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Shikarpur Assembly Seat: शिकारपुर BJP का मजबूत किला, क्या सेंध लगा पाएगी SP या BSP

शिकारपुर (Shikarpur) विधानसभा क्षेत्र में वोटिंग पैटर्न भी जातिवाद के आधार पर ही रहा है. जातिगत स्तर पर देखें तो इस सीट पर सर्वाधिक ब्राह्मण बिरादरी के लोग हैं तो उसके बाद जाट मतदाताओं की संख्या है

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शिकारपुर में बना ऐतिहासिक बाराखंभा (फोटो-मुकुल)
शिकारपुर में बना ऐतिहासिक बाराखंभा (फोटो-मुकुल)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • शिकारपुर में ऐतिहासिक बाराखंभा, जो मुगल काल में बना
  • 1990 के बाद बीजेपी को शिकारपुर में सर्वाधिक 5 जीत मिली
  • 2017 में बीजेपी से अनिल शर्मा जीते, योगी सरकार में मंत्री

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जनपद की शिकारपुर विधानसभा की पहचान इस खासियत के लिए है कि यह सीट कभी किसी खास नेता के लिए नहीं रही और यहां के लोगों ने बार-बार अपना नेता बदला. 1990 के बाद से भाजपा यहां से पांच बार जीत हासिल कर चुकी है. 

ब्राह्मण बाहुल्य इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का वर्चस्व रहा है और यहां से वर्तमान विधायक अनिल शर्मा प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री के पद पर भी हैं. बीजेपी के अलावा कांग्रेस, सपा और बसपा भी इस सीट पर चुनाव जीतकर अपना परचम लहरा चुकी है. 2022 में सभी दल के प्रत्याशी सीट जीतने के लिए आंकड़े फिट कर रहे हैं.

सामाजिक तानाबाना

शिकारपुर विधानसभा क्षेत्र जनपद के मध्य में स्थित है, इसकी एक तरफ डिबाई तो दूसरी तरफ खुर्जा विधानसभा और तीसरी तरफ बुलंदशहर सदर विधानसभा क्षेत्र है. दिल्ली बदायूं मार्ग पर स्थित शिकारपुर तहसील मुख्यालय है. शिकारपुर ऐतिहासिक रूप से भी जाना जाता है यहां एक बाराखंबा है जो कि मुगल काल बनाया गया बताया जाता है.

यह तभी से कब्रिस्तान का इलाका था और अभी भी ही वहां पर एक बाराखंभा बना हुआ है. लोग कहते हैं कि वह भूत-प्रेत, आत्मा या जिन्न वगैरह ने बनवाया था. इसको लेकर बहुत सारी भ्रांतियां भी हैं.

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शिकारपुर में औद्योगिक गतिविधियां ना के बराबर हैं. अधिकांश आबादी खेती किसानी से जुड़े कारोबार पर निर्भर है. अनाज मंडी और सब्जी मंडी से यहीं पर स्थापित हैं. यूं तो शिकारपुर में कभी पैरों में पहनने वाली जूतियां का कारोबार हुआ करता था, लेकिन वह सब सिमट गया. किसी अपवाद को लेकर यहां के लोगों के नाम मंदबुद्धि में गिने जाने लगे जिसको प्रसिद्ध फिल्म डॉन में भी अभिताभ बच्चन पर भी फिल्माया गया.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

बुलंदशहर जनपद शिकारपुर विधानसभा प्रदेश की 69 नंबर की विधानसभा सीट कहलाती है. 1970 के बाद के चुनाव की बात करें तो शिकारपुर विधानसभा सीट पर 1974 में चुनाव हुआ. इस चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी धर्म सिंह यहां से विजयी हुए. उसके बाद 1977 में जनता पार्टी से त्रिलोकचंद, 1980 में कांग्रेस के धर्म सिंह, 1985 में त्रिलोकचंद दमकिया पार्टी से, 1989 में गंगाराम जनता दल से 1991 में जीते जबकि 1993 में बीजेपी से मास्टर रामप्रसाद यहां से विजयी हुए.

1996 में सपा प्रत्याशी नरेंद्र नंदा की सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो जाने से इस सीट पर चुनाव स्थगित हो गया इसलिए 1997 में हुए चुनाव में भाजपा के महेंद्र वाल्मीकि ने जीत हासिल की. 2002 में मुंशी लाल गौतम भाजपा से, 2007 में बसपा से वासुदेव सिंह और 2012 में मुकेश शर्मा सपा से चुनाव जीते तो 2017 में फिर भाजपा से अनिल शर्मा इस सीट पर विजयी हुए.

