
उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले की हुसैनगंज विधानसभा सीट (Hussainganj Assembly Seat) का इतिहास बहुत पुराना नहीं है. 2008 के परिसीमन के बाद हुसैनगंज को नया विधानसभा सीट बनाया गया. पहले यह सीट सदर विधानसभा और खागा विधानसभा के तहत थी, लेकिन 2008 में नए परिसीमन के बाद इस विधानसभा सीट का नाम बदलकर हुसैनगंज विधानसभा सीट रख दिया गया.
जिले का हुसैनगंज विधानसभा सीट जो गंगा नदी के तटीय इलाके से जुड़ा हुआ है और यह क्षेत्र धार्मिक कारणों से जाना जाता है क्योंकि क्षेत्र के भिठौरा गंगा घाट के किनारे महर्षि भृगुजी ने तपस्या की थी और जिसके कारण इसे छोटा काशी भी कहते हैं.
समाजिक तानाबाना
गंगा नदी के तटीय इलाके में बसे हुसैनगंज में पहले से ही प्राथमिक विद्यालय और उच्च प्राथमिक विद्यालय के साथ इंटर कॉलेज स्थापित किए जा चुके थे लेकिन गंगा नदी के किनारे बसे छात्र-छात्राओं को पढ़ने के लिए पहले पहले शहर की ओर रुख करना पड़ता था लेकिन अब इस क्षेत्र में कई इंटर कॉलेज व डिग्री कॉलेज खुल जाने के बाद छात्र-छात्राओं को शिक्षा लेने के लिए अब शहर की ओर नहीं जाना पड़ता है.

अगर यहां पर स्वास्थ्य के संबंध में बात की जाए तो स्वास्थ्य व्यवस्था के मामले में यह क्षेत्र हमेशा से पिछड़ा रहा है. सिर्फ सीएचसी और पीएचसी के भरोसे पूरे स्वास्थ्य व्यवस्था आज तक निर्भर है. गंभीर बीमारी और एक्सीडेंट के मामले में अब भी मरीजों को जिला अस्पताल व प्राइवेट नर्सिंग होम आना पड़ता है. मरीज की स्थिति गंभीर होती है तो कानपुर व लखनऊ जाना पड़ता है. हालांकि यहां पर बस की यातायात सुविधा अच्छी होने के कारण यात्रियों को दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ता है.
इसे भी क्लिक करें --- Dibai Assembly Seat: दानवीर कर्ण की धरती पर इस बार किसका चलेगा सिक्का?
फतेहपुर जिले में 2017 में हुसैनगंज विधानसभा सीट पर हुए चुनाव में 2 लाख 83 हजार 240 मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग किया था. अगर जातीय समीकरण की बात की जाए तो इस सीट पर सबसे ज्यादा अल्पसंख्यक वर्ग के मतदाता हैं.
फिर उसके बाद ओबीसी जैसे (मौर्य और लोधी) वर्ग के लोग आते हैं. इसके बाद सभी वर्ग के मिश्रित मतदाता हैं. इस सीट पर हार जीत का फैसला अल्पसंख्यक और ओबीसी वर्ग के मतदाताओं के हाथ में रहता है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
इस सीट में 2012 में हुए चुनाव में सबसे पहले बहुजन समाज पार्टी ने अपना परचम लहराया और इस विधानसभा से पहली बार बसपा के मोहम्मद आसिफ ने जीत दर्ज की. मोहम्मद आसिफ ने चुनाव में कांग्रेस की उम्मीदवार उषा देवी को हराया था. आसिफ को 44757 तो उषा देवी को 41906 मत मिले थे.
2017 के विधानसभा चुनाव में इस नवगठित सीट से पहली बार भाजपा ने कांग्रेस प्रत्याशी उषा मौर्या को हराकर जीत दर्ज की और रणवेंद्र प्रताप सिंह प्रदेश सरकार में कृषि राज्य मंत्री बने और वर्तमान समय में प्रदेश सरकार के खाद्य व रशद राज्य मंत्री हैं.
2017 का जनादेश
2017 के विधानसभा चुनाव में हुसैनगंज विधानसभा सीट पर कुल 11 प्रत्याशी मैदान में थे लेकिन मुकाबला बीजेपी, कांग्रेस और बसपा के बीच रहा. यहां पर कुल 2 लाख 83 हजार 240 मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग किया था, जिसमें 1 लाख 54 हजार 268 पुरुष मतदाताओं तो 1 लाख 28 हजार 972 महिला मतदाताओं ने वोट डाले. इनमें से 2361 मतदाताओं ने नोटा का प्रयोग किया.

बीजेपी प्रत्याशी रणवेंद्र प्रताप सिंह को सबसे ज्यादा 73 हजार 595 वोट मिले और दूसरे स्थान पर कांग्रेस प्रत्याशी उषा मौर्य जिन्हें 55 हजार 2 वोट मिले थे. बसपा प्रत्याशी और पूर्व विधायक मोहम्मद आसिफ को 34 हजार 415 वोट मिले और तीसरे स्थान पर रहे. चुनाव में रणवेंद्र सिंह 18 हजार 593 वोटों से विजयी हुए.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
हुसैनगंज विधानसभा सीट से विधायक रणवेंद्र प्रताप सिंह का जन्म 3 फरवरी 1964 में जिले की खागा तहसील क्षेत्र के ऐरायां ब्लॉक के अल्लीपुर बेहरा गांव में हुआ था. उनके पिता ब्रजेश चंद्र सिंह किसान थे. रणवेंद्र की शुरुआती पढ़ाई जिले में हुई फिर बाद में इंटर तक की पढ़ाई सन 1981 में यमुना क्रिस्चन कॉलेज प्रयागराज में हुई.

राजनीति की शुरुआत ब्लॉक प्रमुख के चुनाव से हुई. वह पहली बार ऐरायां ब्लॉक से निर्विरोध ब्लॉक प्रमुख चुने गए. इसके बाद वर्ष 2007 में खागा विधानसभा सीट से बीजेपी ने उन्हें पहली बार टिकट दिया और जबकि कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री मुन्नालाल मौर्य उनके सामने मैदान में थे, लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान सड़क दुर्घटना में उनकी मौत हो गई, जिसके बाद कांग्रेस ने टिकट उनकी पत्नी उषा मौर्य को दिया.
हालांकि वह बीजेपी प्रत्याशी रणवेंद्र प्रताप सिंह से हार गईं. 2012 के चुनाव में यह सीट परिसीमन के बाद हुसैनगंज विधानसभा सीट बन गई और इस सीट से पहली बार बसपा प्रत्याशी मोहम्मद आसिफ ने रणवेंद्र प्रताप सिंह को हराकर जीत हासिल की थी.
रणवेंद्र प्रताप सिंह प्रदेश सरकार में कृषि राज्य मंत्री बने और वर्तमान समय में प्रदेश सरकार के खाद्य व रशद राज्य मंत्री हैं. उन्होंने विधायक निधि से सीसी रोड, उत्सव भवन, हैंडपाइप, सौर ऊर्जा ज्यादातर निर्माण कराया. साथ ही संत आश्रमों में विद्युतीकरण भी कराया गया.