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BJP-AAP का सरकार बनाने से इंकार, अनिश्चितता बरकरार

दिल्ली राष्ट्रपति शासन की ओर बढ़ता दिख रहा है. दोनों बड़ी पार्टियां बीजेपी और ‘आप’ कह रही हैं कि वो सरकार बनाने के लिए दावा पेश नहीं करेंगी क्योंकि उन्हें जनादेश नहीं मिला है.

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डॉ. हर्षवर्धन और अरविंद केजरीवाल
डॉ. हर्षवर्धन और अरविंद केजरीवाल

दिल्ली राष्ट्रपति शासन की ओर बढ़ता दिख रहा है. दोनों बड़ी पार्टियां बीजेपी और ‘आप’ कह रही हैं कि वो सरकार बनाने के लिए दावा पेश नहीं करेंगी क्योंकि उन्हें जनादेश नहीं मिला है. विधानसभा चुनाव का नतीजा आने के एक दिन बाद दोनों पार्टियों ने सोमवार को गहन मंत्रणा की. 70 सदस्यीय विधानसभा में दिल्ली की जनता ने खंडित जनादेश दिया है.

दिल्‍ली में जहां एक ओर 31 सीटें जीतकर बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है, वहीं उसके सहयोगी दल अकाली दल (बादल) को एक सीट मिली है. इसके साथ ही वह 36 के बहुमत के आंकड़े के साथ चार सीट पीछे है. दूसरी तरफ ‘आप’ ने 28 सीटें जीती हैं. उसके बाद कांग्रेस को 8 सीटें मिली हैं. जेडीयू को एक सीट मिली है जबकि मुंडका सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत हासिल की है.

अरविंद केजरीवाल के घर पर पार्टी के शीर्ष नेताओं की बैठक के बाद ‘आप’ नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि अगर उपराज्यपाल नजीब जंग पार्टी को सरकार बनाने का न्योता देते हैं तो वह बहुमत नहीं होने का हवाला देते हुए इस तरह की किसी भी पेशकश को ठुकरा देंगे.

यादव ने कहा, ‘हम सरकार बनाने नहीं जा रहे हैं. हम विपक्ष में बैठेंगे और रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाएंगे. संविधान के अनुसार सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए.’ उन्होंने कहा, ‘हमें बहुमत नहीं मिला है इसलिए यह बेहद आश्चर्यजनक है कि एक पार्टी (बीजेपी) सरकार बनाने को तैयार नहीं है और हमसे ऐसा करने को कह रही है.’

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केजरीवाल ने रणनीति पर चर्चा करने के लिए ‘आप’ के नवनिर्वाचित विधायकों के साथ एक और बैठक की. केजरीवाल ने कहा कि वे विपक्ष में बैठना पसंद करेंगे और अगर हालात बने तो चुनाव का सामना करना पसंद करेंगे. बीजेपी और ‘आप’ दोनों ने कहा कि वे न तो किसी को समर्थन देंगे और न ही किसी से समर्थन लेंगे.

सरकार बनाने को लेकर अनिश्चितता के बीच बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने कई दौर की बैठकें कीं और अपने पूर्व के रुख को बरकरार रखा कि वे सरकार बनाने के लिए दावा पेश नहीं करेंगे क्योंकि वह स्पष्ट बहुमत से दूर है.

बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और दिल्ली में पार्टी के प्रभारी नितिन गडकरी ने कहा, ‘हमारे पास संख्या नहीं है. हम किसी विधायक को खरीदना नहीं चाहते हैं.’ सूत्रों ने बताया कि गडकरी ने टेलीकॉन्फ्रेंसिंग के जरिए नरेंद्र मोदी के साथ चर्चा की और पार्टी की आम राय है कि उसे कोई अनैतिक कदम नहीं उठाना चाहिए.

बीजेपी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने कहा, ‘साफ तौर पर हमारे पास संख्या नहीं है. हमारे पास 32 विधायक हैं जबकि हमें 36 विधायकों के समर्थन की जरूरत है. अगर एक निर्दलीय विधायक भी हमारा समर्थन कर देता है या कुछ पुनर्धुर्वीकरण हो तब भी हमारे विकल्प सीमित हैं.’

