उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले की एक विधानसभा सीट है मानिकपुर विधानसभा सीट. चित्रकूट जिले की मानिकपुर विधानसभा सीट प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 227 किलोमीटर और संगम नगरी प्रयागराज से 84 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. देश की राजधानी दिल्ली और कोलकाता के साथ ही मुंबई जैसे महानगरों के लिए यहां से सीधी रेल सेवा उपलब्ध है.
मानिकपुर के खूबसूरत प्राकृतिक नजारे देखने के लिए यहां सैलानियों की आवाजाही लगी रहती है. चित्रकूट की मानिकपुर विधानसभा सीट का पठारी भाग डकैतों के पनपने, पुलिस से बचने और अपराध करने के बाद सीमावर्ती मध्य प्रदेश में चले जाने के लिए चर्चित रहा है. साढ़े सात लाख के इनामी दस्यु सरगना शिव कुमार उर्फ ददुआ, अंबिका पटेल उर्फ ठोकिया जैसे दुर्दांत डकैत मानिकपुर के जंगलों में रहकर अपराध की दुनिया में सक्रिय रहे. बदले हालात में ये इलाका अब डकैतों से मुक्त हो चुका है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
मानिकपुर विधानसभा सीट की राजनीतिक पृष्ठभूमि की बात करें तो ये सीट पहले चुनाव से लेकर सन 2007 तक अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षित रही. इस सीट के चुनावी अतीत की बात करें तो साल 1952 में कांग्रेस के दर्शन राम इस सीट से पहले विधायक निर्वाचित हुए. 1957, 1962 और 1969 में कांग्रेस की सिया दुलारी, 1967 में जनसंघ के इन्द्र पाल कोल, 1974 में भारतीय जनसंघ के लक्ष्मी प्रसाद वर्मा, 1977 में जनसंघ के रमेश चंद्र कुरील, 1980 और 1985 में कांग्रेस के शिरोमणि भाई इस सीट से विधायक निर्वाचित हुए.
मानिकपुर विधानसभा सीट से 1989 और 1993 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के मन्नू लाल कुरील विधानसभा पहुंचे तो 1996, 2002 और 2007 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के दद्दू प्रसाद विधायक बने. 2008 के परिसीमन में ये सीट सामान्य हो गई. मानिकपुर सीट के सामान्य होने के बाद 2012 में हुए पहले चुनाव में बसपा ने चंद्रभान सिंह को उम्मीदवार बनाया और वे जीतकर विधानसभा पहुंचने में भी सफल रहे.
2017 का जनादेश
मानिकपुर विधानसभा सीट से साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने आरके पटेल को उम्मीदवार बनाया. चित्रकूट सदर विधानसभा सीट से बसपा के पूर्व विधायक आरके पटेल बीजेपी के टिकट पर मानिकपुर से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने आरके पटेल को उम्मीदवार बनाया और वे जीतकर संसद में पहुंच गए. आरके पटेल के इस्तीफे से रिक्त हुई सीट पर उपचुनाव हुए. उपचुनाव में बीजेपी ने आनंद शुक्ल को उम्मीदवार बनाया और वे जीतने में सफल रहे.
सामाजिक ताना-बाना
मानिकपुर विधानसभा क्षेत्र में कुल करीब साढ़े तीन लाख मतदाता हैं. इस सीट के सामाजिक ताने-बाने की बात की जाए तो ये क्षेत्र अनुसूचित जाति और जनजाति बाहुल्य है. आदिवासी समुदाय के कोल बिरादरी के मतदाताओं की संख्या यहां अधिक है. ब्राह्मण, यादव, पटेल, पाल और निषाद बिरादरी के वोटर भी इस सीट का परिणाम निर्धारित करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
मानिकपुर विधानसभा सीट से विधायक बीजेपी के आनंद शुक्ल का जन्म 2 जनवरी 1975 को हुआ था. आनंद शुक्ल ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक तक की शिक्षा प्राप्त की है. आनंद शुक्ल को बीजेपी ने सन 2017 में महोबा नगर पालिका का प्रभारी बनाया था. आनंद शुक्ल बीजेपी की प्रदेश कार्य समिति के भी सदस्य हैं. आक्रामक तेवर वाले आनंद शुक्ल की गिनती उन नेताओं में होती है जो युवाओं को तरजीह देते हैं. इनके खिलाफ एक आपराधिक मामला भी दर्ज है. आनंद शुक्ल इलाके में विकास की गंगा बहाने के दावे करते हैं वहीं विपक्षी दलों के नेता इनके दावों को हवा-हवाई बता रहे हैं.