उत्तर प्रदेश और पंजाब सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के ऐलान से ऐन पहले चुनावी बॉन्ड (Electoral Bonds) की बिक्री की शुरुआत हो चुकी है. ये चुनावी बॉन्ड की बिक्री का 19वां स्लॉट दस जनवरी तक जारी रहेगा. मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे में ज्यादा पारदर्शिता लाने की गरज से चुनावी बॉन्ड की व्यवस्था निर्वाचन आयोग की सिफारिश पर सरकार ने की है. यानी कि राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले नकदी चंदे के पारदर्शी विकल्प के रूप में इसे अपनाया गया है.
वित्त मंत्रालय के मुताबिक, भारतीय स्टेट बैंक की देशभर में 29 अधिकृत शाखाओं में ये बॉन्ड बेचे जा रहे हैं. ये शाखाएं नई दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, भोपाल, लखनऊ, शिमला, देहरादून, गोहाटी, पटना, तिरुअनंतपुरम में भी हैं.
कोई भी खरीद सकता है चुनावी बॉन्ड
इन शाखाओं से कोई भी व्यक्ति, संस्था या कॉर्पोरेट कंपनी चुनावी बॉन्ड अपनी पसंदीदा मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टी के लिए खरीद सकता है. उस राजनीतिक पार्टी को पंद्रह दिनों के भीतर बॉन्ड को अपने बैंक खाते में जमा करना लाजिमी होता है. जिस दिन ये बॉन्ड जमा होते जाएं, उसी दिन चंदे की यानी बॉन्ड की रकम पार्टी के खाते में जमा हो जाती है. तय अवधि से देरी होने पर पार्टी को पैसा नहीं मिल पाता.
बॉन्ड खरीद के लिए होती है ये शर्त
इलेक्टोरल बॉन्ड की खरीद के लिए एक शर्त ये भी है कि जिन मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल को पिछले लोकसभा या विधानसभा चुनाव में कुल डाले गए मतों का एक फीसदी हिस्सा मिला हो, तभी उनके लिए बॉन्ड खरीद हो सकती है. पहली बार चुनाव बॉन्ड 2018 में एक से दस मार्च के दौरान जारी किए गए थे. पिछला चरण पिछले साल एक से दस सितंबर के दौरान जारी किया गया था.