उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में गंगा, कल्याणी और सई नदी के बीच एक विधानसभा सीट है सफीपुर विधानसभा सीट. आर्थिक तौर पर ये क्षेत्र काफी पिछड़ा है. शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी ये इलाका आजादी के बाद से विकास से वंचित ही रहा है. तकनीकी शिक्षा की बात हो या फिर सरकारी उच्च शिक्षण संस्थान, इस इलाके में इसका अभाव है. तहसील मुख्यालय पर कोई महाविद्यालय नहीं है.
सफीपुर नगर पंचायत भी है. ये नगर पंचायत प्रसिद्ध साहित्यकार बाबू भगवती चरण वर्मा की जन्मस्थली भी है. सूफी संत हजरत मखदूम शाह सफी की दरगाह भी इसी इलाके में है. सफीपुर की सीमा पौराणिक स्थल जानकी कुंड (परियर) और ब्रह्मावर्त बिठूर से भी स्पर्श करती है. इलाके के मुख्य धार्मिक स्थलों में मां दुर्गा का शंकरी मंदिर, शंकर भगवान का मंदिर मोटेश्वर बाबा के नाम से है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
सफीपुर विधानसभा सीट की राजनीतिक पृष्ठभूमि की बात करें तो साल 1957 में अस्तित्व में आई इस विधानसभा सीट से शुरुआती दौर में दो विधायक होते थे. तब इस विधानसभा सीट से बांगरमऊ क्षेत्र भी जुड़ा था जिसके चलते यहां से दो विधायक हुआ करते थे. एक विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हुआ करती थी जिससे सीपीआई के मुल्ला प्रसाद और दूसरी सीट से निर्दलीय शिवगोपाल तिवारी विधायक निर्वाचित हुए थे. साल 1962 में कांग्रेस के गोपीनाथ दीक्षित विधायक बने और बांगरमऊ को अलग कर उन्नाव विधानसभा क्षेत्र से जोड़ दिया गया. इस सीट से प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के अनवार अहमद विधायक निर्वाचित हुए जो चौधरी चरण सिंह के नेतृत्व वाली यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे.
सफीपुर विधानसभा सीट 1974 में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गई. 1974 और 1977 के चुनाव में भारतीय क्रांति दल के सुंदर लाल कुरील, 1980 और 1985 में कांग्रेस के हरिप्रसाद कुरील, 1989 और 1991 में जनता दल के टिकट पर विधायक सुंदरलाल कुरील विधानसभा पहुंचे. 1993 और 1996 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बाबूलाल कुरील, 2002 में समाजवादी पार्टी (सपा) के सुंदरलाल कुरील, 2007 और 2012 में सपा के सुधीर रावत इस सीट से विधायक निर्वाचित हुए.
2017 का जनादेश
सफीपुर विधानसभा सीट से साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के बम्बा लाल दिवाकर विजयी रहे. बीजेपी के बम्बा लाल ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी बसपा के रामबरन कुरील को 27236 वोट के अंतर से पराजित कर दिया. सपा के सुधीर रावत तीसरे स्थान पर खिसक गए थे. बीजेपी के बम्बा लाल को 84068 वोट मिले थे.
सामाजिक ताना-बाना
सफीपुर विधानसभा सीट के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो यहां हर जाति-वर्ग के लोग रहते हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में सवा तीन लाख से अधिक मतदाता हैं. सफीपुर विधानसभा क्षेत्र में अनुसूचित जाति और जनजाति के मतदाताओं की संख्या अधिक है. अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाता भी यहां निर्णायक भूमिका निभाते हैं.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
सफीपुर विधानसभा सीट से बीजेपी के विधायक 46 साल के बम्बा लाल दिवाकर ने इंटरमीडिएट तक शिक्षा ग्रहण की है. बम्बा लाल दिवाकर 2017 में पहली दफे विधानसभा चुनाव लड़े और जीते भी. बम्बा लाल दिवाकर चश्मे से जुड़े कारोबार से संबद्ध हैं. इनका कारोबार भारत और खाड़ी देशों में फैला है. विधायक का दावा है कि अपने कार्यकाल में काफी विकास कराया.