छावनी विधानसभा सीट पर वर्ष 1967 से लेकर वर्ष 1985 तक कांग्रेस का कब्जा रहा. वर्ष 1889 में हुए विधानसभा चुनाव में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की. तब से लेकर 1996 तक के विधानसभा चुनाव में यहां के लोगों ने भारतीय जनता पार्टी को जीत का ताज पहनाया. फिर इस सीट पर हाथी ने कमल को कुचल दिया और वर्ष 2002, 2007 और 2012 के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी की जीत हुई. 2017 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर मतदाताओं का मन बदला और उन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार को कैंट विधानसभा सीट पर जीत दिलायी.
आगरा कैंट विधानसभा सीट- कब कौन जीता
1989 हरद्वार दुबे भारतीय जनता पार्टी
1991 हरद्वार दुबे भारतीय जनता पार्टी
1993 रमेश कांत लावनिया भारतीय जनता पार्टी
1996 केशो मेहरा भारतीय जनता पार्टी
2002 मोहम्मद बशीर बहुजन समाज पार्टी
2007 जुल्फिकार अहमद भुट्टो बहुजन समाज पार्टी
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वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में आगरा कैंट सीट पर बहुजन समाज पार्टी पहले स्थान पर रही. दूसरे स्थान पर भारतीय जनता पार्टी थी, जबकि तीसरे स्थान पर समाजवादी पार्टी रही थी. पिछली बार के चुनाव में बीजेपी और बसपा के बीच के मतों का अंतर बहुत अधिक था.
वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में बसपा और बीजेपी के बीच जीत का अंतर करीब 6 हजार वोट्स का था. ये अंतर 2017 में बढ़कर 46,325 वोट का हो गया.
आगरा छावनी विधानसभा चुनाव वर्ष 2012
बहुजन समाज पार्टी गुटियारी लाल दुवेश 67,786 वोट
भारतीय जनता पार्टी गिरराज सिंह धर्मेंश 61,371 वोट
समाजवादी पार्टी चंद्र सेन 44,684 वोट
इस अंतर को देखते हुए कहा जा रहा है कि इस सीट पर सपा की राह 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में आसान नहीं होगी. समाजवादी पार्टी को अब तक इस सीट पर कभी भी सफलता नहीं मिली है. पिछले चुनाव में सपा इस सीट पर तीसरे स्थान पर रही थी. सपा और बसपा के वोटों में अंतर भी बहुत ज्यादा नहीं था. इस सीट पर मौजूदा समय में भाजपा विधायक डॉ. गिरराज सिंह धर्मेश हैं.
2017 का जनादेश
आगरा छावनी विधानसभा चुनाव वर्ष 2017
भारतीय जनता पार्टी गिरराज सिंह धर्मेंश 1,13,178 वोट
बहुजन समाज पार्टी गुटियारी लाल दुवेश 66,853 वोट
समाजवादी पार्टी ममता टपलू 64,683 वोट
सामाजिक ताना-बाना
जातिगत आंकड़ों की बात की जाए तो यहां करीब 75 हजार वोट जाटवों के हैं. वहीं वाल्मीकि समाज के 25 हजार मतदाता, ब्राहम्ण समाज के 65 हजार मतदाता बताए जाते हैं. इस सीट पर राठौर वोटरों की संख्या करीब 25 हजार है, जबकि मुस्लिम मतदाता करीब 30 हजार बताए जा रहे हैं. यादव और जाट वोटरों की संख्या यहां 15-15 हजार बतायी जा रही है. इसके अलावा सरदार, सिंधी और पंजाब मतदाताओं की संख्या करीब 25 हजार है.
अब देखना है कि क्या बीजेपी 2022 के विधानसभा चुनाव में अपनी जीत को दोहरा पाती है या फिर बसपा या सपा के उम्मीदवार को यहां जीत का ताज मिलेगा. पिछले चुनाव में जीत के अंतर को देखते हुए फिलहाल राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी की राह इस सीट पर आसान नहीं दिख रही है.