के चुनाव में इन क्षेत्रों में समाजवादी पार्टी का प्रदर्शन शानदार रहा था. 2012 के चुनाव में उत्तर-पूर्व की 61 सीटों में से समाजवादी पार्टी को 32, भाजपा को 10, बसपा को 9 और कांग्रेस को 7 सीटें मिली थी. 2012 के विधानसभा चुनाव में पूर्वांचल की 81 सीटों में से समाजवादी पार्टी को 52 सीटें, भाजपा को 6, बीएसपी को 13 और कांग्रेस को 4 सीटें मिली थी.

भाजपा की कोशिश इन 25 जिलों में भाजपा का पासा पलटने की है और यहा से 80 से ज्यादा सीटें की है. प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी खुद वाराणसी से सांसद है. मोदी के भरोसे भाजपा पूर्वांचल में एक तरफा सीटे जीतने की कोशिश में है. लेकिन भाजपा के लिए सिर्फ मोदी के नाम पर परचम फहराना आसान नहीं होगा. भाजपा के फायर ब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ भी गोरखपुर से आते हैं और मोदी के बाद योगी आदित्यनाथ की भी इन बचे हुए चरणों में परीक्षा होगी.

भाजपा की रणनीति
संघ के जमीनी कार्यकर्ताओं का बूथ मैनेजमेंट और मतदाताओं को घर से निकालकर मतदान तक ले जाने का जिम्मा सौंपा गया है. संघ का अपने बस्ती, मोहल्ला, नगर स्तर से लेकर प्रांत और क्षेत्र के पदाधिकारीयों को भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने का निर्देश. साथ ही पीएम मोदी की रैलियां बढ़ाने पर भी फोकस है.

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5वें चरण पर एक नजर
5वें चरण में बलरामपुर, गोंडा, फैजाबाद, अंबेडकरनगर, बहराइच, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संत कबीर नगर, अमेठी, सुल्तानपूर जिलों की 52 सीटों पर 27 फरवरी को मतदान होगा. 2012 के चुनाव में इन 52 सीटों में से सपा को 37, भाजपा को 5, कांग्रेस को 5 और बसपा को 3 सीटें मिली थी.

छठे चरण पर एक नजर
छठे चरण में महाराजगंज, कुशीनगर, गोरखपुर, देवरिया, आजमगढ, मउ और बलिया जिलों की 49 सीटों पर 4 मार्च को मतदान होगा. 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा को 27, भाजपा को 8, बसपा को 8 और कांग्रेस को 4 सीटें मिली थी.

7वें चरण पर एक नजर
सातवें और अंतिम चरण में गाजीपुर, वाराणसी, चंदौली, मिर्जापुर, भदोही, सोनभद्र, जौनपुर जिले की 40 सीटों पर 8 मार्च को मतदान होगा. 2012 के चुनाव में यहां से समाजवादी पार्टी को 23, भाजपा को 4, कांग्रेस को 3 और बसपा को 5 सीटें मिली थी.

 

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