मणिपुर में वोटों को खरीदने के लिए पैसे के इस्तेमाल का इंडिया टुडे ग्रुप की तहकीकात में खुलासा होने के बाद से राज्य की राजनीति में तूफान आ गया है. बता दें कि मणिपुर विधानसभा के लिए दो चरणों में 4 और 8 मार्च को मतदान होना है.
वोट के लिए नोट बांटने की बात करते पकड़ गए जोराम
इंडिया टुडे ग्रुप के स्टिंग ऑपरेशन में मणिपुर में बीजेपी उम्मीदवार वोबा जोराम इस बार चुनाव जीतने के लिए अपने क्षेत्र के मतदाताओं को पैसे बांटने के अपने मंसूबे के बारे में बात करते पकड़े गए थे. जोराम ने पिछला चुनाव तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर जीता था और इस बार वह सेनापति जिले की माओ सीट से बीजेपी के टिकट पर भाग्य आजमा रहे हैं.
शर्मिला करेंगी चुनाव आयोग से शिकायत
इस खुलासे के बाद इरोम शर्मिला की पार्टी पीपुल्स रिसर्जेंस एंड जस्टिस एलायंस (PRJA) का कहना है कि वह गुरुवार को मुख्य चुनाव अधिकारी से मिलकर जोराम के खिलाफ औपचारिक शिकायत दर्ज कराएगी और उन्हें तत्काल अयोग्य ठहराने की मांग करेगी. PRJA संयोजक इरेंड्रो लीशोम्बाम ने कहा कि पार्टी के नाते अगर हमारा कोई उम्मीदवार इस तरह की हरकत करता, तो उसे हम तत्काल निष्कासित कर देते. हम दूसरी पार्टियों से भी अपील करते हैं कि अगर उनका कोई उम्मीदवार वोट खरीदने की कोशिश करता है तो उसके साथ भी वो ऐसे ही करें.
चुनाव में खर्चा एक करोड़ से ज्यादा
इंडिया टुडे ग्रुप के अंडर कवर रिपोटर्स ने जांच में दिखाया था कि किस तरह 53 वर्षीय बीजेपी उम्मीदवार अपने प्रचार अभियान पर 1.02 करोड़ रुपये खर्च करने का दावा कर रहे थे. ये चुनाव आयोग के चुनाव दिशानिर्देशों का खुला उल्लंघन है. मणिपुर में विधानसभा चुनाव के लिए किसी उम्मीदवार के अधिकतम खर्च की सीमा 20 लाख रुपये निर्धारित है.
स्टिंग ऑपरेशन के दौरान जोराम ने छिपे कैमरे के सामने कहा, 'अब तक मैं 1.02 करोड़ रुपये खर्च कर चुका हूं. अगर मेरे हाथ में 2 करोड़ रुपये और हों तो मैं जीतूंगा, निश्चित रूप से मैं जीतूंगा. 4 से 5 करोड़ रुपये चाहिए. इतना ही खर्च आता है. पिछली बार मैंने 4 करोड़ रुपये खर्च किए थे. इस बार ज्यादा महंगा है. निश्चित रूप से ये 5 करोड़ होगा.'
हर घर बांटते दो से तीन हजार रुपये
जब रिपोर्टर ने इतने मोटे खर्च का ब्योरा देने के लिए कहा तो जोराम ने कहा कि अधिकतर पैसा प्रचार के लिए वाहन किराये पर लेने पर और वोट खरीदने के लिए ग्रामीणों को कैश बांटने पर होता है. जोराम ने कहा, 'अधिकतर खर्च वाहनों पर होता है. हम 60 कार प्रचार में लगाएंगे. हालांकि हमें सिर्फ 5 वाहन के इस्तेमाल की ही अनुमति है. हर गांव के प्रमुख को हमें 15 से 20 लाख रुपये बांटने हैं. इसके बदले में वह सभी ग्रामीणों को विश्वास में लेंगे और हर घर के हिसाब से 2000-3000 रुपये बांटेंगे. हमें वोट खरीदने पड़ते हैं.'
जोराम ने यह भी कहा कि वोट हासिल करने के लिए सिर्फ पैसा ही नहीं शराब भी बांटी जाती है. जब जोराम से ये कहा गया कि अगर चुनाव आयोग को ये सब पता चल गया तो क्या होगा. इस पर जोराम का कहना था, 'उन्हें पता नहीं चलेगा. वो हमारे पर्वतीय इलाकों में ज्यादा नहीं आते.'