देश में लोकसभा चुनाव का आगाज हो गया है और नेताओं के मुंह जुबानी हमले तेज हो गए हैं. चुनावी माहौल में विवादित बयान से लेकर नारे तक मुद्दे बन जाते हैं और किसी पार्टी को फायदा तो किसी को इसका नुकसान झेलना पड़ता है. विपक्षियों के बयान को बीजेपी ऐसा मुद्दा बना लेती है, जिससे खुद विपक्षी दलों के नेता घिरते नजर आते हैं. 'मोदी का परिवार नहीं' से लेकर '56 इंच का सीना तक...' कुछ ऐसे ही बयान हैं, जिन्हें बीजेपी ने मुद्दा बनाकर कैंपेन चलाया. आइए जानते हैं विवादित बयान की शुरुआत से लेकर बीजेपी के नारे बनाने की कहानी तक...
ऐसे बना 'मोदी का परिवार'
तारीख 3 मार्च 2024. जगह- पटना का गांधी मैदान. विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक की जनविश्वास रैली आयोजित हुई. राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने जनसभा को संबोधित किया. उन्होंने मंच से खुले तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ललकारा. लालू ने कहा, क्या है यह मोदी? वो हिंदू नहीं है. पहले यह बताएं कि अपने परिवार में कोई संतान क्यों नहीं है. लालू का कहना था कि अगर नरेंद्र मोदी के पास अपना परिवार नहीं है तो हम क्या कर सकते हैं. लालू के इस बयान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगले ही दिन तेलंगाना की रैली में पलटवार किया.
बीजेपी ने चलाया 'मैं हूं मोदी का परिवार' कैंपेन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, मैं इनके परिवारवाद पर सवाल उठाता हूं तो इन लोगों ने बोलना शुरू कर दिया है कि मोदी का कोई परिवार नहीं है. अब तो ये लोग कल ये कह देंगे कि तुझे जेल की सजा नहीं हुई, इसलिए तुम राजनीति में नहीं आ सकते. मेरा जीवन खुली किताब जैसा है. मुझे देशवासी भली-भांति जानते हैं. समझते हैं. मेरे पल-पल की खबर देश रखता है. एक सपना लेकर चला था कि मैं देशवासियों के लिए जिऊंगा. मेरा कोई निजी सपना नहीं होगा, आपके सपने ही मेरा संकल्प होगा. मेरा भारत-मेरा परिवार को लेकर मैं सपनों को संकल्प के साथ सिद्ध करने के लिए आपके लिए जी रहा हूं, आपके लिए जूझ रहा हूं और आपके लिए जूझता रहूंगा.
उसके बाद पीएम मोदी ने जनता से नारे लगवाए- 'मैं हूं मोदी का परिवार'. बीजेपी नेताओं ने पीएम मोदी के समर्थन में अपने सोशल मीडिया अकाउंट में अपने नाम के साथ 'मैं हूं मोदी का परिवार' जोड़ लिया. अमित शाह से लेकर राजनाथ सिंह, जेपी नड्डा, नितिन गडकरी, पीयूष गोयल, योगी आदित्यनाथ जैसे दिग्गज नेताओं ने अपने एक्स अकाउंट का बायो चेंज कर लिया.
राहुल गांधी ने कहा था- चौकीदार चोर है, जवाब में बीजेपी ने चला दी थी मुहिम
बात 2019 की है. देश में आम चुनाव चल रहे थे. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने राफेल डील में घोटाले का आरोप लगाकर मुद्दा बनाया और पीएम मोदी को घेरने के लिए 'चौकीदार चोर है' कहना शुरू कर दिया. साथ ही राहुल ने कहा था कि अब सुप्रीम कोर्ट ने भी मान लिया है कि चौकीदार चोर है. हालांकि, बाद में राहुल ने अवमानना वाले बयान पर माफी मांग ली थी.

