दिल्ली में पिछले 15 वर्षों से मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित ने कई चुनावों में शानदार जीत दर्ज की, लेकिन 2013 का चुनाव उनके लिए बड़ा झटका साबित हुआ. इस चुनाव में न सिर्फ उनकी सत्ता गई, बल्कि उन्हें पहली बार चुनाव लड़ रहे अरविंद केजरीवाल से करारी हार झेलनी पड़ी. अरविंद केजरीवाल ने शीला दीक्षित के नई दिल्ली विधानसभा सीट से 22000 मतों से जीत दर्ज की.
आगामी लोकसभा चुनाव से पहले दिल्ली का चुनाव कांग्रेस के लिए एक बड़ा इम्तहान माना जा रहा था. लेकिन नतीजों ने उसकी सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया. यकीनन पहली बार चुनाव में उतरी आम आदमी पार्टी ने यहां का राजनीतिक परिदृश्य बदलकर रख दिया. दिल्ली में सोनिया और राहुल गांधी की चंद सभाओं को छोड़ दें तो कांग्रेस की पूरी जिम्मेदारी शीला दीक्षित के कंधों पर थी.
पिछले 15 वर्षों के शासन में शीला ने बिजली क्षेत्र में सुधार को लेकर कदम उठाए और ई-प्रशासन की प्रणाली पर जोर दिया. उनके शासनकाल के दौरान बुनियादी ढांचे को सुधारने और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं पर जोर दिया गया. 2010 में दिल्ली में उनके कार्यकाल के दौरान राष्ट्रमंडल खेलों का भी आयोजन किया गया था. लेकिन राष्ट्रमंडल खेलों से जुड़े भ्रष्टाचारों के आरोपों ने उनकी सरकार की छवि पर असर डाला.
प्रधानमंत्री द्वारा गठित शुंगलू समिति, कैग और सीवीसी ने कई कथित अनियिमितताओं की ओर इशारा किया, लेकिन शीला ने इससे हमेशा इंकार किया. शीला पर कई बार यह भी आरोप लगा कि वह दिल्ली कांग्रेस की दूसरी कतार के नेताओं को आगे नहीं बढ़ने दे रही हैं. वहीं, महंगाई के मुद्दे पर भी शीला सरकार घिरती नजर आई. अन्ना हजारे के नेतृत्व में हुए लोकपाल आंदोलन ने भी उनकी सरकार के खिलाफ माहौल पैदा करने में मदद की.
शीला का राजनीतिक सफर
शीला दीक्षित का जन्म 31 मार्च, 1938 को कपूरथला जिले में हुआ. विनोद दीक्षित से विवाह के बाद वह सियासी माहौल से रूबरू हुईं. विनोद दीक्षित भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी थे. शीला दीक्षित के ससुर उमाशंकर दीक्षित बड़े नेता थे. दिल्ली के कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी से स्कूली शिक्षा और दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस कॉलेज से पढ़ाई करने वाले शीला पहली बार 1984 में उत्तर प्रदेश के कन्नौज से लोकसभा के लिए चुनी गईं. वह राजीव गांधी की सरकार में संसदीय कार्य राज्य मंत्री रहीं और बाद में पीएमओ में मंत्री रहीं. 1998 में वह पहली बार दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं. इसके बाद 2003 और 2008 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस उनके नेतृत्व में जीती.