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Dariyabad Assembly seat: मोदी लहर में खिला था कमल, सपा अबकी बदला लेने को तैयार

Dariyabad Assembly seat पर अब 2022 के चुनावी संग्राम में समाजवादी पार्टी दरियाबाद सीट पर काबिज होने को बेताब है. जबकि भाजपा यहां से जीत की दूसरी जीत दर्ज करने की कवायद में है. वहीं बसपा और कांग्रेस भी यहां वापसी के लिए बेताब हैं.

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क्या दरियाबाद विधानसभा में फिर से बीजेपी को जीत दिला पाएंगे सतीश (ट्विटर)
क्या दरियाबाद विधानसभा में फिर से बीजेपी को जीत दिला पाएंगे सतीश (ट्विटर)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • हड़हा स्टेट के राजा राजीव कुमार का रहा 26 साल राज
  • 2017 के चुनाव में भाजपा के सतीश ने राजीव को हराया
  • दरियाबाद में बोली जाती है अवधी, हिंदी और उर्दू भाषा

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले की सबसे बड़ी दरियाबाद (Dariyabad) विधानसभा का बड़ा महत्व है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर जब 2017 में राज्य में विधानसभा चुनाव हुए थे तो ये सीट भाजपा की 300 सीटों में से एक थी. भाजपा को विशाल बहुमत हासिल हुआ था. यूं तो राज्‍य की हर सीट हर पार्टी के लिए खास है लेकिन दरियाबाद विधानसभा सीट का अपना महत्व है.

उत्तर प्रदेश के अवध क्षेत्र में आने वाली दरियाबाद विधानसभा अयोध्या (फैज़ाबाद) लोकसभा क्षेत्र में आती है. ये इलाका खेती के लिए जाना जाता है. ये विधानसभा अयोध्या लोकसभा क्षेत्र में होने के बावजूद यहां पर कभी राममंदिर आंदोलन का सियासी असर नहीं रहा.

दरियाबाद विधानसभा में हड़हा स्टेट के मशहूर राजा राजीव कुमार सिंह का 26 साल तक राज रहा. ये विधायक के साथ प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे. हर पार्टी ने राजा राजीव कुमार का सहारा लेकर अपना परचम इस विधानसभा में लहराया है, लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के युवा सतीश शर्मा ने राजा राजीव कुमार को हरा दिया था.

समाजवादी पार्टी की पलटवार की कोशिश
अब 2022 के चुनावी संग्राम में समाजवादी पार्टी दरियाबाद सीट पर काबिज होने को बेताब है. जबकि भाजपा यहां से जीत की दूसरी जीत दर्ज करने की कवायद में है. वहीं बसपा और कांग्रेस भी यहां वापसी के लिए बेताब हैं.

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आपको बता दें कि दरियाबाद विधानसभा में तीन बड़ी नदियां बहती हैं. ये घाघरा नदी के तटीय इलाके पर बसा है. दरियाबाद में कभी जिला मुख्यालय होता था और आलाधिकारी दरियाबाद में बैठते थे, लेकिन अंग्रेजों ने दरियाबाद से मुख्यालय हटाकर बाराबंकी को बना दिया क्योंकि ये अवध की राजधानी लखनऊ से नजदीक था.

यहां की कुछ यादगार चीजें आज भी जिला मुख्यालय होने की याद दिलाती हैं. ये उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 80 किलोमीटर दूर है. आसपास के शहरों में अयोध्या (फैजाबाद), लखनऊ, सुल्तानपुर, रायबरेली से सड़कों और रेल लाइन से अच्छे से जुड़ा हुआ है.

ये जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, यहां पर अवधी, हिंदी और उर्दू भाषा बोली जाती है. दरियाबाद में रेलवे स्टेशन भी है. जो दिल्ली से कोलकाता समेत कई शहरों को जोड़ता है. यहां बुढ़वा बाबा का प्रसिद्ध मंदिर है.

राजनीतिक पृष्ठभूमि
1980 के बाद के चुनाव की बात करें तो तब कांग्रेस के कृष्ण मगन सिंह जीते थे. 1985 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में राजा राजीव कुमार सिंह जीते. 1989 में कांग्रेस से राजा राजीव कुमार जीते. 1991 और 1993 में राधेश्याम वर्मा जीते तो राजा दोनों बार पराजित हुए. 1993 में समाजवादी पार्टी ने चुनाव में इंट्री ली.

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इस दौरान समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच मुकाबला होता रहा. फिर राजा राजीव कांग्रेस छोड़ 1996 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े और दो बार विजयी हुए. 2007 में भाजपा छोड़ सपा में आ गए और यहां से भी विजयी हुए. राजा की जीत का सिलसिला 2017 में जाकर रुका. जब मोदी लहर में युवा भाजपा प्रत्याशी सतीश शर्मा ने अपने पहले ही चुनाव में पचास हज़ार से ज़्यादा मतों से जीत हासिल की.