बीजेपी ने इस मुद्दे को लपका और जवाब देने के लिए ‘मैं भी चौकीदार’ कैंपेन चला दिया. तब बीजेपी नेताओं ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट का बायो बदला था और नाम के साथ मैं हूं चौकीदार लिखकर कांग्रेस को पलटवार किया था. बीजेपी ने पलटवार करते हुए कहा कि जो पार्टी (कांग्रेस) 70 साल तक मलाई खाती रही, वो आज एक गरीब चौकीदार को चोर बता रही है. इस बयान के बाद कांग्रेस को खामियाजा भुगतना पड़ा और उसे फिर करारी हार झेलनी पड़ी.
56 इंच का सीना... मोदी ने किस पर किया था पलटवार?
2014 का आम चुनाव था. जनवरी में वाराणसी में सपा की रैली थी. तत्कालीन सपा प्रमुख (दिवंगत) मुलायम सिंह यादव ने संबोधित किया. मुलायम ने मोदी को चुनौती दी थी और कहा था, मोदी यूपी को गुजरात बनाना चाहते हैं. मैं उनसे पूछता हूं कि वो यहां करना क्या चाहते हैं. क्या वे यहां भी कत्लेआम करना चाहते हैं? मुलायम ने आगे कहा, क्या अब उन्हें (BJP) कोई और नेता ही नहीं मिला. एक ऐसे व्यक्ति को पीएम पद का प्रत्याशी बना दिया जिसके हाथ खून से रंगे हैं. अत्याचारी हैं, जिसमें इंसानियत ही नहीं है. जिसमें इंसानियत नहीं, वो देश चलाने का सपना देख रहे हैं.
'यूपी को गुजरात बनाने के लिए 56 इंच का सीना चाहिए'
मुलायम सिंह यादव के इस बयान पर नरेंद्र मोदी ने गोरखपुर की रैली में पलटवार किया. मानबेला की रैली मोदी ने कहा, वाराणसी में एक रैली में 'नेताजी' ने मुझे चुनौती दी है और कहा है कि वो मोदी को उत्तर प्रदेश को गुजरात नहीं बनाने देंगे. 'नेताजी, क्या आप यूपी को गुजरात बनाने का मतलब जानते हैं? इसका मतलब है 24 घंटे बिजली और 10 प्रतिशत कृषि विकास दर. हर गांव और गली में 365 दिन बिजली कटौती नहीं. नेताजी सच कहते हैं आप उत्तर प्रदेश को गुजरात नहीं बना सकते, इसके लिए 56 इंच का सीना लगता है. भीड़ की जोरदार तालियों और नारेबाजी के बीच '56 इंच का सीना' चुनावी ट्रेंड में आ गया. बीजेपी ने पूरे चुनाव में अभियान चलाया.
'चाय वाला पीएम नहीं बनेगा'
2014 में मोदी के खिलाफ जिस बयान ने सबसे ज्यादा तूल पकड़ा, वो कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर की टिप्पणी थी. कांग्रेस नेता अय्यर ने मोदी को 'चायवाला' बोल कर मजाक उड़ाया था. अय्यर ने जनवरी 2014 में कांग्रेस के अधिवेशन में कह दिया कि नरेंद्र मोदी जब चुनाव हार जाएं तो वे हमारे पास आएं, हम उन्हें 24, अकबर रोड में कैंटीन का ठेका दे देंगे. इस बयान का असर दूरगामी पड़ा. तब प्रशांत किशोर मोदी का कैंपेन चला रहे थे और 'चायवाला' को ऐसा ट्विस्ट दिया गया कि पूरा माहौल ही मोदी के पक्ष में चला जाए और ये मुहिम सफल भी रही थी. पूरे चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी ने कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर के बयान को अपना हथियार बना लिया जो काफी कारगर साबित हुआ और कांग्रेस को अब तक की सबसे बुरी हार का मुंह देखना पड़ा. नतीजे आए तो बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिला. कांग्रेस 44 सीट पर सिमटी.
