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बीजेपी में कौन बनेगा बनारसी बाबू? नरेंद्र मोदी या मुरली मनोहर जोशी

धर्म और आस्था से जुड़ी है वाराणसी शहर की पहचान, और इस पहचान के सहारे साधी जा रही है दिल्ली की कुर्सी. बीजेपी के दो दिग्गज नेताओं में से किसी एक को मिलेगा बनारसी बाबू बनने का मौका. वर्तमान सांसद मुरली मनोहर जोशी या फिर बीजेपी के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी.

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बीजेपी के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी
बीजेपी के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी

धर्म और आस्था से जुड़ी है वाराणसी शहर की पहचान, और इस पहचान के सहारे साधी जा रही है दिल्ली की कुर्सी. बीजेपी के दो दिग्गज नेताओं में से किसी एक को मिलेगा बनारसी बाबू बनने का मौका. वर्तमान सांसद मुरली मनोहर जोशी या फिर बीजेपी के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी.

बीजेपी के पीएम उम्मीदवार नरेंद्री मोदी कहां से लड़ेंगे चुनाव? आज ये सस्पेंस खत्म हो जाने की उम्मीद है. गुरुवार को बीजेपी चुनाव समिति की बैठक है, जिसमें पार्टी के उम्मीदावारों की चौथी लिस्ट फाइनल होनी है. यूपी प्रभारी अमित शाह एक दिन पहले तक संघ कार्यालय की दौड़ लगाते रहे.

20 दिसंबर 2013 को नरेंद्र मोदी ने वाराणसी की रैली में ही बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद का मांग लिया था. लेकिन तब मुरली मनोहर जोशी इस आशीर्वाद का मतलब समझ नहीं पाए थे. जब चर्चा सरेआम हो गई. वाराणसी की गलियों में हर-हर मोदी और घर-घर मोदी के नारे लगने लगे तो मुरली मनोहर जोशी चौंक उठे.

देश भर में मोदी की लहर के दावे हो रहे थे और सीट खिसकने जा रही थी 80 साल के जोशी की. सूत्रों के मुताबिक मुरली मनोहर जोशी इन सवालों से परेशान हो उठे, आखिर सेंधमारी उन्हीं के घर होने जा रही थी और वो अबतक बेखबर थे.

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इस सीट की अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भी इसमें खासी दिलचस्पी है. एक दिन पहले यूपी के प्रभारी महासचिव अमित शाह दिल्ली के संघ मुख्यालय पहुंचे. यूपी की लिस्ट पर संघ से चर्चा की. सुनने में आया है कि गुरुवार को डेढ़ सौ से दो सौ उम्मीदवारों की सीटों का फैसला हो जाएगा.

उम्मीद है कि चिर प्रतीक्षित नरेन्द्र मोदी की सीट का रहस्य भी खत्म हो जाएगा. दिक्कत बस ये है कि उनकी बात बनारस के अलसाए हुए घाट पर ही ठहर गई है. मोदी के वाराणसी से चुनाव लड़ने की खबरें लहर बन कर तैरती रही. किसी ने उन्हें किनारा लगाने की कोशिश ही नहीं की. भले ही जोशी जी कुछ भी कहें.

सूत्रों के मुताबिक मोदी खेमा मोदी के लिए गुजरात के साथ-साथ यूपी की एक महत्वपूर्ण सीट भी चाहता है ताकि यूपी में मोदी लहर का फायदा उठाया जा सके.

अमित शाह साल भर इसी मशक्कत में लगे रहे. संघ ने भी अपने तरीके से सर्वे कराए. आखिरकार बीजेपी की नजरें वाराणसी सीट पर जा टिकीं. लेकिन इससे पहले कि मोदी वहां से अपनी दावेदारी ठोंकते या पार्टी उनकी पैरवी करती. विवादों का कीचड़ उछल गया. ऐसे में क्या, मोदी वहां से चुनाव लड़ना चाहेंगे.

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मामला अजीब सा उलझ गया है. आला नेता हवा हवाई बातें कर रहे हैं. बाकी चुप हैं. मोदी मौन. पार्टी ने भी सब कुछ केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक पर छोड़ दिया है.

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