दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित केंद्रीय चुनाव आयोग में शिकायत लगाने पहुंच गईं. उनकी शिकायत दिल्ली में चुनाव को लेकर होने वाली सख्ती को लेकर थी. दस बिंदुओं में शीला की शिकायत की एक्सक्लूसिव कॉपी दिल्ली आजतक के पास है.
- पब्लिसिटी मटेरियल के सर्टिफिकेशन में काफी वक्त लग रहा है. जिसके लिए सर्टिफिकेट की कोई जरुरत ही नहीं है.
- दो बजे बाद की मीटिंग के लिए अनुमति मिलने में रिटर्निंग अफसर और एसएचओ से काफी देर होती है. उनकी तरफ से ऐसा सुझाव दिया जाता है कि मीटिंग या तो सुबह दस बजे से पहले की जाए या किसी और वक्त में.
- अगर हमारे कार्यकर्ता टोपियां पहनते हैं तो उन्हे उतारने के लिए कहा जाता है. जबकि आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं के लिए ऐसा नहीं है.
- चाय और दूसरे सामानों के लिए जो कीमत तय की गई हैं वो बाज़ार भाव से कहीं ज़्यादा है. उन्हें ठीक किया जाना चाहिए. यहां तक कि जो चाय घर पर पिलाई जा रही है उसकी कीमत भी चुनाव खर्च में शामिल किया जा रहा है.
- रिटर्निंग अफसर और एसएचओ के निर्देशों में कोई ताल मेल नहीं है. दोनों अधिकारी एक ही मामले में दो अलग-अलग नियम लागू करते हैं.
- ये भी शिकायत मिली है कि अभी जबकि चुनावों का नोटिफिकेशन जारी तक नहीं हुआ है तब भी प्रचार सामग्री बांटने पर रोक लगाई जा रही है. यहां तक कि डोर टू डोर कैंपेन पर भी रोक लगाई जा रही है.
- आयोग का सिंगल विंडो सिस्टम भी दुरुस्त नहीं है. पहले जब एसीपी सभी मामलों में मंजूरी देते थे तब सबकुछ ठीक था.
- ये भी पता चला है कि अधिकारियों को खर्च का ब्यौरा कैसे रखा जाए इसकी जानकारी तक नहीं है. उन्हें इतनी जानकारी तक नहीं है कि उम्मीदवारों के खर्च नोटिफिकेशन जारी होने के बाद शुरु होते हैं. उससे पहले के खर्च ज़्यादा से ज़्यादा पार्टी के नाम पर डाले जा सकते हैं.
- कार्यक्रमों के आयोजन या फिर पदयात्रा करने के लिए मंजूरी नहीं दी जा रही है. अगर मंजूरी दी भी जाती है तो इसमें शामिल होने वालों की संख्या घटा दी जाती है. इसके अलावा भी कई नियम लगाए जा रहे हैं.
- मुख्यमंत्री और उनकी अगुआई में गए मंत्रियों ने ये भी मांग की कि नामांकन के कागज़ात और हलफनामें का प्रारुप जल्दी दिया जाए. ताकि वो नामांकन की प्रक्रिया की तैयारी जल्दी कर सकें.