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कमल तो खिला लेकिन मुरझा गए 'बागी'

बीजेपी से बागी होकर चुनाव लड़ने और फिर हारने वाले उम्मीदवारों के लिए ये हार इसलिए भी ज्यादा निराशाजनक है क्योंकि बीजेपी उन्हें पहले ही 6 साल के लिए पार्टी से निकाल चुकी है.

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एमसीडी चुनाव में बीजेपी की जीत
एमसीडी चुनाव में बीजेपी की जीत

एमसीडी चुनाव में बीजेपी की प्रचंड जीत के साथ ही तीनों एमसीडी में एक बार फिर कमल तो खिल गया, लेकिन इस चुनाव ने उन बागियों को दिन में तारे दिखा दिए जिन्होंने पार्टी से अलग होकर निर्दलीय चुनाव लड़ा था.

बीजेपी से बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ीं संध्या वर्मा को 1,898 मिले और वो चौथे नंबर पर रहीं. वहीं न्यू अशोक नगर से निर्दलीय चुनाव लड़ रहीं निक्की सिंह को 5 हजार से ज्यादा वोटों से शिकस्त मिली. ऐसा नहीं है कि सिर्फ बीजेपी के ही बागियों का ये हाल हुआ. कांग्रेस से टिकट ना मिलने से नाराज करावल नगर वेस्ट से धर्मेंद्र सिंह भी निर्दलीय चुनाव मैदान में थे लेकिन उन्हें महज 848 वोट मिले और वो आठवें पायदान पर रहे.

बीजेपी के एक बागी को मिली सफलता
हालांकि बीजेपी से टिकट ना मिलने पर नवादा वार्ड से बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे किशन गहलोत के हाथ सफलता लगी और वो 1487 वोटों से चुनाव जीत गए.

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बीजेपी कर चुकी है 6 साल के लिए निष्कासित
बीजेपी से बागी होकर चुनाव लड़ने और फिर हारने वाले उम्मीदवारों के लिए ये हार इसलिए भी ज्यादा निराशाजनक है क्योंकि बीजेपी उन्हें पहले ही 6 साल के लिए पार्टी से निकाल चुकी है. इन बागियों पर बीजेपी के उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव लड़ने के कारण पार्टी ने ये कार्रवाई की थी.

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