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Koraon Assembly Seat: आदिवासी बाहुल्य सीट पर कमल खिलाए रखने की चुनौती

कोरांव विधानसभा सीट पर आदिवासी वोटर की बहुलता है. यह सीट साल 2007 में अस्तित्व में आई थी. पिछले चुनाव में बीजेपी ने साफ-सुथरी छवि के राजमणि कोल को उम्मीदवार बनाया था और इस सीट पर पहली बार कमल खिला था.

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यूपी Assembly Election 2022 कोरांव विधानसभा सीट
यूपी Assembly Election 2022 कोरांव विधानसभा सीट
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बीजेपी से शिक्षक राजमणि कोल हैं विधायक
  • 2017 में बीजेपी को पहली बार मिली थी जीत

प्रयागराज जिले में एक विधानसभा सीट है मेजा. साल 2007 में मेजा सीट से अलग होकर एक सीट अस्तित्व में आई जिसका नाम है कोरांव. इस आदिवासी बाहुल्य इलाके में साल 2017 में पहली बार कमल खिला है. साल 2022 के चुनाव में ये सीट इसलिए भी महत्वपूर्ण होगी क्योंकि पहली बार जीती भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की कोशिश इस सीट पर कब्जा बरकरार रखने की है तो वहीं अन्य दल भी इस सीट पर काबिज होने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं.

इस इलाके को कभी वामपंथी इलाका भी माना जाता रहा है. सीपीएम के राम कृपाल इस विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधायक रहे. पिछले चुनाव में यानी 2017 के चुनाव में राम कृपाल को कांग्रेस ने मैदान में उतारा था लेकिन वे हार गए थे. बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने भी दो बार विधायक रहे राजबली जैसल को टिकट दिया था लेकिन त्रिकोणीय मुकाबले में बाजी बीजेपी के राजमणि कोल के हाथ लगी.

बीजेपी ने साल 2017 के चुनाव में कोल और दलित वोटरों को खींचने के लिए सादगी से रहने वाले राजमणि कोल को अपना उमीदवार बनाया था. राजमणि कोल आदिवासी इंटर कॉलेज में प्रिंसपल भी रहे हैं. साल 2022 के चुनाव में ये सीट इसलिए भी महत्वपूर्ण रहेगी क्योंकि बीजेपी यहां पहली बार आई है तो इसे बचाने के लिए पूरा जोर लगा रही है. दूसरी तरफ अन्य सियासी दल भी राजमणि को पटखनी देने के लिए पुरजोर प्रयास कर रहे हैं.

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राजनीतिक पृष्ठभूमि

साल 2007 में मेजा से अलग अस्तित्व में आए कोरांव विधानसभा क्षेत्र में बीएसपी और कम्युनिस्ट पार्टी का दबदबा रहा है. पहाड़ी और मैदानी इलाके वाले इस कृषि प्रधान क्षेत्र में धान और गेहूं की फसल ज्यादा होती है. यहां उच्च शिक्षा के लिए कोई विश्वविद्यालय या कॉलेज नहीं है. सिचाई के लिए पानी की भी समस्या से लोगों को जूझना पड़ता है. वोटर यहां पार्टी और प्रत्याशी देख वोट करते हैं और अपने विकास के बारे में सोच कर मतदान करते हैं.

सामाजिक ताना-बाना

कोरावं विधानसभा क्षेत्र में करीब साढ़े तीन लाख वोटर हैं. इनमें से 1 लाख 89 हजार 998 के करीब पुरुष और 1 लाख 59 हजार 250 के करीब महिला वोटर हैं. यहां एक लाख के आसपास आदिवासी मतदाता हैं. तकरीबन 60 हजार मतदाता पिछड़ी जाति से हैं. इस इलाके में कोल बिरादरी के लोगों की तादाद अधिक है जो मजदूरी करते हैं. यहां खेती किसानी भी है. खेती की बात करें तो कोरांव क्षेत्र में धान और गेहूं की फसल ज्यादा उगाई जाती है. पहाड़ी और मैदानी इलाके वाले इस क्षेत्र में प्राचीन मंदिर और इतिहास से जुड़ी काफी चीजे हैं. 

साल 2017 का जनादेश

कोरांव विधानसभा सीट से बीजेपी के राजमणि कोल जीते थे. राजमणि कोल को 1 लाख 3 हजार 428 वोट मिले थे उन्होंने कांग्रेस के रामकृपाल को 53696 वोट के बड़े अंतर से शिकस्त दी थी. रामकृपाल को 46731 वोट मिले थे. बीएसपी के टिकट पर चुनावी रणभूमि में उतरे पूर्व विधायक राजबली जैसल को 26056 वोट के साथ तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा था. कोरांव की इस सीट से 13 प्रत्याशी मैदान में थे. 2017 के चुनाव में कोरांव सीट पर 64 फीसदी वोटिंग हुई थी.

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विधायक का रिपोर्ट कार्ड

वाराणसी के सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएट 52 साल के राजमणि कोल शिक्षक भी हैं. पिछले चुनाव में राजमणि कोल की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक इनकी संपत्ति सात लाख 24 हजार रुपये की है. ये करीब 30 साल से बीजेपी में सक्रिय हैं और डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी के खास माने जाते हैं.

जीती सीट बचाने के लिए जोर लगा रही बीजेपी
जीती सीट बचाने के लिए जोर लगा रही बीजेपी

राजमणि कोल सरकार की ओर से कोरांव में अटल आवासीय विद्यालय का निर्माण करवाने की फिराक में हैं जिसपर लगभग 73 करोड़ रुपये की लागत आएगी. राजमणि साफ-सुथरी छवि के हैं. पेशे से शिक्षक राजमणि के खिलाफ एक भी मुकदमा नहीं है. विधान सभा का सदस्य निर्वाचित होने से पहले वे कई राजनीतिक और सामाजिक पदों पर काम कर चुके हैं. राजमणि कोल जिले के वनवासी कल्याण आश्रम के जिला अध्य्क्ष भी रह चुके हैं.

 

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