पश्चिम बंगाल और असम में अगले चरण के चुनाव के लिए शनिवार को प्रचार अभियान थम गया. असम की कुल 126 विधानसभा सीटों में शेष बची 61 सीटों के लिए दूसरे और आखिरी चरण का मतदान 11 अप्रैल होगा, जहां भाजपा कांग्रेस से सत्ता छीनने की कोशिश में है.
आगामी 11 अप्रैल को ही पश्चिम बंगाल के पश्चिमी मिदनापुर, बांकुरा और वर्धमान जिलों में 31 सीटों वर मतदान होगा. इस चरण में कई विपक्षी नेताओं की किस्मत का फैसला होना है.
घुसपैठ रहा अहम चुनावी मुद्दा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असम में दोनों चरणों में बीजेपी-अगप-बीपीएफ के मोर्चे के लिए चुनाव प्रचार किया. कांगेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी पार्टी का प्रचार किया. इस चरण में घुसपैठ का मुद्दा हावी रहा. निचली और मध्य असम के इलाके में कई विधानसभा क्षेत्रों में अल्पसंख्यक आबादी अच्छी खासी है.
बीजेपी ने भारत-बांग्लादेश सीमा को पूरी तरह सील करके घुसपैठ पर लगाम लगाने का वादा किया और कांग्रेस ने दलील दी कि असम में कोई बांग्लादेशी नहीं है और तरूण गोगोई सरकार ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को अपडेट करने के लिए कदम उठाया ताकि इस मुद्दे का समाधान हो सके. कांग्रेस और बीजेपी ने भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के मुद्दे लेकर एक दूसरे पर निशाना साधा.
असम में 525 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला
असम विधानसभा के दूसरे चरण में कुल 1,04,35,271 लोग अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकेंगे. कुल 525 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें 477 पुरुष और 48 महिलाएं हैं. असम में दूसरे चरण के चुनाव के प्रमुख उम्मीदवारों में कांग्रेस के रकीबुल हसन, चंदन सरकार और नजरूल इस्लाम, अगप के पूर्व प्रमुख प्रफुल्ल महंत, एआईयूडीएफ के प्रमुख और डुबरी से सांसद बदरूद्दीन अजमल व कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए हेमंत विश्व शर्मा शामिल हैं.
इस चरण में कांग्रेस 57, एआईयूडीएफ 47, बीजेपी 35 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है. बोडो पीपुल्स फंट्र 10 और असम गण परिषद (अगप) 19 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. सीपीएम ने नौ और सीपीआई ने पांच सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं.
बंगाल में 163 उम्मीदवार चुनावी मैदान में
पश्चिम बंगाल में इस चरण में कुल 163 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं, जिनमें 21 महिलाएं शामिल हैं. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नियमित तौर पर प्रचार कर रही थीं. बीजेपी की ओर से प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह सहित कई वरिष्ठ नेताओं ने चुनाव प्रचार की कमान संभाली. विपक्षी दलों ने सारदा घोटाले के अलावा हाल ही में सामने आए नारद स्टिंग कांड को लेकर भी तृणमूल कांग्रेस पर निशाना साधा.