यूपी के सीतापुर जिले की एक विधानसभा सीट है हरगांव विधानसभा सीट. हरगांव विधानसभा क्षेत्र लखीमपुर की ओर जाने वाले मार्ग पर बसा है. यहां बिरला घराने की हरगांव चीनी मिल भी है. हरगांव कस्बे में तीर्थ और बिरला मंदिर भी हैं जो इस इलाके में आने वाले लोगों के लिए आस्था का केंद्र है. इस विधानसभा क्षेत्र के करीब दो दर्जन गांव हर साल बाढ़ से प्रभावित रहते हैं. हर साल पहाड़ी इलाकों से पानी छोड़े जाने के कारण लोगों को बाढ़ की विभीषिका से जूझना पड़ता है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
हरगांव विधानसभा सीट की राजनीतिक पृष्ठभूमि की बात करें तो ये सीट अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षित है. चुनावी अतीत की बात करें तो इस विधानसभा सीट से 1967 में जनसंघ के यस राम, 1969 और 1974 में कांग्रेस के रामलाल राही, 1977 में जनता पार्टी के गोकर्ण प्रसाद, 1980 और 1985 में परागी लाल चौधरी विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए.
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हरगांव सीट से 1989, 1991 और 1993 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के दौलत राम, रामलाल राही के पुत्र रमेश राही समाजवादी पार्टी (सपा) से 1996 में विधायक बने. साल 2002, 2007 और 2012 के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के रामहेत भारती लगातार तीन दफे हरगांव सीट से विधानसभा पहुंचे.
2017 का जनादेश
हरगांव विधानसभा सीट से 2017 के चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस के कद्दावर नेता रामलाल राही के छोटे बेटे सुरेश राही को चुनाव मैदान में उतारा. बीजेपी के सुरेश राही ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी तीन बार के विधायक बसपा के रामहेत भारती को करीब 45 हजार के बड़े अंतर से हरा दिया. सुरेश को 1 लाख 1 हजार 680 और राम हेत को 56 हजार 685 वोट मिले. सपा के मनोज राजवंशी रहे तीसरे स्थान पर रहे.
सामाजिक ताना-बाना
हरगांव विधानसभा सीट के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो इस विधानसभा क्षेत्र में कुल करीब पौने पांच लाख मतदाता हैं. इस इलाके की ज्यादातर आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है. इस सीट की गिनती दलित बाहुल्य सीटों में की जाती है. अनुमानों के मुताबिक इस विधानसभा क्षेत्र में ब्राह्मण और क्षत्रिय मतदाता भी अच्छी तादाद में हैं.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
हरगांव से विधायक सत्ताधारी बीजेपी के सुरेश राही का दावा है कि उनके कार्यकाल में क्षेत्र के हर इलाके का विकास हुआ है. सुरेश राही के दावे को विपक्षी नेता हवा-हवाई बता रहे हैं. विपक्षी दलों के नेताओं का कहना है कि हरगांव कस्बा और ब्लॉक मुख्यालय है लेकिन लड़कियों की शिक्षा के लिए एक अदद इंटर कॉलेज तक यहां नहीं है.