संसद में दिया 'अबकी बार 400 पार' का नारा
विपक्ष ने 28 दलों के साथ नया अलायंस बनाया. नाम दिया- INDIA. उत्तर से लेकर दक्षिण तक क्षेत्रीय दलों को जोड़ा और बीजेपी को घेरने की पुख्ता रणनीति पर काम शुरू किया तो जवाब में बीजेपी ने पहले अपने अलायंस NDA को मजबूत किया और क्षेत्रीय दलों और उनके नेताओं को पार्टी में शामिल किया. उसके बाद पीएम मोदी ने आगामी लोकसभा चुनाव का एजेंडा भी सेट कर दिया. पीएम ने हाल ही में संसद सत्र में 'अबकी बार 400 पार' का नारा दिया. बाद में उन्होंने यह भी बताया कि कैसे टारगेट को हासिल किया जाएगा. पीएम मोदी ने कहा कि हम उन पोलिंग बूथ को चिह्नित करें, जहां पर कमजोर हैं या पिछली बार कम वोटिंग हुईं. ऐसी जगहों पर जाएं और वोट प्रतिशत बढ़ाने पर काम शुरू कर दें. पीएम मोदी का कहना था कि मोदी की गारंटी पर देश को भरोसा है. उन्होंने कहा कि 400 पार का नारा हमने नहीं, जनता ने दिया है.
'मोदी का गारंटी'
नवंबर 2023 में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव थे. पीएम मोदी ने प्रचार अभियान की कमान संभाली और लोगों में भरोसा जगाने के लिए ‘मोदी की गारंटी’ का नारा दिया. चूंकि, बीजेपी ने किसी राज्य में सीएम फेस का ऐलान नहीं किया था. यहां तक कि मध्य प्रदेश में सिटिंग सीएम शिवराज सिंह चौहान को भी आगे नहीं किया गया. पूरे चुनाव अभियान में पार्टी ने पीएम मोदी के काम करने के तरीके और वादों को पूरा करने के ट्रैक रिकॉर्ड को सामने रखा, जिसके बाद हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में बीजेपी का परचम लहराया. अब लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान में भी बीजेपी ने 'मोदी की गारंटी' को टैगलाइन बना दिया है. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता के बीच 'मोदी की गारंटी' का जिक्र कर रहे हैं. बीजेपी के शीर्ष नेता भी लोगों में भरोसा बनाए रखने के लिए 'मोदी की गारंटी' देकर अपनी बात रख रहे हैं.
मोदी है तो मुमकिन है...
2019 के चुनाव से ठीक पहले पुलवामा में अटैक हुआ था. भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में घुसकर एयर स्ट्राइक की. उसके बाद राजस्थान के टोंक में आयोजित विजय संकल्प रैली में पीएम मोदी ने नया नारा भी गढ़ दिया. इसी रैली में 'मोदी है तो मुमकिन है' नारा पहली बार गूंजा. पीएम मोदी का कहना था कि आज जवानों की शहादत पर आंसू बहाने वालों के मुंह से ऐसी बात शोभा नहीं देती. हमारी सरकार ने वन रैंक, वन पेंशन लागू किया 20 लाख पूर्व फौजियों को लगभग 11,000 करोड़ रुपये के एरियर भी दे दिए. ये काम इसलिए हुआ, क्योंकि 'मोदी है तो, मुमकिन है'.

'अबकी बार मोदी सरकार'
साल 2014 के चुनाव में नरेंद्र मोदी के चेहरे को केंद्र में रखकर एक लोकप्रिय नारा दिया गया- 'अबकी बार मोदी सरकार.' मोदी वाराणसी से चुनाव लड़े तो 'हर हर मोदी, घर घर मोदी' का नारा दिया गया. इन नारों पर उस समय कई तरह की चर्चाएं हुईं. 'अच्छे दिन आने वाले हैं' नारा भी काफी लोकप्रिय रहा. कांग्रेस ने इसके जवाब में 'हर हाथ शक्ति, हर हाथ तरक्की' और 'कट्टर सोच नहीं, युवा जोश' जैसे नारे दिए. इस चुनाव में सत्ता बीजेपी के पास चली गई और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने.