यूपी विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में नौ जिलों की 55 सीटों पर 14 फरवरी को वोट डाले गए. 55 विधानसभा सीटों पर कुल 586 उम्मीदवारों की किस्मत मतदाताओं ने ईवीएम में कैद कर दी. अब लोग ये जानना चाहते हैं कि दूसरे चरण में वोटिंग ट्रेंड क्या कहता है? किस पार्टी को कितनी सीटें मिलने का अनुमान है? साथ ही लोग ये भी समझना चाहते हैं कि यूपी के दूसरे चरण में वोटिंग परसेंटेज से क्या समझा जाए.
यूपी चुनाव में जिन 55 सीटों पर वोटिंग हुई है, उन सीटों पर 2017 के चुनाव नतीजे देखें तो बीजेपी ने 38 सीटों पर जीत हासिल की थी. समाजवादी पार्टी ने 15 और कांग्रेस ने दो सीटें जीती थीं. इस दफे बीजेपी के 2017 वाले चक्रव्यूह को तोड़ने के लिए अखिलेश यादव और जयंत चौधरी ने गठबंधन किया. अखिलेश की नजर सीधे-सीधे दूसरे चरण की सीटों पर थी जहां मुस्लिम मतदाताओं की तादाद अच्छी है. जिन नौ जिलों में दूसरे चरण के तहत वोटिंग हुई है, उनमें से 6 जिलों में 40 फीसदी से अधिक मुस्लिम आबादी है.
किस जिले में कितने मुस्लिम
पहले चरण में कहां हुआ कितना मतदान
यूपी विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 62.08 फीसदी मतदान हुआ. कैराना में सबसे ज्यादा 75.12 फीसदी वोटिंग हुई तो साहिबाबाद में सबसे कम 45 फीसदी मतदान हुआ था. पहले चरण में 11 जिलों की जिन 58 सीटों पर मतदान हुआ था, उन विधानसभा क्षेत्रों में 2017 में 63.75 और 2012 में 61.03 फीसदी मतदान हुआ था. दूसरे चरण की बात करें तो समाचार लिखे जाने तक यानी 14 फरवरी की देर रात प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक 62.82 फीसदी मतदान हुआ है.
वोटिंग ट्रेंड को लेकर क्या कहते हैं एक्सपर्ट
एक्सपर्ट मानते हैं कि यूपी चुनाव के पहले चरण में हुई वोटिंग को भी अग्रेसिव वोटिंग के दायरे में ही रखा जाना चाहिए. इसका कारण दो ध्रुवीय हो चुके मुकाबले में दोनों तरफ के वोटरों का निकलकर मतदान केंद्रों पर पहुंचना और वोटिंग करना माना जाएगा. कहा जाता है कि लखनऊ की सत्ता में जब-जब परिवर्तन हुआ, पश्चिमी उत्तर प्रदेश ने बड़ी भूमिका निभाई. सत्ता परिवर्तन का प्रमुख संकेत वेस्ट यूपी से मिलता है और ये इलाका पूरे प्रदेश की राजनीतिक दशा और दिशा तय कर देता है.
अखिलेश-जयंत का गठबंधन दे रहा टक्कर
सवाल ये है कि क्या इस बार की वोटिंग में ऐसा कोई संकेत दिखा है? पिछले तीन विधानसभा चुनाव के आंकड़ें देखें तो वोटिंग प्रतिशत बढ़ा था और इसका परिणाम सत्ता परिवर्तन के रूप में सामने आया. जिन 58 सीटों पर पहले चरण में मतदान हुआ, 2017 में बीजेपी ने 53 सीटें जीती थीं. बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) के खाते में दो-दो सीटें आई थीं. 2017 में आरएलडी केवल एक सीट जीत पाई थी. बीजेपी को जिन पांच सीटों पर मात खानी पड़ी थी, पार्टी चार सीटों पर दूसरे स्थान पर रही थी. 2022 की चुनावी जंग में बीजेपी और अखिलेश-जयंत के गठबंधन में तगड़े मुकाबले की बात हो रही है.
जाटलैंड-मुस्लिम बेल्ट के बाद अब यादव बेल्ट में जोर आजमाइश
यूपी चुनाव के दो चरणों में अब तक जाटलैंड, मुस्लिम बेल्ट और रुहेलखंड की लड़ाई देखने को मिली है. पहले चरण में 58 सीटों पर चुनाव हुआ, दूसरे चरण में 55 सीटों पर और अब तीसरे चरण में सेंट्रल यूपी के यादव बेल्ट और बुंदेलखंड की सीटों पर जोर आजमाइश होगी. यूपी के दो चरणों में जाट बेल्ट संपूर्ण हो जाता है. इसके बाद चुनाव सेंट्रल यूपी की तरफ बढ़ता है. यहां यादव बेल्ट और बुंदेलखंड की सीटों पर जोर आजमाइश शुरू हो चुकी है. वोटरों के बदलते समीकरण के साथ ही तीसरे चरण से चुनावी मुद्दों और भाषणों की टोन भी बदल सकती है. ध्रुवीकरण की कोशिशों वाले धार्मिक-भावनात्मक बयानों की जगह नए मुद्दे ले सकते हैं. तीसरे चरण में 16 जिलों की 59 सीटों पर वोटिंग होगी.
इन जिलों में तीसरे चरण का मतदान
तीसरे चरण के तहत जिन 16 जिलों की विधानसभा सीटों पर मतदान होना है, उनमें हाथरस, फिरोजाबाद, कासगंज, एटा, मैनपुरी, फर्रुखाबाद, कन्नौज और इटावा जिले शामिल हैं. औरैया, कानपुर देहात, कानपुर, जालौन, झांसी, ललितपुर, हमीरपुर और महोबा में भी तीसरे चरण के तहत वोटिंग होनी है. इनमें से सात जिले यादव बेल्ट के और पांच जिले बुंदेलखंड के हैं.
अपने गढ़ में खराब रहा था सपा का प्रदर्शन
सपा का प्रदर्शन इस क्षेत्र में खराब रहा था. 2017 में सत्ता में रहने के बावजूद भी सपा का प्रदर्शन खराब रहा था. सपा को महज आठ सीटें मिली थीं. सपा की गठबंधन सहयोगी कांग्रेस को केवल एक सीट पर जीत मिली थी. बीजेपी ने 49 सीटें जीती थीं. 2022 में खुद अखिलेश यादव भी चुनाव मैदान में उतर आए हैं. अखिलेश के इस कदम को अपने गढ़ में समीकरण साधने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.