2017 का जनादेश

दरियाबाद के इलाके में कई बार चुनाव हुए हैं. इस सीट पर अभी तक राजा राजीव कुमार सिंह का कब्जा रहा है. वह 26 साल तक इस विधानसभा से विधायक रहे, लेकिन 2017 में  मोदी लहर में चुनाव हार गए थे. यहां से भाजपा के सतीश शर्मा ने जीत दर्ज की थी. 

17वीं विधानसभा के चुनावों में मोदी लहर के चलते भाजपा ने युवा चेहरे के रूप में सतीश शर्मा को चुनाव मैदान में उतारा था. उन्होंने समाजवादी सरकार में मंत्री और विधायक रहे राजा राजीव कुमार सिंह को 50,686 वोटों से हराया और पहली बार विधायक बने. जबकि तीसरे नंबर पर रहे बीएसपी के मोहम्मद मोबाशिर. बसपा को मुस्लिम वोट सबसे ज्यादा मिले थे. मुस्लिम वोटों में सेंध लगने की वजह से 26 साल से दरियाबाद के विधायक रहे राजा राजीव कुमार चुनाव हार गए थे और सतीश ने भाजपा का परचम लहरा दिया.

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2017 के विधानसभा चुनाव में दरियाबाद सीट पर कुल 10 प्रत्याशी मैदान में थे, लेकिन मुकाबला सपा और बीजेपी के बीच रहा. दरियाबाद सीट पर कुल 3,80,000 मतदाता थे, जिनमें से भाजपा प्रत्याशी सतीश शर्मा को 1,19,173 वोट मिले. जबकि सपा के राजा राजीव सिंह को 68487 मत मिले. वहीं बसपा से मुस्लिम प्रत्याशी मोहम्मद मोबाशिर को 54,512 मत मिले थे.

देखना ये होगा कि 2022 के चुनाव में इस बार यहां से किस पार्टी के प्रत्याशी को जीत मिलती है. फिलहाल सभी राजनीतिक दलों ने चुनाव के लिए अपनी कमर कर कस ली है और सीट पर अपनी-अपनी दावेदारी पेश करनी शुरू कर दी है. 

सामाजिक तानाबाना
2021 में दरियाबाद विधानसभा सीट पर कुल मतदाता 4,02,383 हैं, जिसमें 2,13,208  पुरुष और 1,89,163 महिलाएं हैं. यहां जातीय समीकरण के लिहाज से देखें तो सबसे ज्यादा आबादी दलित/ओबीसी मतदाताओं की है. उसके बाद ब्राह्मण, मुस्लिम और ठाकुर वोटरों की संख्या है.

विधायक का रिपोर्ट कार्ड
दरियाबाद विधानसभा सीट से भाजपा विधायक सतीश शर्मा 39 साल के हैं. इनके बाबा (दादा) डॉक्टर अवधेश प्रकाश शर्मा भाजपा के 1980 से लेकर 1995 तक ज़िलाध्यक्ष रहे.  पिता व्यवसाय से जुड़े थे और आरएसएस के सक्रिय कार्यकर्ता रहे. विधायक सतीश शर्मा पोस्ट ग्रेजुएट हैं. एमए (सोशलोजिस्ट) से की है. 2010 और 2015 में जिला पंचायत सदस्य रहे. साल 2017 में बीजेपी के टिकट पर पहली बार दरियाबाद विधानसभा से चुनाव लड़ा और इसे अपनी कर्मभूमि बनाया. 

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सतीश राजनीतिक तौर पर काफी सक्रिय रहते हैं, जिसके चलते क्षेत्र में अच्छी खासी पकड़ है. इतना ही नहीं यहां जातीय समीकरण भी उनके पक्ष में है. विधायक का दावा है कि 5 साल में जितना विकास किया उतना आज़ादी के बाद से नहीं हुआ था.

हालांकि 2017 में दूसरे नंबर पर रहे और सपा सरकार में मंत्री राजा राजीव कुमार सिंह के मुताबिक दरियाबाद विधानसभा में कोई भी विकास कार्य इन पांच सालों में नहीं हुआ.  राजा के मुताबिक जितना विकास हमने किया. उतना किसी ने नहीं किया.

विविध
विधायक सतीश शर्मा का राजनीतिक उभार उनके बाबा डॉक्टर अवधेश प्रकाश शर्मा और उनके पिता की वजह से हुआ. 2017 में वह पहली बार विधायक बने. राजा राजीव कुमार सिंह को हराने के चलते दरियाबाद की सियासत ब्राह्मण बनाम ठाकुरों के बीच हो गई.  विधायक सतीश शर्मा के मुताबिक उनके पास डेढ़ करोड़ की चल अचल संपत्ति है.

 

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