उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले की एक विधानसभा सीट है कैम्पियरगंज विधानसभा सीट. कैम्पियरगंज एक कस्बा भी है जो गोरखपुर जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर की दूरी पर है. गोरखपुर को नेपाल सीमा पर स्थित सोनौली से जोड़ने वाले मार्ग पर स्थित कैम्पियरगंज राप्ती और रोहिनी नदी के बीच बसा है. कैम्पियरगंज यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह की कर्मभूमि रहा है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
कैम्पियरगंज विधानसभा सीट के चुनावी अतीत की बात करें तो इसका इतिहास अधिक पुराना नहीं है. ये सीट साल 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले अस्तित्व में आई थी. साल 2008 के परिसीमन से अस्तित्व में आई इस सीट से 2012 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे. फतेह बहादुर सिंह मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सरकार में मंत्री भी रहे थे.
2017 का जनादेश
कैम्पियरगंज विधानसभा सीट से 2017 के चुनाव से पहले फतेह बहादुर सिंह एनसीपी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में आ गए. बीजेपी ने फतेह बहादुर को कैम्पियरगंज सीट से उम्मीदवार भी बनाया. बीजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे फतेह बहादुर सिंह ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस की चिंता यादव को 32 हजार 854 वोट से हरा दिया था. बसपा के आनंद निषाद तीसरे और मोहम्मद मैनुद्दीन चौथे स्थान पर रहे थे.
सामाजिक ताना-बाना
कैम्पियरगंज विधानसभा क्षेत्र में करीब 4 लाख मतदाता हैं. कैम्पियरगंज विधानसभा सीट की गिनती उन सीटों में होती है जहां निषाद मतदाताओं की बहुलता है. कैम्पियरगंज विधासभा सीट का चुनाव परिणाम निर्धारित करने में यादव और कुर्मी मतदाता भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में सामान्य और अनुसूचित जाति के मतदाता भी अच्छी तादाद में हैं.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
कैम्पियरगंज विधानसभा सीट से विधायक फतेह बहादुर सिंह यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह के पुत्र हैं. फतेह बहादुर सिंह का दावा है कि उनके कार्यकाल में कैम्पियरगंज विधानसभा क्षेत्र के हर इलाके का विकास हुआ है. विरोधी दलों के नेता विधायक के दावे को खारिज करते हुए इलाके की समस्याएं गिना रहे हैं. इस विधानसभा सीट के लिए यूपी चुनाव के छठे चरण में 3 मार्च को मतदान होना है. गौरतलब है कि यूपी की 403 सीटों के लिए सात चरणों में वोटिंग होनी है.