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बीजेपी की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हषर्वर्धन ने भी इसी राय से सुर में सुर मिलाया. उन्होंने कहा कि पार्टी सरकार नहीं बनाएगी क्योंकि दिल्ली की जनता ने ऐसा जनादेश नहीं दिया है. उन्होंने कहा, दिल्ली की जनता ने हमें सबसे बड़ी पार्टी बनाया. लेकिन उसने हमें सरकार बनाने के लिए समर्थन नहीं दिया. हम खरीद फरोख्त की राजनीति में विश्वास नहीं करते. गेंद हमारे पाले में नहीं है.’

हषर्वर्धन ने कहा कि अगर गतिरोध जारी रहा तो बीजेपी नये सिरे से चुनाव में जाने को तरजीह दे सकती है. बीजेपी ने अपने सभी नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक मंगलवार को बुलाई है. इस बैठक में गडकरी, पार्टी की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष विजय गोयल और वरिष्ठ नेता थावरचंद हिस्सा लेंगे.

यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस सरकार बनाने के लिए ‘आप’ को समर्थन देगी तो निवर्तमान मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने केजरीवाल के उस बयान का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी न तो किसी से समर्थन लेगी और न ही किसी को समर्थन देगी. उन्होंने कहा, ‘आप ने कहा कि वह कांग्रेस का समर्थन नहीं लेगी. यह उनका फैसला है. हमने इस पर कोई फैसला नहीं किया है.’ उन्होंने कहा कि अगर कोई सरकार नहीं बनती है तो नए सिरे से चुनाव में जाने के सिवाय और कोई विकल्प नहीं होगा.

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इस बीच, उपराज्यपाल नजीब जंग ने आगामी कार्रवाई के संबंध में वरिष्ठ अधिकारियों और विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श किया है. जिन लोगों के साथ चर्चा की गई उनमें दिल्ली विधानसभा के सचिव पी.एन. मिश्रा भी शामिल हैं. दीक्षित ने भी शिष्टाचार के नाते उपराज्यपाल से मुलाकात की.

गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि उपराज्यपाल फैसला करने से पहले नई सरकार गठन के लिए सारे विकल्पों को तलाशेंगे. शिंदे ने दिल्‍ली में संवाददाताओं से कहा, ‘उपराज्यपाल पहले सरकार गठन के संबंध में सारे विकल्प तलाशेंगे. फिलहाल, गृह मंत्रालय की इसमें कोई भूमिका नहीं है.’ शिंदे दिल्ली में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद राष्ट्रपति शासन लगाने की संभावना के संबंध में पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे. दिल्ली में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला है.

सूत्रों ने बताया कि उपराज्यपाल के सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी को बुलाने की संभावना है. वह उससे यह जानना चाहेंगे कि क्या वह नई सरकार का गठन करने को तैयार है. बीजेपी को सहयोगी अकाली दल के एक विधायक को मिलाकर 32 विधायकों का समर्थन हासिल है. अगर बहुमत के अभाव में बीजेपी सरकार बनाने से इंकार करती है तो उपराज्यपाल ‘आप’ से पूछ सकते हैं कि क्या वह सरकार बनाने की स्थिति में है.

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सूत्रों ने बताया कि बीजेपी और आप दोनों ने घोषणा की है कि वे सरकार गठन के लिए दावा पेश नहीं करेंगे. उपराज्यपाल दोनों पार्टियों के नेताओं हषर्वर्धन और केजरीवाल को बुलाकर सरकार गठन की संभावना पर उनसे चर्चा कर सकते हैं. अगर वे अपने सार्वजनिक रुख पर कायम रहे तो उनके पास राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा के सिवाय और कोई विकल्प नहीं बचेगा.

निवर्तमान विधानसभा को भंग कर दिया गया है और चुनाव आयोग के नई विधानसभा के गठन के संबंध में अधिसूचना जारी करने के बाद उपराज्यपाल आगे की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं.

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