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किसी पार्टी या किसी नेता का यहां कोई खास वर्चस्व कभी नहीं दिखाई दिया. जिस पार्टी की प्रदेश में सरकार रही उसी नेता का दमखम बराबर क्षेत्र में बना रहा. भाजपा के टिकट पर 2017 में चुनाव जीते अनिल शर्मा प्रदेश सरकार में जलवायु वन पर्यावरण राज्यमंत्री बने तो उनकी विधानसभा क्षेत्र और जनपद में पार्टी, संगठन और प्रशासन में खासी पकड़ रही.

2022 का चुनाव खासा महत्वपूर्ण है. प्रदेश के राज्य मंत्री अनिल शर्मा इस सीट को दोबारा कब्जा करना चाहेंगे. साथ ही विरोधी चाह रहे हैं कि भाजपा का वर्चस्व इस सीट से खत्म हो और उनका नंबर आए जिसमें सपा और बसपा मोर्चा मारते दिख रहे हैं.

2017 का जनादेश

क्षेत्र में वोटिंग पैटर्न भी जातिवाद के आधार पर ही रहा है. जातिगत स्तर पर देखें तो इस सीट पर सर्वाधिक ब्राह्मण बिरादरी के लोग हैं तो उसके बाद जाट मतदाताओं की संख्या है फिर दलित, मुस्लिम और उसके बाद ठाकुर तथा अन्य बिरादरी के मतदाता क्षेत्र में शामिल हैं.

2017 के विधानसभा चुनाव में यहां पर 310747 मतदाताओं में से 163862 पुरुष मतदाता थे तो 146876 महिला मतदाता. चुनाव में 101912 मत पाकर भारतीय जनता पार्टी के अनिल शर्मा चुनाव जीते. उन्होंने बसपा के मुकुल उपाध्याय को हराया. मुकुल उपाध्याय को 51667 मत प्राप्त हुए. तीसरे नंबर पर कांग्रेस प्रत्याशी उदय करन दलाल रहे जिन्हें 32914 वोट प्राप्त हुए. बसपा पिछले 2 चुनावों से यहां पर उपविजेता रही है.

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विधायक अनिल शर्मा का पारिवारिक राजनीतिक इतिहास रहा है. इसी विधानसभा क्षेत्र के सुरजावाली गांव के वह निवासी हैं. इनके दादा क्षेत्र में नंबरदार के नाम से प्रसिद्ध थे और कांग्रेस के जिला अध्यक्ष भी रहे थे. अनिल शर्मा के परिवार में गांव प्रधानी का पद शुरुआत से ही रहा. अनिल शर्मा भी खुद प्रधान रहे.

रिपोर्ट कार्ड

अनिल शर्मा के परिवार के कई सदस्य अभी तक प्रधानी पद पर काबिज रहे थे और अभी भी हैं. अनिल शर्मा ने पहला चुनाव 2005 में जनपद के खुर्जा विधानसभा सीट से बसपा के टिकट पर लड़ा था जिसमें वह जीत गए थे. दूसरा चुनाव भी उन्होंने खुर्जा से 2007 बसपा से ही लड़ा और उसमें भी विजयी हुए. 

लेकिन इसके बाद जनपद की खुर्जा सीट रिजर्व हो गई तो उन्होंने अपना विधानसभा क्षेत्र बदल दिया और शिकारपुर आ गए जहां बसपा के ही टिकट पर चुनाव लड़े लेकिन अपना तीसरा चुनाव 2012 में सपा प्रत्याशी मुकेश शर्मा से हार गए. उसके बाद वह भाजपा में शामिल हो गए और 2017 में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते.

बुलंदशहर के जेपी जनता इंटर कॉलेज से इंटर करने के बाद उन्होंने दिल्ली से बीएससी की डिग्री हासिल की. उनके परिवार में एक पुत्र और एक पुत्री हैं. पुत्र शादीशुदा है और परिवार अपने पिता के साथ ही रहते हैं. पुत्री की भी शादी हो चुकी है.

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कुल मिलाकर मुगल और अंग्रेजों के शासन की झलक देता यह विधानसभा क्षेत्र कृषि प्रधान क्षेत्र के साथ-साथ भाजपा का गढ़ माने जाने वाला क्षेत्र कहा जाता है. 2022 किसके पक्ष में होगा यह तो समय आने पर ही पता चलेगा लेकिन राजनीतिक गोटियां अभी से फिक्स होने लगी हैं.
 

 

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