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UP: 69000 शिक्षक भर्ती में ओबीसी आरक्षण बना योगी सरकार के गले की फांस, समाधान में जुटी BJP?

उत्तर प्रदेश में ओबीसी वोटों के सियासी समीकरण को देखते हुए बीजेपी 2022 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले इस मामले का हल तलाशने में जुट गई है. विपक्षी दल इस मुद्दे के बहाने योगी सरकार को आरक्षण विरोधी बताकर कठघरे में खड़ा करने में जुटे हैं, जिसे देखते हुए बीजेपी इस संबंध में बड़ा निर्णय ले सकती है.

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यूपी टीचर भर्ती
यूपी टीचर भर्ती
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 69 हजार शिक्षक भर्ती बीजेपी के गले ही फांस बनी
  • ओबीसी छात्र लंबे समय से कर रहे आंदोलन
  • यूपी चुनाव से पहले समाधान में जुटी बीजेपी

उत्तर प्रदेश में 69 हजार शिक्षक भर्ती में आरक्षण की अनियमितता को लेकर काफी लंबे समय से आंदोलन चल रहा है. सूबे में ओबीसी वोटों के सियासी समीकरण को देखते हुए बीजेपी 2022 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले इस मामले का हल तलाशने में जुट गई है. विपक्षी दल इस मुद्दे के बहाने योगी सरकार को आरक्षण विरोधी बताकर कठघरे में खड़ा करने में जुटे है, जिसे देखते हुए बीजेपी इस संबंध में बड़ा निर्णय ले सकती है. 

संसद के शीतकालीन सत्र से पहले रविवार को एनडीए की बैठक में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के सामने अपना दल (एस) की अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने शिक्षक भर्ती मुद्दे को उठाया और इसे मामले का जमीनी स्तर पर होने वाले सियासी नुकसान से अवगत कराया. सूत्रों की मानें तो बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जल्द इस पर समाधान निकालने का आश्वासन दिया. नड्डा ने कहा कि इस मामले में एक महत्वपूर्ण बैठक हो चुकी है और जल्द ही उचित निर्णय लिया जाएगा. 

शिक्षक भर्ती पर ओबीसी आयोग सख्त

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने भी 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में आरक्षण नियमों का पालन नहीं होने पर यूपी की योगी सरकार से जवाब मांगा था. आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था, 'जब अधिकारियों को यही नहीं पता कि इस भर्ती में आरक्षण से संबंधित एनआईसी के सॉफ्टवेयर में कौन सी कमांड दी जा रही है तो उन्होंने इस भर्ती में कैसे आरक्षण के नियमों का पालन कर लिया यह अपने आप में बड़ा सवाल है.'

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राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा है कि इस भर्ती में आरक्षण का उल्लंघन हुआ है ऐसी स्थिति में बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों के विरुद्ध गंभीर कार्रवाई की जाए क्योंकि इस भर्ती में अनुच्छेद 14, 15, 16 का उल्लंघन हुआ है.

क्या है शिक्षक भर्ती का पूरा मामला?

यूपी बेसिक शिक्षा परिषद ने साल 2019 में 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा का आयोजन किया था. इस शिक्षक भर्ती में आरक्षण नियमों की अनदेखी का आरोप लगा. आंदोलन कर रहे अभ्यर्थियों का दावा है कि करीब 22 से 23 हजार सीटों पर आरक्षण नियमों की अनदेखी हुई है.

आंदोलनरत अभ्यर्थियों का कहना है कि इस भर्ती में ओबीसी वर्ग की 18598 सीट थी, जिनमें से मात्र ओबीसी वर्ग को 2637 सीट ही दी गई है, ओबीसी वर्ग को इस भर्ती में 27% की जगह मात्र 3.86% आरक्षण दिया गया है और एससी वर्ग को इस भर्ती में 21% की जगह मात्र 16.6% आरक्षण दिया गया है.

अभ्यर्थियों का कहना है कि इस भर्ती में बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 तथा आरक्षण नियमावली 1994 का घोर उल्लंघन हुआ है, 5844 सीट वह है जिनकी ओवरलैपिंग कराई जानी थी लेकिन विभाग ने यह सीटें भी नहीं दी. उनका कहना है कि हर भर्ती की अपनी एक मूल चयन सूची जारी होती है जिसमें  गुणांक, कैटेगरी तथा सबकैटिगरी सब को दिखाया जाता है लेकिन इस भर्ती में यह सब कुछ छुपा लिया गया जो नियम विरुद्ध रहा.

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अभ्यर्थियों की मांग है कि अनारक्षित की कट ऑफ 67.11 से नीचे ओबीसी को 27% तथा एससी वर्ग को 21% आरक्षण इस भर्ती में दिया जाए. हालांकि सरकार की ओर से किसी भी अनदेखी से इनकार किया जा रहा है.

शिक्षक भर्ती बीजेपी के गले की फांस

शिक्षक भर्ती मामला योगी सरकार के गले की फांस बन गया है, क्योंकि एक तरफ ओबीसी वोटर है तो दूसरी तरफ सवर्ण वोट. सूबे के कई जिलों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और सोशल मीडिया पर भी राज्य सरकार के खिलाफ बड़ा अभियान छेड़ रखा है. ऐसे में बीजेपी और उसके सहयोगी अपना दल (एस) की चिंताए बढ़ गई है. 2022 चुनाव को देखते हुए बीजेपी भी बचाव की मुद्रा में हैय ऐसे में बीजेपी नहीं चाहती कि चुनाव में ओबीसी विरोध का ठप्पा उसे लगे, लेकिन सवर्ण वोटर को भी नाराज नहीं करना चाहती. 

पिछड़े वर्गों के युवाओं में तेजी से फैल रहा है. ऐसे में यह मामला अनुप्रिया पटेल भी लगातार सरकार के सामने उठा रही थी और अब इसे केंद्र की एनडीए की बैठक में भी उठाया गया. एनडीए की बैठक में उपस्थित रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जल्द इस मामले का हल निकालने का आश्वासन दिया. अनुप्रिया ने इससे पहले यह मामला प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के समक्ष भी उठा चुकी हैं और अब माना जा रहा है कि सूबे के सियासी समीकरण को देखते हुए इस मामले की समाधान तलाशने में जुटी है. 

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OBC यूपी का सबसे बड़ा वोटबैंक

बता दें कि उत्तर प्रदेश में सरकारी तौर पर जातीय आधार पर कोई आधिकारिक आंकड़ा मौजूद नहीं है, लेकिन अनुमान के मुताबिक यूपी में सबसे बड़ा वोट बैंक पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का है. लगभग 52 फीसदी पिछड़ा वोट बैंक में 43 फीसदी वोट बैंक गैर-यादव बिरादरी का है तो 9 फीसदी यादव समाज है. ओबीसी वोटर सूबे के सत्ता बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखते हैं. 2017 में बीजेपी की सत्ता में वापसी में ओबीसी वोटरों की भूमिका काफी अहम रही है और इस बार के चुनाव में ओबीसी वोटों के तिए विपक्ष और बीजेपी के शह-मात का खेल चल रहा है.  


 

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